सिक्योरिटी फर्म अपगार्ड.कॉम के हवाले से खुलासा हुआ है कि सोमवार को तकरीबन 20 करोड़ अमेरिकी वोटरों की अहम निजी जानकारियां गलती से ऑनलाइन लीक हो गईं. इसकी वजह गलत कन्फिगुरेशन सिक्योरिटी सेटिंग थी.
इन जानकारियों में 20 करोड़ लोगों के नाम, जन्मदिन, एड्रेस, फोन नंबर, वोटर रजिस्ट्रेशन डिटेल्स और सोशल मीडिया अकॉउंट्स के पोस्ट्स थे. ये जानकारियां रिपब्लिक के डेटा फर्म डीप रूट एनालिटिक्स के अलावा दो अन्य रिपब्लिक के कॉन्ट्रैक्टर्स ने इकट्ठा की थी.
खास बात ये है कि अभी पिछले साल अक्टूबर में ही एक वेबसाइट पॉलिटिको.कॉम ने एक रिपोर्ट में बताया था कि अमेरिका में रजिस्टर्ड वोटरों की संख्या 20 करोड़ से थोड़ी ज्यादा है. इसका मतलब है कि लगभग-लगभग सभी वोटर इस लीक का शिकार हैं.
ट्रंप की जीत पर उठेंगे सवाल?
अपगार्ड ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि हमारी साइबर रिस्क टीम अब यह कन्फर्म कर सकती है कि 20 करोड़ रजिस्टर्ड अमेरिकी वोटरों की निजी जानकारियां उस कंपनी ने ऑनलाइन लीक होने के स्थिति में छोड़ दिया, जो डॉनल्ड ट्रंप की जीत के लिए रिपब्लिकन नेशनल कमिटी की मदद कर रही थी.
अपगार्ड के साइबर रिस्क एनालिस्ट क्रिस विकरी ने सीएनएनटेक से कहा, 'समझ लीजिए कि ये डेटा वोटरों के एनालिसिस का डीएनए है.' उन्होंने इसके खतरों की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा, 'इन जानकारियों से आप किसी के बारे में ये अनुमान काफी आसानी से लगा सकते हैं कि वो किसी विशिष्ट मुद्दे पर किस तरह वोट देगा.'
विकरी की बात पर गौर करें तो नवंबर में हुए अमेरिकी प्रेसीडेंशियल इलेक्शन पर उठाए गए सवाल काफी वाजिब लगते हैं. ट्रंप की जीत के बाद उनके इलेक्शन कैंपेनों पर सोशल मीडिया और फेक न्यूज के प्रभाव पर सवाल उठाया गया था.
सार्वजनिक पहुंच के अंदर था डेटा
अपगार्ड ने लिखा है कि फर्म के सिक्योरिटी सिस्टम के अपग्रेड होने के बाद गलत कन्फिगुरेशन सेटिंग के चलते 1.1 टेराबाइट डेटा सार्वजनिक पहुंच के अंदर क्लाउड सर्वर पर पड़ा था. अगर कोई इस डेटा तक पहुंच जाए तो इसके बहुत से गलत इस्तेमाल किए जा सकते हैं. किसी को सोशल मीडिया पर तंग करना, पीछा करना या पॉलिटिकल तौर पर प्रभावित करना कुछ भी किया जा सकता है.
डीप रूट ने लीक की बात स्वीकारते हुए कहा कि ये सारे डेटा 1 जून को ही बाहर आ गए थे, जब फर्म ने सिक्योरिटी सेटिंग्स अपडेट किया था. फर्म ने बताया कि ये डेटा वोटर मॉडल तैयार करके विज्ञापन कंपनियों को टीवी व्यूअरशिप समझने में मदद करता है.
हालांकि ये खबर आने के बाद रिपब्लिकन नेशनल कमिटी ने एक बयान जारी कर कहा है, 'हमने डीप रूट के साथ फिलहाल आगे के सारे कामकाज को रोक दिया है. आरएनसी (रिपब्लिकन नेशनल कमिटी) वोटर्स की पर्सनल जानकारियों की सुरक्षा को लेकर बहुत गंभीर है और वेंडर्स (ऐसी कंपनियां जिन्हें डेटा इकट्टा करने का कॉन्ट्रैक्ट मिलता है) से भी ऐसी ही उम्मीद करती है.'
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