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शोधकर्ताओं को इटली में मिली एक और 'पिशाच की कब्र'

विचित्र मान्यता के तहत मृतक के मुंह में पत्थर डाला जाता था ताकि वो बढ़ न सके और बीमारी को फैलने से रोका जा सके

Updated On: Oct 16, 2018 04:36 PM IST

FP Staff

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शोधकर्ताओं को इटली में मिली एक और 'पिशाच की कब्र'

एक मकबरा जो पहले एक विशाल रोमन विला हुआ करता था के भीतर एक 10 साल के बच्चे का कंकाल मिला है. जो करीब 1,500 साल पहले मर गया था. कंकाल का मुंह खुला हुआ है और इसके मुंह में एक विशाल अंडे के आकार का चूना पत्थर मिला है.

शोधकर्ताओं के मुताबिक बच्चे के लिंग के बारे में अभी पता नहीं चल सका है. लेकिन उसकी मौत का कारण पता करने में वह कुछ हद तक कामयाब रहे हैं. उनका कहना है कि इस समुदाय के लोगों की मौत पांचवीं शताब्दी के दौरान मलेरिया के भयानक प्रकोप से हुई थी. यह समुदाय उस समय तक रोम के 60 मील उत्तर में एक पहाड़ी पर छोटे मध्ययुगीन शहर में निवास करता था.

जानबूझकर बच्चे के मुंह में डाला गया पत्थर

बच्चे के मुंह में मिले पत्थर पर दांतों के निशान मिले हैं. इस पर पुरातत्विदों का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मृत्यू के बाद उसके मुंह में जानबूझकर पत्थर डाला गया था. दरअसल यह एक विचित्र और प्राचीन अभ्यास है जिसकी मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चा वापस नहीं आ सकता और बीमारी भी फैलने से रुक जाती है. पुरातत्त्वविदों ने इस प्रकार की कब्रों को 'पिशाचों की कब्र' बताया है. इटैलियन शहर लुग्नानो के स्थानीय लोग इसे 'लूग्नानो का पिशाच' भी कहते हैं.

मान्यता है कि ऐसा करने से मृतक कब्र से बाहर नहीं आ पाता

एक शोधकर्ता का कहना है, 'हम जानते हैं कि इस प्रकार का असामान्य उपचार आमतौर पर मरे हुए लोगों के डर को इंगित करता है. विशेष रूप से, लोगों को एक डर रहता है कि मृतक कब्र से वापस आ सकते हैं और बीमारियां फैला सकते हैं. बच्चे के मुंह में पत्थर रखना उनको अक्षम करने का शाब्दिक या प्रतीकात्मक तरीका है.'

एनडीटीवी के मुताबिक यह खोज ला नेक्रोपोली देई बाम्बिनी में बच्चों के कब्रिस्तान से मिली कब्रों में सबसे नवीनतम है. पांचवी सदी के दौरान कई रोमल बंगले इन महामारियों के चलते कब्रगाहों में तब्दील हो गए थे.

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