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क्या है Brexit, यूरोपियन यूनियन से क्यों निकलना चाहता है ब्रिटेन और अब तक क्या हुआ है, जानिए सब कुछ

अगर आप ब्रेक्जिट को नहीं समझते तो ब्रेक्जिट और इससे जुड़े हर पहलू को जानिए और ये भी पढ़िए कि अब तक इस मसले में क्या-क्या हुआ है-

Updated On: Jan 17, 2019 03:15 PM IST

Tulika Kushwaha Tulika Kushwaha

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क्या है Brexit, यूरोपियन यूनियन से क्यों निकलना चाहता है ब्रिटेन और अब तक क्या हुआ है, जानिए सब कुछ

Brexit डील पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे को संसद में भारी हार का सामना करना पड़ा है. 15 जनवरी को ब्रिटेन की संसद में ब्रेक्जिट समझौते पर हुई वोटिंग में टेरीजा मे के खिलाफ 230 वोट डाले गए हैं. इस डील पर संसद के 432 सांसदों में से महज 202 सांसदों ने उनके पक्ष में वोट किया है.

मंगलवार शाम को संसद में वोटों की घोषणा की गई, जिसमें 432 सांसदों में से 202 सासंदों का वोट समर्थन में और 230 का वोट खिलाफ में गया. इसके साथ ही ब्रेक्जिट डील को पास कराने की मे की अंतिम कोशिश भी विफल रही है.

ब्रेक्जिट डील पर टेरीसा मे की हार पक्की ही थी लेकिन किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि उन्हें इतने बड़े स्तर पर खिलाफ में वोट मिलेंगे. अब मे की पहले से ही कमजोर सरकार के गिरने का खतरा भी सामने आ गया है. विपक्षी लेबर पार्टी उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई है.

लेकिन अगर आपको ब्रेक्जिट के बारे में चीजें ज्यादा साफ नहीं हैं और आप ब्रेक्जिट को नहीं समझते तो पहले ब्रेक्जिट और इससे जुड़े हर पहलू को जानिए और ये भी पढ़िए कि अब तक इस मसले में क्या-क्या हुआ है.

BREXIT क्या है?

ब्रेक्जिट शब्द ब्रिटेन (Britain) और एक्जिट (Exit) से मिलकर बना है. ये टर्मिनोलॉजी ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन यानी यूरोपीय संघ से निकलने को लेकर हुए समझौते से निकला है. 2016 में ब्रिटेन ने यूरोपियन यूनियन को छोड़ने को लेकर 52%-48% की मार्जिन पर वोट दिया था.

यूरोपियन यूनियन क्या है?

यूरोपियन यूनियन 28 अधिकतर यूरोपीय देशों का राजनीतिक और आर्थिक संघ है. सामान्य शब्दों में कहें तो ये 28 यूरोपीय देशों की राजनीतिक और आर्थिक पार्टनरशिप है. इसे दूसरे विश्व युद्ध के बाद शुरू किया गया था ताकि इन देशों के बीच आर्थिक संबंध पैदा हो सकें. इसके पीछे ये कॉन्सेप्ट था कि जो देश आपस में व्यापार करते हैं, उनमें युद्ध की संभावनाएं कम हो जाती हैं.

अब यूरोपीय संघ काफी बड़ा हो चुका है. इसकी खुद की करेंसी यूरो है, जिसे इसके 19 सदस्य देश इस्तेमाल करते हैं. और इन देशों के नागरिकों को एक से दूसरे देश की यात्रा करना बहुत आसान है. यानी इन देशों के नागरिक एक-दूसरे देश में ऐसे यात्रा करते हैं, जैसे वो एक ही देश में यात्रा कर रहे हैं.

ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन को क्यों छोड़ रहा है?

ब्रिटेन में 2014 में में इमिग्रेशन यानी प्रवासियों के बड़ी संख्या में आने को वहां की तीसरी सबसे बड़ी समस्याओं में रखा गया था. एक सर्वे में सामने आया था कि ब्रिटेन में 1994 में जितने प्रवासी रह रहे थे, 2014 में उनकी संख्या उसकी दोगुनी हो चुकी थी. यूरोपियन यूनियन के सदस्य देशों के नागरिक रोजगार और बेहतर जिंदगी के लिए बड़ी संख्या में ब्रिटेन की ओर ही रुख करते हैं, जिससे ब्रिटेन के सामने नौकरी और जनसंख्या की बड़ी समस्या पैदा हो गई है. इसके बाद ब्रेक्जिट का विचार रखा गया.

23 जून, 2016 को ब्रिटेन ने ब्रेक्जिट के लिए वोट किया. ब्रेक्जिट के पक्ष में 51.9% वोट पड़े और खिलाफ में पड़े 48.1% वोट. यानी मार्जिन बहुत ज्यादा नहीं रहा है लेकिन ब्रिटेन ने यूरोपियन यूनियन से निकलने का फैसला किया. इस वोटिंग में लगभग 30 मिलियन लोगों ने हिस्सा लिया था. हालांकि, बता दें कि यूनाइटेड किंगडम का हिस्सा देस स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड ने ईयू में रहने के पक्ष में वोट किया था.

