चार्ल्स शोभराज अपराध की दुनिया का वो नाम है, जिसकी चर्चा कभी एशिया के सबसे बड़े अपराधियों में हुआ करती थी. लेकिन वही शोभराज अब कानून का सहारा लेकर काठमांडू के सबसे बड़े जेल से आजाद होने का रास्ता तलाश रहा है.
शोभराज अब 72 बरस का हो चुका है और शायद सलाखों के पीछे अपनी जिंदगी से वो तंग भी है. यही वजह है कि उसने काठमांडू की एक अदालत में याचिका दायर की है. जिसमें उसने मांग की है कि, नेपाल की जेल के नए गाइडलाइंस के मुताबिक उसे रिहा कर देना चाहिए. नए गाइडलाइंस के मुताबिक नेपाल में 72 साल से ज्यादा उम्र के कैदियों को जेल में नहीं रखा जा सकता है.
नेपाल की सेंट्रल जेल में वो 14 साल से ज्यादा समय तक एकांत कारावास की सजा काट चुका है.
शोभराज एक सप्ताह में दो बार अपने रिश्तेदार को टेलीफोन करता है. 12 अप्रैल 2017, बुधवार के दिन उसने अपनी सास और वकील शकुंतला थापा को कहा था कि 'मम्मी, ये लोग मुझे हमेशा के लिए यहां नहीं रख सकते. मुझे इंसाफ नहीं मिला है.'
मई 2014 को सुनवाई के लिए चार्ल्स शोभराज को भक्तपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ले जाया गया था. वर्ष 2003 में फ्रांसीसी नागरिक शोभराज को काठमांडू के एक कसीनो से गिरफ्तार किया गया था.
जेल मैन्युअल के नए गाइडलाइंस के तहत रिहा कर देगी
थापा जिन्होंने फ़र्स्टपोस्ट के लिए जेल की निगरानी में किए गए टेलीफोन कॉल के जरिए चार्ल्स शोभराज से जवाब मांगा था. उन्होंने बताया कि उनके दामाद को पूरी उम्मीद है कि नेपाल सरकार उनकी याचिका पर ध्यान देगी. नेपाल के जेल मैन्युअल के नए गाइडलाइंस के तहत उसे रिहा कर देगी. चार्ल्स शोभराज ने अप्रैल 2017 को यह याचिका दायर की है.
शोभराज जिसने कभी बड़े गर्व से कहा था कि, वो नेपाल से हाथी भी तस्करी कर ले जा सकता है, अब कह रहा है कि 'मैंने कोई हत्या नहीं की है. मुझे कुछ अज्ञात शंकाओं के आधार पर दोषी ठहराया गया है. मुझे मदद चाहिए.'
टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान शोभराज ने कहा कि, 'इस दोहरे उम्रकैद की वजह से मैं मारा जाऊंगा.' दरअसल सितंबर 2014 में शोभराज ने ऐसा बयान भक्तपुर कोर्ट के उस फैसले के बाद दिया था, जिसके तहत उसे कनेडियन बैकपैकर लारेंट कैरियर की हत्या के लिए दोषी पाया गया था.
शोभराज वियतनामी और भारतीय मूल के माता-पिता की संतान है जिसके पास फ्रांसीसी नागरिकता है.
वर्ष 1975 में काठमांडू के बाहरी इलाके में अमेरिकी टूरिस्ट कॉनी जो ब्रॉनजिक की हत्या के लिए वह नेपाल में पहले से ही उम्रकैद की सजा काट रहा है. ब्रॉनजिक और उसके दोस्त कैरियर का शव काठमांडू के दो अलग-अलग इलाकों से कई दिन बाद मिला था. दोनों के शरीर पर चाकू से कई वार करने के निशान मौजूद थे. उनके शव की पहचान न हो सके इसलिए उसे जला दिया गया था.
मैं निर्दोष हूं... मैं निर्दोष हूं... मैं निर्दोष हूं
लेकिन शोभराज ने कहा कि, 'मैं अपनी याचिका के जरिए ये लगातार कहता रहूंगा कि मैं निर्दोष हूं... मैं निर्दोष हूं... मैं निर्दोष हूं. जब इन शवों को पुलिस ने नेपाल से पाया तब मैं नेपाल में मौजूद नहीं था लेकिन कोई मुझपर यकीन नहीं करता.'
शोभराज ने जेल कर्मचारियों से कहा है कि, अगर उसे रिहा कर दिया जाता है तो वो कोलकाता के सेंटर ऑफ मिशनरिज ऑफ चैरिटी में बतौर वॉलेंटियर काम करेगा.
