द्रविड़ आइकॉन रहे एम करुणानिधि के निधन के साथ तमिलनाडु की राजनीति के एक युग का अंत हो गया है. कई दिनों से अस्पताल में भर्ती रहे 94 साल के कलैंगर ने मंगलवार शाम अपनी आखिरी सांसें लीं. उनके निधन से पूरा देश शोक मना रहा है.
देश भर में ही नहीं दुनिया भर में उनके निधन पर उन्हें याद किया गया है. विदेशी मीडिया ने भी करुणानिधि को अंतिम विदाई दी है.
सीएनएन ने करुणानिधि के स्क्रीनराइटर से शुरू और लगभग 50 साल तक चले राजनीतिक करियर को याद किया है. सीएनएन ने लिखा है, 'करुणानिधि तेजी से आगे बढ़े. 1969 में अन्नादुरई के निधन के बाद वो डीएमके नेता बने फिर 18 साल के अंतराल में पांच बार मुख्यमंत्री रहे.'
बीबीसी ने 'M Karunanidhi: The radical wordsmith who shook up Indian politics' शीर्षक से लेख छापा है. इस लेख में उनके सिनेमाई योगदान और जातीयता के खिलाफ उनकी लड़ाई को याद किया गया है- 'उन्होंने ब्राह्णणों की जातीय सर्वोच्चता के खिलाफ लड़ाई लड़ी और केंद्र सरकार के दक्षिण भारत में हिंदी भाषा को थोपने का भी विरोध किया.'
एसोसिएटेड प्रेस ने अपने लेख में लिखा है, '1950 में करुणानिधि तमिल फिल्म इंडस्ट्री में बतौर स्क्रीनराइटर छाए रहे और बाद में राजनीति में लगभग 50 सालों तक राज किया.'
वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है, '1950 में पहले स्क्रीनराइटर और फिर 50 सालों तक राजनीति में करुणानिधि एक बड़ा चेहरा रहे. वो 18 सालों में पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने द्रविड़ मुनेत्र कणगम पार्टी की स्थापना की.'
फिलहाल करुणानिधि के पार्थिव शरीर को राजाजी हॉल में आखिरी दर्शन के लिए रखा गया. उनके समाधि स्थल को लेकर मद्रास हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है.
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