रिलाइंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी ने एक दिसंबर को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान जियो हैप्पी न्यू ईयर ऑफर का एलान किया. यह ऑफर असल में मौजूदा जियो ग्राहकों के लिए जियो वेलकम ऑफर का विस्तार है जो एक जनवरी से लागू हो जाएगा.
जिन नए ग्राहकों ने चार दिसंबर के बाद जियो सिम एक्टिव किया है वे तो जियो हैप्पी न्यू ईयर ऑफर पर होंगे ही. असल में यह ऑफर 31 मार्च 2017 तक रहेगा जिसमें फ्री जियो डाटा, वॉइस और जियो एप्लीकेशन का पूरा गुलदस्ता है.
अंबानी ने अपने भाषण में कई बातों का जिक्र किया. इसमें जियो की घोषणा के तीन महीनों के भीतर इसके ग्राहकों की संख्या पांच करोड़ पार करना, तीन अन्य टेलीकॉम कंपनियों के साथ पॉइंट ऑफ इंटरकनेक्टस का मुद्दा, स्पीड को धीमा करने वाला नेटवर्क कंजेशन का मुद्दा, और जियोमनी मर्चेंट सॉल्यूशन की घोषणा समेत कई अन्य बातें भी शामिल थीं.
मुद्दा कंजेशन का
अंबानी ने अपने भाषण में कंजेशन का मुद्दा उठाया. पिछले कुछ महीनों से रिपोर्ट आ रही हैं कि नेटवर्क की स्पीड पर असर पड़ा है. बहुत सारे मौजूदा जियो ग्राहकों ने स्पीड में आई गिरावट को लेकर ऑनलाइन मंचों पर नाराजगी जताई है. अंबानी ने माना है कि आठ प्रतिशत टावरों के आसपास कंजेशन रहा और जिन लोगों को इन टावरों से सेवा मिल रही है उनके नेटवर्क की स्पीड घट गई है.
अंबानी ने कहा, 'असामान्य रूप से बहुत अधिक डेटा इस्तेमाल किए जाने की वजह से लगभग आठ प्रतिशत टावरों में कंजेशन महसूस किया गया है. इसी वजह से इन टॉवरों की सेवा लेने वाले ग्राहकों के डाटा की स्पीड कम हो गई है. हमारे बेस स्टेशन के 92 फीसदी हिस्से, ग्राहकों को हाई स्पीड डाटा मिल रहा है, लेकिन हम संतुष्ट नहीं हैं.'
ज्यादातर जियो यूजर्स के लिए डाटा कनेक्टिविटी ही सबसे बड़ी वजह है जिसके चलते उन्होंने जियो की सिम ली है. दूसरी टेलीकॉम कंपनियों के विपरीत, जियो पूरी तरह 4जी पर काम करता है और यहां तक कि इसकी वॉइस कॉल भी इंटरनेट प्रोटोकॉल के जरिए होती हैं. इस तरह के मामलों में नेटवर्क कंजेशन नहीं होना चाहिए. अब चूंकि जियो ने इस मामले को सुलझाने का वादा किया है तो इससे उसके मौजूदा ग्राहकों में सकारात्मक संदेश गया है, जो धीमी स्पीड से वास्तव में ही बहुत परेशान थे.
भारत की तीन टॉप टेलीकॉम कंपनियां एयरटेल, वोडोफोन और आइडिया बहुत सालों से इस कारोबार में हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि उनके पास कहीं ज्यादा वफादार ग्राहकों का बेस मौजूद है. ऐसे में, अगर जियो जैसी नई कंपनी को टॉप 3 में अपनी जगह बनानी है तो क्वॉलिटी सर्विस सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी. इसीलिए नेटवर्क कंजेशन से निपटना और अहम हो जाता है. अंबानी ने जियो को ‘ग्राहकों के लिए पागल संगठन’ बताया है और वादा किया है कि समस्या बन रहे आठ प्रतिशत टावरों का कंजेशन दूर किया जाएगा.
