पिछले कुछ अर्से से तरह-तरह की मुसीबतें झेल रहे पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ, जिन्हें पाकिस्तान की अवाम प्यार से ‘मियां साहब’ बुलाती है, का सियासी भविष्य अब क्या मोड़ लेगा? क्योंकि पिछले शनिवार को पाकिस्तान के सबसे मशहूर समाचार-पत्र ‘डॉन’ को दिए अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने आखिरकार क़ुबूल कर ही लिया कि 26/11 के मुंबई हमले को पाकिस्तान की सरज़मीन से संचालित किया गया जिसमें 166 भारतियों की मौत हुई थी.
‘डॉन’ समाचार पत्र के एक सीनियर जर्नलिस्ट से बात करते हुए जो दो महत्त्वपूर्ण सवाल नवाज़ शरीफ ने किए वह थे - मुंबई केस की कार्रवाही मुकम्मल क्यों नहीं हो सकी? क्या हमें सरहद पार जाकर लोगों के क़त्ल की इजाज़त देनी चाहिए? इस सम्बन्ध में सबसे जरूरी और अहम सवाल तो यह है कि पाकिस्तानी सरकार में 3 बार प्रधानमंत्री की भूमिका निभाने वाले नवाज़ शरीफ के सामने आखिर वह कौन सी मजबूरी थी कि उन्होंने उस सच को ज़ाहिर कर दिया जिसपर वह अब तक पर्दा डालते रहे हैं?
बहरहाल, मियां नवाज़ के बयान के बाद पकिस्तान में एक हंगामा सा खड़ा हो गया है. हम पाकिस्तानी उर्दू अखबारों और टीवी चैनल्स पर हो रही बहसों को जिसमें महत्वपूर्ण सियासी, समाजी और फ़ौजी लोगों के बयान शामिल हैं, अपने पाठकों के साथ साझा करना चाहते हैं ताकि वे अपने पड़ोस में बैठे लोगों की प्रतिक्रियाएं जान सकें.
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की लीडर और पाकिस्तान असेंबली में विपक्ष की नेता, शेरी रहमान का कहना है, 'मियां साहब ने मोदी के स्टैंड पर ठप्पा लगा दिया है. उनके बयान से पाकिस्तान की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है. हम इसकी निंदा करते हैं'.
पाकिस्तान में रक्षा मामलों के विशेषज्ञ रिटायर्ड मेजर जनरल एजाज़ ऐवान कहते हैं, 'नवाज़ शरीफ ने ‘मुंबई हमला केस’ में जांच आगे न बढ़ने का इल्ज़ाम पाकिस्तान की न्यायिक व्यवस्था पर लगाकर शर्मनाक हरकत की है'. भारत में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके अब्दुल बासित ने कहा, 'मियां नवाज़ शरीफ के बयान से भारतीय काफी खुश होंगे'.
इसी तरह पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ पार्टी के प्रवक्ता फ़वाद चौधरी का कहना है, 'नवाज़ शरीफ का यह बयान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है'. पीपुल्स पार्टी के एक और नेता क़मर ज़मां कहते हैं, 'सोचना पड़ेगा कि पाकिस्तान के हितों को इस तरह क्यों नुकसान पहुंचाया जा रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री को बताना पड़ेगा कि वह क्यों ऐसा स्टैंड ले रहे हैं जो देश हित के ख़िलाफ़ है'.
जर्नलिस्ट अंसार अब्बास ने लिखा है, 'भारतीय मीडिया क्या पूरा भारत मियां नवाज़ शरीफ़ के मुंबई हमले से सम्बंधित बयान से झूम उठा है. पाकिस्तान दुश्मनों को मियां नवाज़ शरीफ ने अपने इस ग़ैर-जिम्मेदाराना और काबिले मज़म्मत बयान से पाकिस्तान के ख़िलाफ़ प्रोपेगंडा करने के लिए उन्हें वह कुछ दे दिया है जिसकी वह सिर्फ तमन्ना ही कर सकते थे'.
