यूं तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हमेशा ही अटपटे और शर्मनाक बयान देते हैं लेकिन हेलसिंकी में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुए मुलाकात के दौरान ट्रंप ने जो बयान दिया है, उससे पूरा अमेरिका हैरान है. यहां तक कि ट्रंप की रिपब्लिक पार्टी के नेता भी उनकी आलोचना कर रहे हैं. इतनी आलोचना ट्रंप की कभी नहीं हुई. लेकिन एक और चीज है जो पहली बार हुई है और उससे स्थिति और बदसूरत ही दिख रही है.
ट्रंप अपनी बात से पलट गए हैं. ट्रंप उल्टे-पुल्टे बयान भले ही दें लेकिन वो इतने उदार (या कह लें कि जिम्मेदार) नहीं हैं कि अपने बयानों पर सफाई दें लेकिन इस बार उन्होंने ऐसा किया है. ट्रंप अपने बयान से सीधे-सीधे पलट गए हैं.
किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति की शर्मनाक घटना
पूरा मामला कुछ यूं हैं. आप जानते होंगे कि 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनावों में रूस की ओर छेड़छाड़ करने का मसला उठा था. ऐसा कहा गया था कि रूस ने इन चुनावों को सोशल मीडिया के अलावा और भी कई तरीकों से प्रभावित करने की कोशिश की थी. इसके बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की जांच में ये बात साफ हो गई कि रूस ने इन चुनावों के साथ छेड़छाड़ की है.
अब ट्रंप ने हेलसिंकी में ऐसा बयान दिया, जिससे अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट ही खारिज हो गई. उन्होंने कहा, 'मैंने प्रेसिडेंट पुतिन से बात की है. उन्होंने कहा है कि रूस ने ऐसा कुछ नहीं किया. मुझे भी लगता है कि रूस ऐसा क्यों करेगा. मेरी नजर में दोनों देशों की गलती है. अमेरिका ने मूर्खता की है, हम सबने मूर्खता की है. हमने ये बातचीत काफी पहले कर ली थी. दरअसल मेरे व्हाइट हाउस में आने से पहले ही.'
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ऐसा बयान देकर ट्रंप ने अपने ही देश की खुफिया एजेंसियों को झूठा ठहरा दिया. ये ट्रंप की अबतक की सबसे बड़ी गलती है. उनके इस बयान के बाद दुनिया भर में उनकी आलोचना हो रही है. सबसे बड़ी बात ट्रंप में हर स्थिति में भरोसा रखने वाले रिपब्लिकन्स भी इस बयान पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को अमेरिका के किसी भी राष्ट्रपति की सबसे शर्मनाक घटना कहा जा रहा है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि जब तक ट्रंप को याद किया जाएगा तब तक ये काला दिन याद किया जाएगा.
'क्यों' और 'क्यों नहीं' के बीच में फंसाया पूरा मामला
चारों और से आलोचना झेलने के बाद ट्रंप ने अपने बयान पर सफाई दी. उन्होंने कहा कि 2016 राष्ट्रपति चुनावों में रूसी हस्तक्षेप के संबंध में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के विश्लेषण पर उन्हें पूरा विश्वास है और हेलसिंकी में इस मामले पर बयान के दौरान उनकी जबान फिसल गई थी. वाइट हाउस में ट्रंप ने पत्रकारों से कहा, ‘मुझे अमेरिका की महान खुफिया एजेंसियों पर पूरा विश्वास है और हमेशा था. मुझे कहना था 'क्यों नहीं' और मैंने कहा 'क्यों'. हालांकि इसके बाद ट्रंप ये कहना नहीं भूले कि उन्हें पूरा विश्वास है कि रूस की हरकतों का राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ा. उन्होंने कहा, 'मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा. मैंने कई बार कहा है कि मैं अपने खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट को स्वीकार करता हूं कि रूस ने 2016 चुनावों में हस्तक्षेप किया था.’
ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि 'मुझे अपनी खुफिया एजेंसियों पर पूरा भरोसा है. हालांकि मैं ये भी मानता हूं कि अगर हमें एक बेहतर भविष्य बनाना है तो हम हमेशा अतीत की बात नहीं कर सकते. चूंकि ये दोनों देश ही बड़े न्यूक्लियर पॉवर हैं तो हमें साथ चलना होगा.'
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ट्रंप अपनी प्रेसिडेंसी की सबसे गलती कर चुके हैं
ट्रंप की ये लीपापोती उनकी अबतक की सबसे बड़ी गलती है. जिस तरह से वो पुतिन के सामने फिदा नजर आए और ऐसा गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया, उसके बाद से उनकी स्थिति काफी कमजोर हो सकती है. सीएनएन के रिपोर्टर स्टीफन कॉलिन्सन ने अपने लेख में लिखा है कि ट्रंप के इस बयान से ये साफ हो गया है कि ट्रंप अपने फायदों को अमेरिका से भी ऊपर रखते हैं. खुद रूसी मीडिया ने उनकी आलोचना की है. बीबीसी के कॉरेस्पोंडेंट स्टीव रोजेनबर्ग ने एक रूसी अखबार का वीडियो ट्वीट कर बताया है कि अखबार में कहा गया है कि ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से अपनी ही खुफिया एजेंसियों में अविश्वास जता दिया. एक प्रेसिडेंट ऐसा नहीं कर सकता. उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.
Even the Russian press is stunned by Donald Trump's performance in Helsinki. One paper today is shocked that, in Putin's presence, Trump "publicly expressed a lack of trust in his own intelligence agencies. You don't do things like that. He'll pay a high political price." pic.twitter.com/1JZNwtHX15
— Steve Rosenberg (@BBCSteveR) July 18, 2018
इन सबके बाद ट्रंप की स्थिति कितनी कमजोर होगी, ये देखने वाली बात होगी. वैसे इस नुकसान की भरपाई मुश्किल लगती है. बिजनेसमैन से राष्ट्रपति तक का सफर पूरा करने वाले ट्रंप को लगता है अब भी दोनों के बीच का फर्क नहीं पता. वो अब भी एक बिजनेसमैन जैसे पेश आते हैं, वो भी एक बुरे बिजनेसमैन के रूप में. उन्होंने अपनी मुश्किलें बढ़ाई ही हैं. क्या #ImpeachTrump वाला हैशटैग ही हैशटैग ही रह जाएगा या अमेरिका इस बारे में कुछ करेगा?
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