वॉइस कॉल अब भी प्राथमिकता
अन्य टेलीकॉम कंपनियों से हटकर जियो की वॉइस कॉल भी इंटरनेट के जरिए हो रही हैं. इंटरकनेक्ट्स पॉइंट की कमी के कारण जियो को महीनों से मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं. जियो के अनुसार पिछले तीन महीनों के दौरान जियो ग्राहकों की तरफ से अन्य नेटवर्कों (इनमें बड़ी टेलीकॉम कंपनियां भी शामिल है) पर की गई 900 करोड़ कॉल्स कनेक्ट नहीं हुईं. जियो ने इस मुद्दे को ट्राई के सामने उठाया है, ताकि ऐसे मामलों को कम किया जा सके. इससे कॉल ड्रॉप में कमी आई है, लेकिन अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.
भारतीय ग्राहक के लिए वॉइस कॉल बहुत महत्वपूर्ण है. रिपोर्ट बताती हैं कि तीनों दिग्गज कंपनियों ने अपनी डेटा सर्विस से ज्यादा राजस्व और मुनाफा वॉइस कॉल सर्विस से कमाया है. अगर वॉइस कॉलिंग में समस्या है तो फिर नए ग्राहक जुटाने की संभावनाओं पर बुरा असर पड़ेगा.
अंबानी ने सरकार और नियामक ट्राई का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, “पिछले तीन महीनों के दौरान कॉल ब्लॉक दर 90 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत रह गई है, ये आपको कल तक की बात बता रहा हूं. हम अपनी साथी टेलीकॉम कंपनियों के साथ मिल कर काम रहे हैं ताकि आने वाले हफ्तों में सुनिश्चित किया जा सके कि यह दर घटकर 0.2 प्रतिशत की निर्धारित सीमा से भी नीचे आ जाए.” अंबानी ने यह भी दोहराया कि सभी वॉइस कॉल आगे भी मुफ्त रहेंगी.
जरूरी है सीमा
यह कोई छिपी बात नहीं है कि हमारा देश डाटा का भूखा देश है. बैडविड्थ पर किसी तरह की सीमा नही है तो हम धड़ल्ले से डाटा इस्तेमाल करते हैं. लेकिन एक बात को माननी पड़ेगी कि हम में से कई लोग गैर जिम्मेदार तरीके से डाटा इस्तेमाल करते हैं. रेलवे स्टेशनों पर गूगल की फ्री वाई फाई सर्विस से पता चलता है कि वहां इस्तेमाल होने वाला डाटा सेल्युलर सर्विस पर इस्तेमाल डाटा से 15 गुना ज्यादा है.
चूंकि जियो के वेलकम ऑफर में अनलिमिटेड डाटा है. ऐसे में देखा गया है कि 20 प्रतिशत यूजर बेतहाशा डाटा इस्तेमाल करते हैं, जो आखिकार 80 प्रतिशत अन्य यूजर्स के लिए समस्या पैदा कर रहा है. अब जियो ने 4जी की स्पीड पर प्रतिदिन एक जीबी डाटा की सीमा निर्धारित कर दी है और इसके बाद रफ्तार धीमी पड़ जाएगी. इंटरनेट पर चटर-पटर करने वालों ने इस कदम को लेकर हैरानी जताई. कई लोग लोग प्रतिदिन की डाटा सीमा को 4जीबी से 1जीबी किए जाने पर बहुत निराश हैं.
बहुत सी टेलीकॉम कंपनियां एक महीने में 1जीबी का सारा ही डाटा देती हैं. जियो के वेलकम ऑफर की घोषणा के बाद कई कंपनियों ने अपने ग्राहकों को खुश करने के लिए इस सीमा को बढ़ाया है. स्मार्टफोन पर हर दिन के लिए 1जीबी का डाटा भी बहुत होता है. जियो के ग्राहकों की संख्या पहले ही पांच करोड़ तक पहुंच गई है और इसमें लगातार नए लोग जुड़े रहे हैं ऐसे में, हर किसी को अनलिमिटेड डाटा दे दिया जाए तो कंजेशन की समस्या बढ़ती जाएगी.
