बीते गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में CRPF पर हुए आत्मघाती हमले में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के शामिल होने की बात सामने आई है.
न्यूज़18 की खबर के अनुसार इस बीच इस्लामी देश ईरान ने भी यह कहा है कि पाकिस्तान के सुरक्षा बल आत्मघाती बॉम्बर्स को पनाह देने का काम करते हैं. बीते गुरुवार को पुलवामा में सीआरपीएफ पर अटैक से एक दिन पहले ही बुधवार को ईरान में भी एक आत्मघाती हमला हुआ था. इसमें ईरान रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के 27 सैनिकों की मौत हो गई थी. ईरान और पुलवामा में हुए हमले का तरीका काफी हद तक मिलता-जुलता है. पुलवामा में हुए अटैक की ईरान ने तीखी निंदा की थी.
पाकिस्तान की सरकार आतंकियों को पनाह देती है
नई दिल्ली स्थित ईरानी दूतावास ने ट्वीट कर कहा था, ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बहराम कासेमी ने भारत में हुए आतंकी हमले की तीखी निंदा की है, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए हैं और घायल हुए हैं. ईरानी सेना के मेजर जनरल मोहम्मद अली जाफरी ने आतंकी संगठन जैश-अल-अदल का जिक्र करते हुए कहा, पाकिस्तान की सरकार ऐसे आतंकियों को पनाह देती है, जो हमारी सेना और इस्लाम के लिए खतरा है. उसे पता है कि ये लोग कहां छिपे हैं और पाकिस्तानी सुरक्षा बल उन्हें समर्थन देने का काम करते हैं. जहां पीएम नरेंद्र मोदी ने आतंकी हमले के जिम्मेदारों को सबक सिखाने की बात कही है तो वहीं ईरान ने भी खुद पर हुए अटैक का बदला लेने की बात कही है.
यदि पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ एक्शन नहीं लेता तो हम बदला लेंगे
ईरानी मेजर जनरल ने कहा, यदि पाकिस्तान इन आतंकियों के खिलाफ एक्शन नहीं लेता है तो हम बदला लेंगे. पाकिस्तान को ऐसे तत्वों का समर्थन करने का परिणाम भुगतना होगा. उन्होंने आगे कहा- इस्लामी गणतंत्र ईरान अब पहले के आरक्षण का पालन नहीं करेगा और इस तरह की हरकतों का मुकाबला करने के लिए सीधे कार्रवाई करेगा. बता दें कि ईरान के कुलीन क्रांतिकारी गार्ड के कमांडर जाफरी की टिप्पणी, ईरान के क्षेत्रीय कट्टर-प्रतिद्वंद्वी सऊदी अरब के ताज के प्रमुख मोहम्मद बिन सलमान द्वारा दो दिन की पाकिस्तान यात्रा के एक दिन पहले आई थी.
रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के एक बस को निशाना बनाया था
जाफरी ने पाकिस्तान की सेना और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस एजेंसी को दोषी ठहराते हुए कहा कि अपराधियों का समर्थन करने के लिए आश्रय और मौन दोनों जरूरी हैं. बीते बुधवार की बमबारी ने सिस्तान-बलूचिस्तान के अस्थिर दक्षिण पूर्वी प्रांत में रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के एक बस को निशाना बनाया था जो पाकिस्तान के साथ सीमा पर फैला है. जैश अल-अदल का गठन 2012 में सुन्नी चरमपंथी समूह जुंडला के उत्तराधिकारी के रूप में किया गया था. उन्होंने 2010 में अपने नेता अब्दोल्मलेक रिगी के कब्जा करने और निष्पादन से गंभीर रूप से कमजोर होने से पहले एक दशक तक घातक विद्रोह किया था.
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