सऊदी के युवराज मोहम्मद बिन सलमान के शासन के साल भर पूरे हो गए हैं. ठीक एक साल पहले उन्होंने धुर-पुरातन सत्ता अपने हाथों में ली थी. उसके बाद क्या हुआ, आइए जानते हैं.
पिछले साल 21 जून को किंग सलमान ने अपने भतीजे को बाहर का रास्ता दिखाते हुए सत्ता कब्जा ली थी और दशकों से चले आ रहे वंशवाद के शासन पर रोक लगा दी थी.
महिलाओं को 'आजाद खयाल' बनाया
मोहम्मद बिन सलमान को लोग प्रेम से एमबीएस भी कहते हैं. उन्होंने युवराज बनते ही खुद के पास रक्षा मंत्रालय रखा.
युवराज (क्राउन प्रिंस) बनते ही एमबीएस ने सबसे पहले रूढ़िवादिता पर चोट कर सऊदी अरब को एक नए युग में प्रवेश कराया. इस साल भर में उन्होंने न सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, बल्कि महिलाओं की आजादी का ख्याल रखते हुए कई कदम उठाए. सऊदी में पहले महिलाओं को गाड़ी चलाने (ड्राइविंग) की इजाजत नहीं थी. इतना ही नहीं, महिलाओं को खेल के मैदान में या स्टेडियम में जाकर मैच देखने की इजाजत भी नहीं थी. युवराज ने ये दोनों काम किए. उन्होंने अपने मुल्क में सिनेमाघरों को भी बहाल किया.
साल भर का लेखा जेखा देखें तो मोहम्मद बिन सलमान सऊदी अरब में अब तक के सबसे लोकप्रिय शख्सियत के रूप में उभरे हैं. यह अलग बात है कि इन्हें कुछ कट्टरवादियों का प्यार नहीं मिल रहा लेकिन सऊदी की जनता उनकी नीतियों से भी बेहद खुश है.
भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार
पिछले साल सऊदी की कमान संभालते ही एबीएस ने सियासी भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार करना शुरू किया. सैकड़ों युवराज, बड़े-बड़े व्यवसायी, सरकारी मंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किए गए. हालांकि इसे बदले की कार्रवाई कहा गया लेकिन भ्रष्टाचार के नाम पर सऊदी में यह सबसे बड़ी कार्रवाई थी. यह कार्रवाई कर युवराज ने जता दिया कि गलती कोई करे, चाहे वह शाही खानदान ही क्यों न हो, उसे नहीं बख्शा जाएगा.
एक साथ कई वित्तीय सुधार
तेल की कमाई पर चलने वाले इस देश की वित्तीय दशा सुधारने के लिए एमबीएस ने कई कदम उठाए. इसके लिए उन्होंने विजन 2013 चलाया. अल जजीरा चैनल के मुताबिक, इस विजन का एक अर्थ यह भी था कि अब तक जिन महिलाओं को काम करने से रोका जाता रहा है, उन महिलाओं को नौकरी-पेशा में शामिल किया जाए. इसे एक तरह से सबसे बड़ा वित्तीय-सामाजिक सुधार माना गया.
सरकारी काम का दायरा बढ़ाते हुए उन्होंने शिक्षा, पर्यटन और मनोरंजन के क्षेत्र में काफी बदलाव किए. इसी के तहत उन्होंने देश के उत्तर-पश्चिमी तट पर 500 अरब डॉलर की लागत से हाईटेक इकोनॉमिक जोन बनाया. देश का विकास कैसे हो, इसके लिए उन्होंने मिस्र से लेकर यूरोप और अमेरिका तक की यात्राएं कीं.
काम तो हुए लेकिन शिकायतें भी हैं
सीएनएन ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा, एमबीएस चूंकि रक्षा मंत्री भी हैं, इसलिए सऊदी में या उससे जुड़े देश में खून का एक कतरा भी गिरा तो वह उनके कंधों पर पड़ेगा. एमबीएस के एक-एक कदम की आलोचना और समालोचना इसी नजरिए से की जाएगी.
सीएनएन ने इसी रिपोर्ट में बताया है कि भले ही दुनिया यह जान रही हो कि महिलाओं को ड्राइविंग की आजादी मिल गई है लेकिन आलोचक यह भी कहते हैं कि कई महिलाओं को इस जुर्म में गिरफ्तार भी किया गया है. हालांकि जानकार यह जरूर मानते हैं कि साल भर पहले सऊदी में जो माहौल था, अब उसमें काफी सुधार है. अब सऊदी की सड़कों पर किसी मुस्लिम महिला को गाड़ी चलाते हुए कम से कम यह महसूस नहीं होता कि वह 'अच्छी मुसलमान' नहीं है.
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