भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को राहत दिलाने में इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) के जज दलबीर भंडारी ने अहम भूमिका निभाई. जस्टिस भंडारी ने अलग से घोषणापत्र दाखिल कर पाकिस्तान से ट्रायल पूरी होने तक जाधव को मौत की सजा नहीं देने को कहा है.
One of the ICJ judges is an Indian -- Justice Davleer Bhandari -- ICJ bik gaya ...
— omar r quraishi (@omar_quraishi) May 18, 2017
आईसीजे ने गुरुवार को पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करने को कहा कि अंतिम फैसला आने तक जाधव को फांसी न दिया जाए. इस मामले में आईसीजे के सभी ग्यारह जजों की एक राय थी. जजों के इस पैनल में एक चीनी जज भी शामिल है.
आईसीजे के फैसले के साथ भारतीय जज दलबीर भंडारी का घोषणापत्र भी संलग्न था. आईसीजे द्वारा जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि जज भंडारी कोर्ट द्वारा उठाए गए फौरी कदम के फैसले से सहमत हैं.
आईसीजे ने प्रेस रिलीज में कहा कि पाकिस्तानी अदालत में सुनवाई के दौरान कॉन्सुलर एक्सेस नहीं दिए जाने से यह मामला मानव अधिकारों के उल्लंघन को लेकर कई सवाल खड़ा करता है.
आईसीजे जाने से पहले, जस्टिस दलबीर भंडारी सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया में सीनियर जज थे.
जज दलबीर भंडारी की दाखिल घोषणापत्र की मुख्य बातें
- जज भंडारी ने कुलभूषण जाधव के मामले में अंतिम उपाय के संकेत के तौर पर चार जरूरतों पर चर्चा की. इनमें प्रथम दृष्टया अधिकार, सच्चाई, वास्तविकता और जोखिम से भरे अपूरणीय पक्षपात और अधिकारों का दावा है. इसके अलावा, योग्यता के आधार पर दावा किए गए अधिकारों के बीच संबंध और अंतिम उपाय की अपील शामिल है.
- जस्टिस भंडारी ने जाधव की गिरफ्तारी को लेकर बने संशय की स्थिति को उठाया. उन्होंने साफ किया कि भारत और पाकिस्तान इस बात पर सहमत नहीं हैं कि कुलभूषण जाधव को जहां गिरफ्तार किया गया, वह पाकिस्तान की सीमा के अंदर था या बाहर.
- जज भंडारी ने कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस देने के संबंध में भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक तौर पर संबंध बनाने पर जोर दिया. भारत द्वारा भेजे गए 13 लिखित और शाब्दिक अपील के बावजूद, पाकिस्तान ने जाधव पर लगाए गए आरोपों पर भारत से कोई संवाद नहीं किया. और न ही उसके खिलाफ हुई कार्यवाही से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध कराए.
- जस्टिस भंडारी ने कुलभूषण जाधव के मामले में मौत की सजा रद्द करने या दया को मंजूरी देने के लिए अदालत की कार्यवाही का भी जिक्र किया. यह अभी साफ नहीं है कि कुलभूषण जाधव ने इस तरह के किसी भी घरेलू उपायों में से कोई भी खुद शुरु किया है. जबकि यह मालूम है कि उनकी मां ने पाकिस्तान आर्मी एक्ट 1952 की धारा 133 (बी) के तहत सजा माफी की अपील दाखिल कर रखी थी.
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