‘बच्चे कहां हैं?’ यह दर्दनाक चीख उन महिलाओं की है जो ट्रंप प्रशासन की एंटी इमीग्रेंट पॉलिसी (आव्रजक रोधी नीति) के चलते हिरासत में कैद हैं.
शनिवार को मैक्सिको की सीमा से लगे ओटे मेसा में हिरासत सेंटर के बाहर सैकड़ों प्रदर्शनकारी जुटे जिन्हें बाद में हिरासत केंद्रों में बंद महिलाओं से थोड़ी देर बात करने का मौका मिला. हिरासत सेंटर के भीतर से कई महिलाओं की दर्दनाक चीख आई, ‘बच्चे कहां हैं.’
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका में अवैध रूप से घुस आए लोगों के खिलाफ ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति के चलते इस हिरासत सेंटर में लोगों के एक समूह को रखा गया है जिनके बच्चों को उनसे अलग कर दिया गया है. अपने बच्चों के लिए रो रहीं महिलाओं ने प्रदर्शनकारियों से यही कहा, ‘बच्चे कहां हैं?’
हालांकि ट्रंप ने अपनी नीति की दुनियाभर में आलोचना होने के बाद वापस ले ली जिससे कि बच्चों को उनके मां-बाप से अलग करने के बंद किया जा सके लेकिन 2,300 बच्चों को उनके मां-बाप से पहले ही अलग किया जा चुका है. हिरासत सेंटर में बंद महिलाओं ने प्रदर्शनाकरियों से कहा कि उनके बच्चों को छुड़ाया जाए.
इस प्रदर्शन में शामिल होने लॉस एंजिलिस से आई 24 साल की एरिका लेयवा ने कहा, ‘मैं जानती हूं कि परिवारों पर क्या बीत रही है और यह देखना बहुत दुखद है कि बच्चों को 10 और पांच साल जैसी छोटी उम्र में हिरासत सेंटर का दुख झेलना पड़ रहा है.’
बीते शुक्रवार को सीनेटर कमला हैरिस ने हिरासत केंद्र में कई महिलाओं से मुलाकात की जिन्हें उनके बच्चों से अलग कर दिया गया है.
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