तेल पर ईरान-अमेरिका-भारत की त्रिकोणीय समस्या का कोई समाधान नहीं दिख रहा है. अमेरिका ने दूसरे देशों को ईरान से तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगा रखा है. अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों से भारत को भी परेशानी उठानी पड़ रहा है. भारत तेल से ईरान खरीदता है और वो बस संयुक्त राष्ट्र की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों का ही पालन करता है.
अब ऐसी रिपोर्ट है कि भारत ईरान पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों का विरोध कर सकता है. अमेरिका की संसद की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ईरान पर नए सिरे से लगाए गए प्रतिबंधों का प्रतिरोध कर सकता है क्योंकि वो ऐसे मामलों में संयुक्त राष्ट्र के ही प्रतिबंधों का पालन करता है.
अमेरिकी संसद की शोध व परामर्श इकाई कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की 11 सितंबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि आम तौर पर भारत सिर्फ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों का ही पालन करता है. इसके अलावा भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए भी ईरान पर निर्भर करता है. हालांकि, ट्रंप सरकार ईरान पर प्रतिबंध से संबंधित मुद्दों पर भारत से बातचीत कर रही है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चार नवंबर तक ईरान से तेल का आयात बंद नहीं करने वाले देशों और कंपनियों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत की सामान्यत: यह स्थिति रही है कि वह सिर्फ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों का अनुपालन करता है. इससे यह आशंका उठती है कि ईरान से तेल नहीं खरीदने संबंधी अमेरिकी प्रतिबंध का भारत प्रतिरोध कर सकता है.’
सीआरएस ने कहा कि भारत-ईरान की सभ्यता और इतिहास आपस में जुड़े हुए हैं. वे विभिन्न रणनीतिक मुद्दों पर भी एक-दूसरे से संबंधित हैं. भारत में शिया मुसलमानों की करोड़ों की आबादी है. दोनों देश ऐतिहासिक तौर पर अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय का समर्थन करते आए हैं.
सीआरएस ने कहा कि 2010 से 2013 के बीच जब ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध कड़े हो रहे थे, भारत ने ईरान से पुराने संबंध को बचाए रखने की कोशिश की थी.
इनके अलावा भारत की ईरान की कुछ ऐसी परियोजनाओं में भी संलिप्तता है जो न केवल आर्थिक महत्व के हैं बल्कि उनका राष्ट्रीय रणनीति में भी महत्व है.
रिपोर्ट के अनुसार, ‘भारत लंबे समय से ईरान में चाबहार बंदरगाह को विकसित करना चाह रहा है जिससे उसे पाकिस्तान पर निर्भरता खत्म करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया में पहुंच मिलेगी.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत चाबहार बंदरगाह से पहले ही अफगानिस्तान को गेहूं की आपूर्ति शुरू कर चुका है.
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