हालांकि, जब शोभराज से पूछा गया कि, क्या जिन-जिन देशों में वो घूमा और वहां जो आरोप उस पर लगे हैं, क्या वो सभी आरोप बेबुनियाद हैं ? इसपर वह खामोश हो गया. इसके बाद उसने अपनी सास से कहा कि, 'भारत में जो चार्जशीट दायर किया गया है उसमें यह नहीं कहा गया है कि मैं हत्यारा हूं. मैं इंसाफ मांग रहा हूं. नेपाल की अदालत से मैं केवल न्याय मांग रहा हूं.'
शोभराज ने कहा कि, 'मैं यहां मर रहा हूं. मुझे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो रही हैं जिसपर ध्यान देना जरूरी है लेकिन मेरी याचिकाएं लगातार खारिज हो रही हैं.'
शोभराज का सवाल थापा से है कि, 'ऐसा पूरी दुनिया में कहीं नहीं होता है. क्यों नहीं सरकार मुझे माफ कर देती है, और मुझे सामान्य जीवन जीने देती है ?'
काठमांडू के डॉक्टरों ने शोभराज का मेडिकल चेकअप किया है. उन्होंने उसे ओपन हार्ट सर्जरी की सलाह दी है. कथित तौर पर सीरियल किलर शोभराज डायबीटिज से पीड़ित है और उसे नर्व डिजार्डर की भी समस्या है.
लेकिन 27 साल की निहिता और उसकी मां को छोड़कर पूरे नेपाल में कोई भी ऐसा नहीं है जो शोभराज के दावे का समर्थन करता हो.
जेल के अंदर माला पहनाकर ब्याह रचाई
निहिता, जिसने जेल के अंदर शोभराज से एक-दूसरे के गले में माला डालकर ब्याह रचाई थी, उसका कहना है कि वो अपने पति की रिहाई का इंतजार करती रहेगी. निहिता का कहना है कि, 'और मैं क्या कर सकती हूं ? मैं सिर्फ इंतजार कर सकती हूं. बमुश्किल मैं उन्हें देख पाती हूं. उन्हें लेकर मैं कुछ भी बोल नहीं सकती... क्योंकि भारत और नेपाल में उन्हें लेकर लोगों का खास माइंडसेट है. मैं नहीं जानती कि, मैं उन्हें रिहा करा भी पाऊंगी या नहीं. वो ठीक नहीं है और संघर्ष कर रहे हैं.'
निहिता का कहना है कि, 'नेपाल में उन्होंने किसी कि हत्या नहीं की है. थाइलैंड और भारत में उनके खिलाफ आरोप कभी तय नहीं हुए. ऐसे में हम यहां क्या बातें कर रहे हैं.'
हालांकि, निहिता और उसकी मां, शोभराज के ग्रीस, अफगानिस्तान और भारत की जेलों से भागने से जुड़े मामलों पर चुप्पी साध लेती है. यहां तक कि दिल्ली की सबसे सुरक्षित माने जाने वाली तिहाड़ जेल से भी शोभराज रफूचक्कर हो चुका है. तब उसने जेल के गार्ड को लड्डू में नशे का सामान मिलाकर खिला दिया था और जेल से फरार हो गया.
काठमांडू पुलिस कहती है कि नेपाल में जो हत्याएं हुईं उसमें शोभराज और थाइलैंड से आया उसका साथी मैरी एंड्री लेकरेक शामिल था. लेकरेक कनेडियन मेडिकल सेक्रेटरी था. काठमांडू में हुए डबल मर्डर की जांच करने वाले एक पुलिस अधिकारी विश्वलाल श्रेष्ठ के मुताबिक, 'जब वह थाइलैंड से नेपाल की सीमा में दाखिल हुआ. इससे पहले ही वह बैंकाक और इसके बाहरी इलाके में कुछ हत्याएं कर चुका था.'
शोभराज दुनिया का सबसे बड़ा ठग है
श्रेष्ठ कहते हैं कि, 'शोभराज दुनिया का सबसे बड़ा ठग है. आखिरकार वो कानून के शिकंजे में आ ही गया. वो मास्टर ऑपरेटर था. नेपाल की जेल से उसकी रिहाई की संभावना ना के बराबर है.'
उन्होंने कहा कि, वो नेपाल के जेल मैन्युअल में हुए हाल के बदलावों के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कह सकते. वो ये भी नहीं बता सकते कि क्या इस नए नियम का फायदा शोभराज उठा सकता है या नहीं?
कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि, भारत और नेपाल के लोगों के जेहन से इस केस की यादें खत्म हो गई हैं. काठमांडू में एक होटल मैनेजर राकेश थापा कहते हैं कि, 'वो सिर्फ नाम है, एक गुजरा हुआ कल. शोभराज के बारे में अब कोई नहीं चर्चा करता.' ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि ये मामला आधी सदी से ज्यादा समय का हो चुका है.
