चीन ने लक्ष्यों पर बारीक नजर रखने के साथ अपनी पनडुब्बियों की मदद के लिए पानी के भीतर एक नया निगरानी तंत्र विकसित किया है. इसके जरिए हिंद महासागर सहित समुद्री सिल्क मार्ग पर राष्ट्रीय हितों की हिफाजत की जाएगी. मीडिया की एक खबर में सोमवार को यह कहा गया.
हांगकांग स्थित साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट के मुताबिक, इस तंत्र की शुरुआत पहले ही हो चुकी है. इसके जरिए पानी के भीतर की स्थिति खासकर पानी के तापमान और खारापन के बारे में सूचनाएं इकट्ठा की जाती है. इन सूचनाओं का इस्तेमाल नौसेना लक्षित पोत का सटीक पता लगाने के साथ ही नौवहन प्रणाली तथा स्थिति को और बेहतर करने में कर सकती है.
चीनी विज्ञान अकादमी (सीएएस) के अंतर्गत दक्षिण चीन सागर समुद्री विज्ञान संस्थान के नेतृत्व वाली परियोजना अभूतपूर्व सैन्य विस्तार का हिस्सा है जिसके जरिए बीजिंग समुद्र में अमेरिका को चुनौती देने की आकांक्षा रखता है.
खबर के मुताबिक, समुद्र विज्ञान संस्थान ने नवंबर में बताया था कि कई साल तक निर्माण और परीक्षण के बाद ‘अच्छे नतीजे’ देने वाली नई निगरानी प्रणाली अब नौसेना के हाथ में है.
इसमें कहा गया है कि इस प्रणाली के बावजूद चीन को वास्तविक महाशक्ति से मुकाबला करने के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है. चीन की यह प्रणाली प्लेटफार्म के नेटवर्क, पोत, उपग्रह और पानी के भीतर स्थित ग्लाइडर्स पर आधारित है और इसके जरिए दक्षिण चीन सागर और पश्चिम प्रशांत और हिंद महसागर से आंकड़े जुटाए जाते हैं.
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