अखबारों में एक नेता के हवाले से यह बयान भी प्रकाशित हुआ है, 'नवाज़ शरीफ ने पाकिस्तान की तरफ से दहशतगर्दी करने का सबसे बड़ा क़ुबूलनामा पेश किया है और न सिर्फ यह बल्कि मियां साहब ने तो उस भारतीय इल्ज़ाम, कि पाकिस्तान मुंबई हमलों से सम्बंधित अदालती कार्यवाही को चलने नहीं देता, को भी सच बनाकर पेश कर दिया है और पाकिस्तान को ही इसका ज़िम्मेदार ठहराया है'.
मुस्लिम लीग (क्यू) के नेता और पंजाब के पूर्व मुख्मंत्री चौधरी परवेज़ इलाही का कहना है, 'नवाज़ शरीफ ने मुल्क के ख़िलाफ़ गद्दारी का सुबूत दिया है, अपने भ्रष्टाचार को बचाने के लिए देश की अखंडता को दांव पर लगा दिया'.
पाकिस्तान के चर्चित विश्लेषक हसन निसार ने जिओ टीवी के एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, 'नवाज़ शरीफ एक तरफ उनको नॉन-एक्टर्स कह रहे हैं तो दूसरी ओर यह कह रहे हैं कि हमारी इजाज़त से उन्होंने यह किया है. मैंने नवाज़ शरीफ को कभी इस मुल्क के लिए नेक-शगुन नहीं समझा, वह पैसे का भूखा आदमी है लेकिन आज मुझे दुःख, अफ़सोस और शर्मिंदगी है और मेरा यह ख़याल है, जिसे आप लिख कर भी रख सकते हैं, कि इस आदमी के होते हुए पकिस्तान को किसी आंतरिक या बाहरी दुश्मनी की ज़रूरत नहीं'.
एक टीवी बहस में एक पाकिस्तानी ने तो यह भी कह दिया, 'आज दुनिया मदर्स-डे मना रही है और इस अहम दिन पर इस आदमी ने मादर-ए-वतन को यह खौफनाक तोहफ़ा दिया है'.
कुलमिलाकर पिछले 48 घंटों में पाकिस्तान ने अपने 3 बार प्रधानमंत्री रह चुकी एक अहम शख्सियत को देशद्रोही और गद्दार बना दिया है. पूरे पाकिस्तान में नवाज़ शरीफ के बयान से लोग बगलें झांकते नज़र आ रहे हैं क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय दबाव के बावजूद पिछले दस वर्षों से पकिस्तान जिस सच को मानने से इंकार करता रहा है उसे मियां नवाज़ शरीफ ने अपने एक बयान से साफ कर दिया है. प्राप्त जानकारियों के मुताबिक, नवाज़ विरोध में हद तो यह हो गई है कि अब आम-शहरियों की तरफ से उनके ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुक़दमा करने की तैयारी चल रही है.
इसी बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो नवाज़ शरीफ का बचाव करते दिख रहे हैं. पाकिस्तान में नवाज़ शरीफ की अपनी पार्टी, मुस्लिम लीग (एन) के कार्यकर्ता और नवाज़ शरीफ के बहुत से हमदर्द, सोशल मीडिया पर कभी परवेज़ मुशर्रफ़, कभी इमरान खान और कभी जनरल दुर्रानी के पूर्व बयानों को निकाल निकाल कर यह प्रचारित करने की कोशिश कर रहे हैं कि नवाज़ शरीफ ने जो कुछ भी अपने इंटरव्यू में कहा है उसमें नयी बात क्या है, ये सब तो पहले भी कहा जा चुका है.