58 साल पुराने इस मामले से संबंधित बहुत कम दस्तावेज अब नेपाल पुलिस के पास बचे हैं. लेकिन जो इस मामले की तहकीकात से जुड़े रहे उनका कहना है कि, नेपाल आने से पहले शोभराज एक भारतीय अजय चौधरी के साथ मिलकर पांच हत्याएं कर चुका था.
पहली शिकार थी सियेटल की टेरेसा नोटोन, जिसका शव बिकनी पहने स्वीमिंग पूल में पाया गया था. इसके अलावा शोभराज ने एक यहूदी शख्स विटाजी हाकिम की भी हत्या की थी. उसका शव पटाया में फेंका मिला था. हाकिम की गर्लफ्रेंड कारमेन कारू की भी हत्या कर दी गई थी. शोभराज और उसके साथी चौधरी ने एक डच दंपत्ति की भी हत्या की थी और उनके शवों को जला दिया था.
श्रेष्ठ कहते हैं कि, 'जब नेपाल के काठमांडू में दुनिया भर से हिप्पी जुट रहे थे तब शोभराज और उसके साथी के लिए हत्या कर भाग निकलना बेहद आसान रहा होगा. वो पूरे एशिया में इधर-उधर जाता था. सात भाषाएं बोलता था. खुद को इजरायली विद्वान बताता था. तो कभी खुद को लेबनान का बड़ा कपड़ा कारोबारी बताता था. वो इसी तरह सैकड़ों बातें बताया करता था. वो नशा खिलाकर लूटपाट करने वाला बेहद खतरनाक अपराधी था.'
शोभराज को उम्रकैद की सजा दे दी गई
लेकिन जब वह 2003 में नेपाल पहुंचा तो 1975 में उसने जिस डच दंपत्ति की हत्या की थी उस मामले की जांच की आंच उस तक पहुंचने लगी थी. तब डच डिप्लोमेट निपरबर्ग ने इस मामले में बेहद गंभीर सबूत इकट्ठा किए थे. इतना ही नहीं इंटरपोल के पास भी शोभराज के खिलाफ कई सबूत थे. इसी आधार पर वर्ष 2005 में शोभराज को उम्रकैद की सजा दे दी गई.
काठमांडू के स्थानीय लोग बताते हैं कि, शोभराज को उम्रकैद की सजा सुनाई गई तब लोगों को किसी प्रकार का दुख नहीं हुआ था. वरिष्ठ पत्रकार गोकर्ण अवस्थी के मुताबिक, 'वो कभी संत तो नहीं था. वो पश्चिमी देशों के कई युवा जिन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी उन्हें हिप्पी संप्रदाय का ख्वाब दिखाया करता था. अध्यात्म की खोज में भटक रहे ऐसे कितने लोगों को शोभराज लूटा करता था और कई की हत्या भी उसने की थी.'
हालांकि, शोभराज की सास कहती हैं कि, ये सभी आरोप बेबुनियाद हैं क्योंकि उसके खिलाफ कुछ साबित नहीं हो सका. पानी के ऊपर किसी प्रोजेक्ट को पूरा करने के सिलसिले में वो नेपाल में था और नेपाल पुलिस ने बड़ी ही आसानी से उसे सलाखों के पीछे डाल दिया.
थापा कहती हैं कि, 'मुझे याद दिलाना पड़ेगा कि मेरा दामाद कभी भी हत्या का दोषी करार नहीं दिया गया है. यहां तक कि भारत में भी नहीं. जहां उसने नेपाल आने से पहले 21 साल जेल की सजा काटी थी. पुलिस के लिए उसे गिरफ्तार करना फैशनेबल था.'
थापा कहती हैं कि, 'वो मर रहा है और उसकी दोहरी सजा उसे मार देगी. अगर नए कानून के तहत 72 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले कैदियों को रिहा कर देना चाहिए तो फिर नेपाल सरकार को मेरे दामाद को भी छोड़ देना चाहिए.'
मानवाधिकार का सरासर उल्लंघन
थापा कहती हैं कि, 'नेपाली पुलिस ने कभी भी सुनवाई के दौरान उसके खिलाफ एक सबूत तक नहीं पेश किया. उन लोगों ने बस उसे गिरफ्तर में ले लिया जो बिल्कुल गलत है. ये मानवाधिकार का सरासर उल्लंघन है.'
काठमांडू के सूत्र बताते हैं कि, शोभराज काठमांडू के सेंट्रल जेल में गोलघर (मुंबई के आर्थर रोड जेल के अंडा सेल जैसा ही है) में बंद है. शोभराज को सेंट्रल जेल में दिलिबाजार जेल से लाया गया था. दिलिबाजार जेल में ही उसे सबसे पहले रखा गया था.