एक और वजह से डाटा सीमा घटाने का फैसला मुझे अच्छा लग रहा है. इससे लोगों को थोड़ा समय मिला, खास तौर से अंधाधुंध डाटा इस्तेमाल करने वालों को और वे अपनी आदतें सुधारेंगे. ताकि जब 31 मार्च 2017 को ऑफर खत्म हो तो वे अपनी लापरवाही के कारण मुसीबत में ना फंसे. जब इन लोगों के लिए महीने के हिसाब से डाटा की लिमिट तय की जाएगी और उसका पैसा भी चुकाना होगा तो इंटरनेट इस्तेमाल करने के इनके तौर तरीकों में बड़ा अंतर आएगा. इसलिए जियो ने अपने इस कदम से इस प्रक्रिया को आसान ही बनाया है. इंटरनेट को लेकर अपनी बातचीत में अगर हम एफयूपी (फेयर यूसेज पॉलिसी) की बात करना पसंद नहीं करते हैं तो यह कदम बिल्कुल सही है. इससे सुनिश्चित होगा कि 20 प्रतिशत ग्राहकों की कीमत पर उन 80 फीसदी लोगों को परेशानी न उठानी पड़े जो जियो की सर्विस का इस्तेमाल बिल्कुल उचित ढंग से कर रहे हैं.
तीन महीने और
उम्मीद है कि तीन महीने तक और फ्री डाटा और सर्विस देने के कारण जियो को और ज्यादा ग्राहक मिलेंगे. उसने अपने लिए जल्द से जल्द 10 करोड़ ग्राहक हासिल करने का लक्ष्य तय किया है. ग्राहकों की इतना बड़ी तादाद जियो के नेटवर्क के लिए किसी बड़े इम्तिहान से कम नहीं. उसे अपनी सर्विस की क्वॉलिटी सुधारनी होगी. वैसे भी अब से पहले हमने किसी टेलीकॉम कंपनी को नही देखा जो छह महीने तक इस तरह मुफ्त सर्विस दे और घाटा उठाए. जियो के मोबाइल ग्राहकों का आधार बढ़ रहा है, ऐसे में कम से कम कंजेशन के साथ बेस्ट स्पीड देना उसके हित में होगा. अन्य टेलीकॉम कंपनियों से विपरीत जियो सिर्फ 4जी सर्विस दे रहा है और पूरे भारत में उसका नेटवर्क है, इसलिए उसे व्यापक पैमाने पर अपने नेटवर्क को सुधारना है.
मत भूलिए कि जियो की महत्वकांक्षा टेलीकॉम सर्विस से आगे कहीं दूर तक जाने की है. ऑनलाइन दुनिया में पहले से ही जियो फाइबर सर्विस को लेकर अकटकलें शुरू हो गई हैं. हाई क्वॉलिटी डाटा सर्विस देने के लिहाज से अगले तीन महीने बहुत अहम होंगे. इन्हीं तीन महीनों से तय होगा कि जियो के ग्राहक उसके साथ रहेंगे या फिर छोड़ कर चले जाएंगे. साथ यह भी देखना दिलचस्प होगा कि इस क्षेत्र की दिग्गज कंपनियां क्या कदम उठाती हैं.
जो भी हो, भारत में स्मार्टफोन यूजर्स के लिए बहुत ही दिलचस्प समय आने वाला है
डिसक्लेमर: रिलाइंस जियो की मिल्कियत रिलाइंस इंडस्ट्रीज के पास है जो फर्स्टपोस्ट और टेक2 के प्रकाशक नेटवर्क18 का भी मालिक है.
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