महात्मा गांधी द्वारा लिखा गया बिना तिथि वाला एक पत्र 6358 डॉलर में नीलाम हुआ है. हालांकि इस निलामी में सबसे अधिक बोली लगाकर खत अपने नाम करने वाले के नाम को सार्वजनिक नहीं किया गया है. अमेरिका के आरआर आक्शन से मिली जानकारी के अनुसार गांधी ने इस पत्र में चरखे के महत्व पर जोर दिया है.
आक्शन हाउस ने एक बयान में कहा कि यह पत्र गुजराती भाषा में लिखा है और यह यशवंत प्रसाद नाम के व्यक्ति को संबोधित है.
गांधी ने पत्र में लिखा है, 'हमें मिलों से जो उम्मीद थी वही हुआ है. यद्यपि आप जो कहते हैं वह सही है, सब कुछ करघे पर निर्भर करता है.'
चरखे के बारे में गांधी का उल्लेख असाधारण रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने उसे आर्थिक आजादी के प्रतीक के तौर पर अपनाया था.
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गांधी ने भारतीयों को इसके लिए प्रोत्साहित किया कि वे स्वतंत्रता के लिए भारतीय आंदोलन के समर्थन में प्रतिदिन खादी की कताई में व्यतीत करें.
उन्होंने सभी भारतीयों को स्वदेशी आंदोलन के तहत ब्रिटेन निर्मित कपड़े की बजाय खादी पहनने के लिए प्रोत्साहित किया.
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