दिलचस्प तो ये है कि, गोलघर खुद जेल के अंदर बना एक जेल जैसा है. इसमें कैदियों के लिए सात अलग-अलग सेल बने हुए हैं. कैदियों को यहां कॉन्क्रीट के फर्श पर ही सोना पड़ता है.
मुल्तान थिबा, एक सियासी कैदी, जो इस गोलघर में शोबराज के साथ चार महीने तक रहे थे. उन्होंने हाल ही में एक नेपाली अखबार को बताया कि जेल में शोभराज कैसे रहा करता था. 'वो सीधे हमारे पास आया और कहा कि मेरी सास बाबूराम भट्टारी की कानूनी सलाहकार रही है. अगर माओवादी नेपाल की सत्ता पर काबिज हो जाते हैं तो उन्होंने मुझे आजादी देने का भरोसा दिलाया है. वो हमेशा माओवादियों की तारीफ किया करता था.'
उसके पास बहुत पैसे हुआ करते थे
शोबराज आधी रात को जिम किया करता है. उसने वेट लिफ्टिंग के लिए घी के खाली बॉक्स को कपड़े से लपेट कर उसमें बालू भरा है. वेट ट्रेनिंग के लिए वो पानी से भरे ड्रम का इस्तेमाल किया करता है. कैदियों के नेता को वो पैसे देता है और उसने उनका सम्मान हासिल कर रखा है. एक वक्त उसके पास बहुत पैसे हुआ करते थे. वो कभी भी कॉमन टॉयलेट इस्तेमाल नहीं करता है. वो हमेशा दावा करता है कि, उसके कपड़े फ्रांस से आते हैं और वो विदेशी सिगरेट पीता है.'
'वो शतरंज का जबरदस्त खिलाड़ी है. वो किसी को भी 10 से 15 चाल में मात दे सकता है.'
नाम छुपाने की शर्त पर एक जेल कर्मचारी बताते हैं कि, 'दो किताबें जो शोभराज हमेशा अपने साथ रखता है वो मैक्सिम गोर्की की ‘मदर’ और स्टीफन हॉकिंग्स की ‘ए ब्रीफ हिस्टरी ऑफ टाइम’ है. वो कहते हैं कि एक वक्त था जब उसके सेल की तलाशी के दौरान हमें कई पॉर्नोग्राफिक मैगजीन मिलते थे. 72 की उम्र में भी वो सुपर स्मार्ट है. वो अक्सर कहा करता था कि वो शादी नहीं करेगा. निहिता उसकी आखिरी पत्नी है.'
इतना ही नहीं शोभराज अब जेल के कैदियों से कहता है कि, मुंबई के फिल्मकारों के लिए वो चार कहानियां तैयार कर चुका है. यहां तक कि उसने अपनी आत्मकथा भी लिख ली है जिसके लिए वो किसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंट के इंतजार में है जो उसे इसकी कीमत 4 करोड़ रुपए दिला सके.
थापा कहती हैं कि, 'उसे पूरा यकीन है कि उसे एजेंट जल्द मिल जाएगा. वो रात दिन लिखने में लगा है.'
शोभराज की रिहाई के लिए अभियान छेड़ा
फिल्म 'मैं और चार्ल्स' में अभिनेता रणदीप हुड्डा ने शोभराज का किरदार निभाया था. वर्ष 2015 में उन्होंने भी शोभराज की रिहाई के लिए अभियान छेड़ा था. तब हुड्डा ने कहा कि, उन्हें पूरी तरह यकीन है कि शोभराज निर्दोष है. कथित सीरियल किलर की रिहाई के लिए वो फिर से अभियान की शुरुआत करेंगे.
हालांकि उसके दावे पर कोई यकीन नहीं करने वाला है. एकांत कारावास में कभी ‘बिकनी किलर’ के नाम से मशहूर चार्ल्स शोभराज, जो कभी करिश्माई शख्सियत का मालिक था, आज बेहद बुरे दौर से गुजर रहा है. शोभराज को एक साहित्यिक एजेंट, एक फिल्म फाइनेंसर और इससे भी कहीं ज्यादा अपनी आजादी की जरूरत है.
जेल के बाहर निहिता और थापा दूसरी सुनवाई का इंतजार करते हैं. वो हमेशा नेपाल के सबसे बड़े शिव मंदिर, पशुपतिनाथ मंदिर में प्रार्थना करना नहीं भूलते. उन्हें यकीन है कि अगर आप भगवान के देश में रहते हैं तो चमत्कार भी होते हैं.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.