चीन ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अरूणाचल प्रदेश यात्रा का कड़ा विरोध किया है. उसका कहना है कि भारत को ऐसे समय में सीमा विवाद को ‘जटिल बनाने’ से बचना चाहिए जब द्विपक्षीय संबंध ‘निर्णायक क्षण’ में है.
राष्ट्रपति कोविंद ने रविवार को अरूणाचल प्रदेश की यात्रा की थी. कोविंद की अरूणाचल प्रदेश यात्रा के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ल्यू कांग ने मीडिया से कहा, ‘चीनी सरकार ने कभी भी तथाकथित अरूणाचल प्रदेश को स्वीकार नहीं किया और सीमा मुद्दे पर हमारी स्थिति दृढ़ और स्पष्ट है.’
ल्यू ने कहा, ‘दोनों देश एक निष्पक्ष और उचित समाधान पर पहुंचने के लिए बातचीत के जरिए इस मुद्दे का समाधान करने की प्रक्रिया में है.’ उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को शांति के माहौल के लिए लंबित अंतिम समाधान के लिए काम करना चाहिए.
ल्यू ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि भारत इसी दिशा में काम करेगा और द्विपक्षीय संबंधों की सामान्य तस्वीर को बनाए रखेगा. सीमा मुद्दे को जटिल बनाने से बचेगा ताकि बातचीत के लिए अनुकूल स्थिति बनाई जा सके.’
चीन की आपत्तियों को भारत ने किया खारिज
इधर भारत ने चीन की आपत्तियों को खारिज कर दिया है. सरकार का कहना है कि अरूणाचल प्रदेश देश का एक अभिन्न अंग है. भारतीय नेता अरुणाचल की यात्रा करने के लिए उतने ही स्वतंत्र है जितने कि देश के अन्य किसी हिस्से की.
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) 3,488 किलोमीटर तक है. चीन ने बीते 6 नवंबर को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के अरूणाचल प्रदेश के सीमाई इलाकों का दौरा करने पर भी विरोध जताया था.
सीमा विवाद के समाधान के लिए दोनों पक्षों के विशेष प्रतिनिधियों की ओर से बातचीत के 19 दौर हो चुके हैं. बातचीत का 20वां दौर अगले महीने नई दिल्ली में होगा. हालांकि तिथि की घोषणा अभी नहीं की गई है.
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