प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल दौरे पर निकल गए हैं. इस दौरे को भारत-इजरायल संबंधों के लिए बहुत अहम दौरा कहा जा रहा है. पहली बार भारत का कोई प्रधानमंत्री इजरायल दौरे पर जा रहा है. इस दौरे पर बहुत से अहम समझौते हो सकते हैं. लेकिन इस दौरे पर एक और खास चीज होने वाली है.
पीएम मोदी ने बेबी मोशे हॉल्जबर्ग और उसकी केयरटेकर सैंड्रा सैमुअल से मिलने के लिए बुलावा भेजा है. 10 साल के बेबी मोशे से मोदी की मुलाकात ने इस यात्रा को भावुक बना दिया है. क्या आप जानते हैं बेबी मोशे कौन है? बेबी मोशे का कनेक्शन 26/11 मुंबई हमलों से है.
'भारत सरकार को पीड़ितों की चिंता'
सैंड्रा सैमुअल ने इसपर कहा है कि उन्हें बहुत खुशी है कि भारतीय पीएम मोदी इस यात्रा में उनसे और बेबी मोशे से मिलेंगे. ये प्रस्ताव दिखाता है कि भारत की सरकार को 26/11 के पीड़ितों की चिंता है.
उन्होंने कहा कि मुझे जब मोशे के दादाजी रब्बाई शिमॉन रॉजेनबर्ग ने बताया कि पीएम मोदी ने हमें मिलने के लिए बुलाया है तो मुझे विश्वास नहीं हुआ लेकिन मैं बहुत खुश और उत्साहित हूं.
क्या हुआ था बेबी मोशे के साथ?
बेबी मोशे और उसके इजरायली माता-पिता मुंबई के नरीमन हाउस (अब चबाड हाउस) में रहते थे. सैंड्रा सैमुअल मोशे की आया के तौर पर काम करती थीं. 2008 में 26 नवंबर को मुंबई पर लश्कर तैयबा के हमले में नरीमन हाउस को भी निशाना बनाया गया. यहां मरने वाले 173 लोगों में से बेबी मोशे के माता-पिता भी थे. सैंड्रा ने बेबी मोशे को बचा लिया. उस वक्त मोशे महज 2 साल का था.
सैंड्रा सैमुअल ने उस रात की सारी घटना अगले साल सीएनएन को दिए गए एक इंटरव्यू में बताई थी. उन्होंने कहा कि उनके अपने दो बेटों से मिलने वो हर बुधवार को जाती थीं लेकिन उस रात वो नहीं गई थीं. उनका कहना था कि भगवान ने उन्हें उस रात वहां ठहरने को मजबूर किया क्योंकि उसे पता था कि क्या होने वाला है.
बच्चे की आया ने बचाई जान
सैंड्रा ने बताया कि जब उन्होंने गोलियों की आवाज सुनी तो, उन्होंने नीचे का फोन उठाया, ऊपर से ढेर सारी आवाजें आ रही थीं. उन्होंने फोन का तार निकाल दिया और लॉन्ड्री रूम में जाकर छिप गईं. वो कहती हैं मुझे कुछ समझ नहीं आया. मैं जाकर कायरों की तरह छुप गईं. मैं तब निकली जब अगली सुबह बेबी मोशे की आवाज आई. वो मुझे बुला रहा था. मैं ऊपर कमरे में गई. मैंने देखा मोशे के माता पिता रब्बाई गैव्रिएल हॉल्ट्जबर्ग और मां रिव्का खून में लथपथ थे. उनकी मौत हो चुकी थी. बेबी मोशे उनके पास बैठा हुआ था. मैंने चुपचाप उसे उठाया और बिल्डिंग से बाहर भाग गई.
इसके बाद मां-पिता की अंत्येष्टि के बाद बेबी मोशे अपने दादा-दादी के साथ इजरायल चला गया, साथ में गईं सैंड्रा सैमुअल. मोशे बस सैंड्रा को ही पहचानता था. सैंड्रा ने उसका अपने बच्चे की तरह ख्याल रखा. मोशे को इजरायल की नागरिकता प्रदान की गई. वो अपने दादा-दादी के साथ रहने लगा. सैंड्रा को भी 2 साल बाद इजरायल की नागरिकता दे दी गई. उन्हें वहां उनकी बहादुरी के लिए बहुत सम्मान मिला.
इजरायली सरकार ने भी उन्हें सम्मान दिया है.
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