नवाज़ शरीफ की बेटी मरियम नवाज़ ने भी एक ट्वीट करके अपने पिता का बचाव किया है. वह लिखती हैं, 'मियां साहब ने कहा मुल्क के बेहतरीन मफ़ाद (हित) में कहा. मुल्क को क्या बीमारी खोखला कर रही है? मियां साहब से बेहतर कोई नहीं जानता, वह इलाज भी बता रहे हैं'.
यह तो रही नवाज़ शरीफ के बयान पर पाकिस्तानियों की प्रतिक्रियाएं. लेकिन नवाज़ शरीफ ने किन हालात में इस सच को स्वीकार किया है इस पर भी विश्लेषण होना चाहिए क्योंकि यह वह समय है जब वह अपने ही देश में भ्रष्टाचार के कई मामलों में अदालती कार्यवाहियों का सामना कर रहे हैं. जुलाई 2017 में उन्हें इसी सम्बन्ध में प्रधानमंत्री का अपना पद भी छोड़ना पड़ा था. कुछ विश्लेषक यह भी मानते हैं कि मियां नवाज़ शरीफ बहुत चालाक सियासतदां हैं जो किसी वजह के बिना कोई हरकत नहीं करते और बहुत सोच समझ कर सियासी चाल चलते हैं. कुछ लोग यह भी मानते हैं कि नवाज़ शरीफ की पूरी सियासत हिमाकतों से भरी हुई है. वह हमेशा अपना पांव अपने ही ख़िलाफ़ इस्तेमाल करके अपनी ही सियासत को ठोकर लगाते हैं.
कुछ ख़बरें ऐसी भी हैं जिनमें कहा गया है कि नवाज़ शरीफ के बयान को तोड़-मरोड़ के पेश किया गया है. लेकिन ऐसी ख़बरों का कोई औचित्य इसलिए नहीं रह जाता क्योंकि नवाज़ शरिफ ने सोमवार को फिर अपने उसी बयान को दोहरा दिया. नवाज़ शरीफ सोमवार को इस्लामाबाद में एक अदालती में अपनी पेशी के लिए गए हुए थे जहां पत्रकारों ने उन्हें फिर घेर लिया.
नवाज़ शरीफ ने प्रेस से बात करते हुए फिर कहा, 'मैं अपने बयान पर कायम हूं, चाहे जो कुछ भी सुनना पड़े, हक बात ही करूंगा'. कोई शक न रह जाए इसलिए उन्होंने अपने मोबाइल से अपना बयान निकालकर दुबारा पत्रकारों को सुनाया. उन्होंने कहा, 'कई सालों से कहता आ रहा हूं कि हमारे 50 हज़ार लोग शहीद हुए, जिसमें आर्म्ड फोर्सेज, पुलिस और शहरी शामिल हैं, इतनी कुर्बानियों के बावजूद आखिर दुनिया हमारा नरेटिव क्यों नहीं मानती? जो कुछ मैंने कहा है, बहुत से लोग इस सच्चाई को मान चुके हैं. यही चीज़ें हैं जिसकी वजह से दुनिया हमारा वक्तव्य सुनने को तैयार नहीं'.
इन सारे हालात का जायजा लेने के बाद यही कहा जा सकता है कि मियां नवाज़ शरीफ ने 26/11 हमलों के सम्बंध में जो बयान दिया है वह भारत के लिए यकीनन राहत भरा है लेकिन इस बयान के बाद नवाज़ शरीफ ने अपने लिए मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर लिया है. जिन्हें नवाज़ शरीफ ‘नॉन-एक्टर्स’ कह रहे हैं, वह आतंकवादी नवाज़ शरीफ की जान भी ले सकते हैं. इस बात को खुद नवाज़ शरीफ से बेहतर और कौन समझ सकता है? दूसरी तरफ नवाज़ शरीफ की पिछली सियासत को बारीकी से परखने वाले नवाज़ शरीफ को एक सिद्धांतवादी व्यक्ति कहेंगे, इसपर किसी को भी शक होना लाजिम है.
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