किसी महिला के लिए यौन उत्पीड़न की घटना को भुला पाना आसान नहीं होता है और इस घटना की शिकार महिलाओं के जहन में इसकी यादें दशकों तक बनी रहती हैं.
एक रिसर्च के अनुसार अन्य दुखद घटनाओं और जीवन में उतार-चढ़ाव से संबंधित घटनाओं का सामना करने वाली महिलाओं के विपरीत यौन हिंसा की पीड़ितों के ज़ेहन में घटना की अधिक गहन यादें देखी गईं, जिसे उनके लिए भुला पाना मुश्किल था.
अमेरिका के रटगर्स यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर ट्रेसी शोर्स ने कहा, ‘कुछ हद तक यह आश्चर्य की बात नहीं है कि ये यादें अवसाद और चिंता से संबंधित हैं क्योंकि इन महिलाओं को याद है कि क्या हुआ और वे इसके बारे में बहुत कुछ सोचती हैं.’
पत्रिका फ्रंटियर्स इन न्यूरोसाइंस में प्रकाशित अध्ययन में शोर्स ने कहा, ‘लेकिन इन भावनाओं और विचारों को आमतौर पर पोस्ट ट्रॉमाटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) के साथ जोड़ा जाता है जबकि हमारे अध्ययन में ज्यादातर महिलायें जिन्होंने इन ज्वलंत यादों का अनुभव किया वे पीटीएसडी से पीड़ित नहीं थी, जो आमतौर पर अधिक तीव्र मानसिक और शारीरिक प्रतिक्रियाओं से जुड़े होते हैं.’
इस अध्ययन में 18-39 आयु वर्ग की 183 महिलाएं शामिल थीं. 64 महिलाओं ने बताया कि वे यौन हिंसा की पीड़िता हैं जबकि 119 ने बताया कि उनका यौन हिंसा का कोई इतिहास नहीं रहा है.
जिन महिलाओं का यौन हिंसा का इतिहास रहा है, उनके ज़ेहन में इन घटनाओं की यादें पूरी तरह से थीं और घटना की यादों को स्पष्ट रूप से उनके दिमाग में देखा गया.
उन्होंने बताया कि घटना को भूल पाना उनके लिए कठिन रहा है और वे इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानती हैं.
हाल के इस अध्ययन से संकेत मिलते हैं कि अपने कॉलेज के दिनों में प्रत्येक पांच कॉलेज छात्राओं में से एक यौन हिंसा का सामना करती है.
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