Anti-Brexit banners are seen during a demonstration outside the Houses of Parliament in London

अब तक क्या-क्या हुआ है?

23 जनवरी, 2013- तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने पहली बार यूरोपियन यूनियन में ब्रिटेन की भूमिका के भविष्य पर बात की. उन्होंने ईयू से ब्रिटेन के निकलने के रेफरेंडम का जिक्र किया.

22 फरवरी, 2016- रेफरेंडम की तारीख की घोषणा हुई. तारीख रखी गई- 23 जून, 2016

23 जून, 2016- रेफरेंडम पर वोट डाला गया. ब्रेक्जिट के पक्ष में 51.9 प्रतिशत और ईयू में बने रहने के पक्ष में 48.1 प्रतिशत वोटिंग हुई और ब्रेक्जिट का फैसला हो गया.

24 जून, 2016- कैमरन ने रेफरेंडम पास होने के बाद इस्तीफा दे दिया क्योंकि वो खुद ईयू छोड़ने के खिलाफ थे. उनका कहना था कि वो इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं, ताकि देश को कोई ऐसा नेता लीड करे, जो ब्रेक्जिट पर जनता के पक्ष के साथ आगे बढ़े.

13 जुलाई, 2016- कैमरन के इस्तीफे के बाद टेरीसा मे को ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री चुना गया.

17 जनवरी, 2017- टेरीसा मे ने ब्रेक्जिट पर सरकार का नया प्लान पेश किया. इसमें उन्होंने नेगोसिएशन्स, फ्री ट्रेड, सिक्योरिटी, इमिग्रेशन और वर्कर्स राइट्स को अपनी प्राथमिकता बताई.

2 फरवरी, 2017- सरकार ब्रेक्जिट पर श्वेत पत्र ले आई.

29 मार्च, 2017- मे ने आखिरकार ईयू के लिस्बन ट्रीटी के आर्टिकल 50 को इन्वोक किया. यानी उन्होंने ईयू को आधिकारिक तौर पर ब्रिटेन के निकलने का प्रस्ताव दे दिया. अब ब्रिटेन के पास एक डील नेगोशिएट करने के लिए दो साल का वक्त है.

19 जून, 2017- ईयू और यूनाइटेड किंगडम ने ब्रेक्जिट की प्रक्रिया और शर्तों पर बातचीत शुरू की, जो किसी खास नतीजे पर नहीं पहुंची.

19 मार्च, 2018- ईयू और यूके ने बयान जारी कर कहा कि उनमें आपस में कई मुद्दों पर सहमति बन गई है.

14 नवंबर, 2018- ब्रेक्जिट का विदड्रॉल एग्रीमेंट पब्लिश किया गया. इस समझौते पर विपक्ष के साथ-साथ टेरीसा मे की पार्टी तक ने विरोध दर्ज कराया और अगले दिन ब्रेक्जिट के दो प्रमुख सचिवों ने इस्तीफा दे दिया.

25 नवंबर, 2018- ईयू के नेताओं ने आखिरकार विदड्रॉल एग्रीमेंट को समर्थन दिया.

11 दिसंबर, 2018- मे को अपनी पार्टी के भीतर से विरोध झेलना पड़ा और उनके खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव में बहुत मुश्किल से वो अपना पद बचा पाईं.

Theresa May leaves a cabinet meeting

17 दिसबंर, 2019- टेरीसा मे ने ब्रेक्जिट डील पर वोट के लिए 14 जनवरी की तारीख की घोषणा की.

15 जनवरी, 2019- यूके की पार्लियामेंट ने ब्रेक्जिट डील को खारिज कर दिया. ब्रेक्जिट पर यूके पार्लियामेंट के 432 सांसदों में से बस 202 सांसदों ने समर्थन में वोट डाला और 230 सांसदों ने खिलाफ में वोट किया. विपक्षी लेबर पार्टी मे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया.

16 जनवरी, 2019- टेरीसा मे की सरकार को अविश्वास प्रस्ताव में 325 सांसदों का समर्थन मिला और उनकी सरकार फिलहाल गिरने से बच गई है. इस प्रस्ताव में 306 सांसदों ने उनके खिलाफ वोट किया है.

29 मार्च, 2019- ब्रेक्जिट के लिए डील नेगोशिएट करने की डेडलाइन. अगर कोई डील तय नहीं होती है तो ब्रिटेन अपने आप 29 मार्च, 2019 की रात 11 बजे ईयू से बाहर हो जाएगा. इसके बाद एक ट्रांजिशन पीरियड शुरू होगा, जिसमें ब्रिटेन के बाहर होने संबंधी सारी प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी.

31 दिसबंर, 2020- ट्रांजिशन पीरियड खत्म हो जाएगा.

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