ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों से निपटने के लिए वायुमंडल में कृत्रिम रूप से एरोसेल डाल वातावरण से जानबूझकर किया जा रहा खिलवाड़ खतरनाक साबित हो सकता है. एक अध्ययन में यह दावा किया गया है.
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उक्त संभावित तरीके को तैयार किया गया है.
ब्रिटेन के एक्सेर विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स का कहना है कि एक गोलार्ध में भू-अभियांत्रिकी को निशाना बनाना दूसरों के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है.
उन्होंने कहा कि उत्तरी गोलार्ध में एरोसेल डालने से उष्णकटिबंधीय चक्रवात गतिविधि (तूफान कैटरिना सहित कई हालिया घटनाओं के लिए जिम्मेदार) को कम किया जा सकता है. लेकिन उसी समय इससे साहेल (सहारा रेगिस्तान के दक्षिण में उप सहारा अफ्रीका का क्षेत्र) में सूखे की आशंका बढ़ जाती है.
एक्सेर विश्वविद्यालय के एंथनी जोनस ने कहा, ‘हमारे नतीजे इस बात की पुष्टि करते हैं कि सौर जियोइंजीनियरिंग एक अत्यधिक जोखिम भरी रणनीति है, जो एक समय पर ही एक क्षेत्र को फायदा और अन्य को नुकसान पहुंचा सकती है.’
उन्होंने कहा कि नीति निर्माताओं के लिए आवश्यक है कि वो सौर जियोइंजीनियरिंग को गंभीरता से लें और प्रभावी विनियमन को स्थापित करने के लिए तेजी से कदम उठाए.
अध्ययन ‘नेचर कम्युनिकेशन’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया.
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