प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राजनीतिक हितों के लिए आतंकवाद का समर्थन कर रहे राष्ट्रों के खिलाफ वैश्विक स्तर पर ठोस कार्रवाई करने की जी20 शिखर सम्मेलन में अपील की और अलकायदा और आईएसआईएस के साथ लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद को बड़े आतंकवादी संगठन बताया.
जी20 देशों के नेताओं ने आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं के समाधान और मुक्त व्यापार जैसे मामलों पर विचार विमर्श किया. ऐसे में, मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया और आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के अधिकारियों के जी20 देशों में प्रवेश पर रोक लगाने की वकालत की.
PM @narendramodi : Very important to understand terrorism before action pic.twitter.com/8SP1PXqWcJ
— Gopal Baglay (@MEAIndia) July 7, 2017
हिंसक प्रदर्शनों के बीच जर्मन शहर में शिखर सम्मलेन शुरू हुआ. जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल ने विवादास्पद मुद्दों पर कोई सर्वसम्मति नहीं बन पाने की स्थिति में 'समझौता' करने का भी प्रस्ताव रखा, जबकि भारत उन अधिकतर देशों के पक्ष में प्रतीत हुआ जिन्होंने ग्लोबल वार्मिग, संरक्षणवाद और आतंकवाद को दी जा रही वित्तीय मदद के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक कदम उठाने की मांग की.
जी20 देशों ने नेताओं ने इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिए कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने और आतंकवादियों की पनाहगाहों के खिलाफ कार्रवाई करने का संकल्प लिया.
मोदी ने कहा, 'जी-20 को आतंकवाद को पैसे मुहैया कराने, फ्रेंचाइजी, सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराने, समर्थन करने और प्रायोजित करने का सामूहिक तौर पर विरोध करना चाहिए.' प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का नाम लेते हुए पाकिस्तान पर निशाना साधा और कहा कि कुछ देश राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आतंकवाद का एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.
PM welcomed plan of action in #G20 on Counter Terrorism and presented 11 point action agenda for it pic.twitter.com/Ig6maKcX1y
— Gopal Baglay (@MEAIndia) July 7, 2017
उन्होंने जी-20 सदस्य देशों से इस तरह के राष्ट्रों के खिलाफ ऐसा सामूहिक कदम उठाने की मांग की जो 'प्रतिरोधक' बन सके.
मोदी ने जी-20 शिखर बैठक को संबोधित करते हुए लश्कर और जैश की तुलना आईएसआईएस और अलकायदा से की और कहा कि इनके नाम भले ही अलग हों, लेकिन इनकी विचारधारा एक है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग जैसे विश्व नेताओं की मौजूदगी में मोदी ने इस बात पर अफसोस जताया कि आतंकवाद को लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया 'कमजोर' है और उन्होंने कहा कि इस समस्या का मुकाबला करने के लिए और सहयोग की जरूरत है.
प्रधानमंत्री ने 11 सूत्री 'कार्य एजेंडा' पेश किया जिसमें जी-20 देशों के बीच आतंकवादियों की सूचियों के आदान-प्रदान, प्रत्यर्पण जैसी कानूनी प्रक्रिया को आसान बनाने और गति देने और आंकवादियों को धन और हथियारों की आपूर्त पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाने के सुझाव शामिल हैं.
मोदी ने पाकिस्तान की ओर से स्पष्ट रूप से इशारा करते हुए कहा, 'कुछ देश आतंकवाद का इस्तेमाल राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कर रहे हैं.'
उन्होंने दक्षिण एशिया में लश्कर और जैश की गतिविधियों की तुलना पश्चिम एशिया में दाएश आईएसआईएस, अलकायदा और नाइजीरिया में बोको हराम की गतिविधियों से की.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'इनकी एकमात्र विचारधारा नफरत फैलाना और नरसंहार करना है.' आतंकवाद के प्रति अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया के कमजोर होने पर अफसोस जताते हुए मोदी ने कहा कि इस समस्या से निपटने में देशों का नेटवर्क कम है, जबकि आतंकवादियों का नेटवर्क बेहतर है.
इससे पहले दिन में मोदी ने ब्रिक्स नेताओं के साथ अनौपचारिक बैठक में कहा कि उत्तर कोरिया में भूराजनीतिक तनाव और खाड़ी और पश्चिम एशिया के घटनाक्रम चिंता का विषय हैं.
शिखर बैठक स्थल के बाहर पूंजीवाद विरोधी कार्यकर्ताओं और दूसरे मानवाधिकार समूहों ने प्रदर्शन किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर बैठक से इतर जापान और कनाडा के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय मुलाकातें की. जिनमें कई विश्व नेता शामिल थे.
उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे, जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों. ब्राजील के राष्ट्रपति मिचेल टेमर और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जुमा, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रुदो से द्विपक्षीय मुलाकात की और कई मुद्दों पर अनौपचारिक बातचीत की.
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