हजारों सालों पहले धरती पर रहने वाले हमारे पुरखों ने गुफाओं में क्या लिखा और किस तरह के चित्र बनाए, वो क्या कहना चाहते थे, ये हम सब के लिए एक बड़ी जिज्ञासा की चीज रहती है. हमारे पुरातत्वविदों ने इनमें से बहुत सी पहेलियां सुलझा ली हैं और बहुत सी बाकी हैं. इसी क्रम में एक नई स्टडी में ये कहा गया है कि हो सकता है कि 40,000 हजार पहले भी हमारे पूर्वजों को खगोलशास्त्र यानी एस्ट्रोनॉमी की जानकारी रही होगी.
यूरोप की गुफाओं से मिलीं दुनिया की कुछ सबसे पुरानी चित्रकलाओं से पता चला है कि 40 हजार साल पहले भी हमारे पूर्वजों को खगोलशास्त्र की जानकारी रही होगी.
ब्रिटेन की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के मुताबिक, चित्रकला में बने जानवरों के प्रतीक रात में आकाश में नक्षत्रों को दर्शाते हैं और इनका इस्तेमाल तारीखों और उल्का पिंड की घटनाओं को दर्शाने के लिए किया जाता था.
स्टडी में पता चला है कि 40 हजार साल पहले भी इंसान के पास यह जानकारी थी कि हजारों साल में तारे धीरे धीरे अपनी जगह बदलते हैं.
‘एथेंस जर्नल ऑफ हिस्ट्री’ में पब्लिश हुई इस स्टडी में कहा गया है कि इतने हजार सालों पहले भी मानव पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने से होने वाले बदलावों के बारे में जानता होगा.
इस घटना को विषुव (रात दिन बराबर होने) के बदलाव के नाम से भी जानते हैं. इसकी खोज का श्रेय प्राचीन यूनानियों को जाता है. उस समय दौरान नीदरलैंड विलुप्त हो गया था और शायद पश्चिमी यूरोप में इंसानों के बसने से पहले लोग 250 साल के भीतर के समय को परिभाषत कर सकते थे.
यह निष्कर्ष इस ओर भी इशारा करता है कि हम उस वक्त के लोगों का जितना आकलन करते हैं उनकी खगोलशास्त्र के बारे में जानकारी उससे कहीं ज्यादा थी.
इस रिसर्च में कहा गया है कि इस जानकारी से लोगों को खुले समुद्रों में नावों की दिशा तय करने में मदद मिली होगी.
रिसर्चर्स की टीम ने तुर्की, स्पेन, फ्रांस और जर्मनी में पुरापाषाण युग और नवपाषाण युग की जानवरों के प्रतीक वाली कला का अध्ययन किया है.
उन्होंने पाया कि इन सभी जगहों पर दिन की जानकारी रखने के लिए खगोलशास्त्र का इस्तेमाल किया जाता होगा. बहरहाल, इन कलाओं में दसियों हजार साल का फर्क है.
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