पिछले महीने विश्व के 150 से अधिक देशों में रैनसमवेयर वायरस हमले से हड़कंप मचा हुआ था. ठीक डेढ़ महीने बाद एक बार फिर से पैटव्रैप साइबर हमले से दुनिया डरी हुई है.
दुनिया ने पिछले महीने की 12 तारीख को साइबर हमले का खौफ देखा था. ठीक 47 दिन बाद एक बार फिर से वायरस हमले हुए हैं. इस वायरस हमले में विश्व के कई देशों के कई लाख से ज्यादा कंप्यूटर चपेट में आ गए हैं. वायरस के ताजा हमलों के शिकार नए कंप्यूटर भी हुए हैं.
गोल्डन आई या पैटव्रैप नाम के नए वायरस ने यूक्रेन, रूस, ब्रिटेन, यूरोप और भारतीय कंप्यूटरों को खूब प्रभावित किया है. जानकार मानते हैं कि पिछले महीने रैनसमवेयर नाम के वायरस हमले से ये ज्यादा खतरनाक है. आईटी विशेषज्ञों ने इस वायरस की पहचान पैटव्रैप या गोल्डन आई के तौर पर की है.
भारत के साइबर मामलों के जानकारों की राय है कि देश की साइबर सुरक्षा पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो सरकार के ‘डिजिटल इंडिया' और ‘कैशलेस इकॉनमी' जैसे अभियानों के भविष्य पर रैनसमवेयर ‘वानाक्राई', ‘पैटव्रैप या गोल्डन आई’ सवाल खड़े कर देंगे और इन पर साइबर हमले का खतरा बना रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर कानून के जानकार पवन दुग्गल ने फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से कहा, 'देश को साइबर सुरक्षा पर बहुत अधिक काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा के बगैर सरकार के डिजिटल इंडिया और कैशलेस इकॉनमी जैसे महत्वाकांक्षी अभियानों पर हमेशा साइबर हमले का खतरा बना रहेगा.'
पवन दुग्गल आगे कहते हैं, 'यहां आधार कार्ड पहचान के लिए लोगों की करीब-करीब सारी जानकारियां कंप्यूटर पर सुरक्षित हैं और इस पर हमला होने से बहुत मुश्किल खड़ी हो सकती है. ये बहुत संवेदनशील मामला है.'
दुग्गल कहते हैं, 'देश में साइबर सुरक्षा से जुड़े कानून ही नहीं हैं. अभी तक आईटी कानून-2013 को भी अमल में नहीं लाया गया. भारत सरकार को जल्द से विश्व के अन्य देशों के साथ मिलकर साइबर सुरक्षा से संबंधित कानून का मसौदा तैयार करना चाहिए.
पवन दुग्गल आगे कहते हैं, 'हमारे देश में साइबर हमले के बारे में रिपोर्ट करने का रिवाज ही नहीं है. सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक समेत ज्यादातर कारोबारी और वित्तीय इंस्टीट्यूशन अपने यहां हुए साइबर हमले की रिपोर्ट नहीं करते हैं, जबकि आईटी कानून-2013 के तहत बैंकों और कंपनियों को अपने यहां हुए किसी भी साइबर हमले की रिपोर्ट करना अनिवार्य है.' पवन दुग्गल का कहना है कि भारत में आईटी एक्ट काफी कमजोर हैं. हैकर्स आसानी से भारतीय साइबर कानून को टेक्नोलॉजी से मात दे देते हैं. साइबर अटैकर्स के लिए भारत सबसे सुरक्षित जगह बनता जा रहा है.
मजबूत साइबर कानून की जरूरत
पवन दुग्गल कहते हैं, 'सरकार को कई ठोस कदम उठाने की जरूरत है. भारत में इस समय साइबर सुरक्षा से जुड़ा कोई मजबूत कानून नहीं है. ऐसे में साइबर हमला होने पर हम हैकर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं कर सकते. साइबर हमलावर के लिए एक दंडनीय अपराध घोषित करने की जरूरत है. आज भारत में साइबर अपराध करने वालों के लिए सजा का प्रावधान नहीं है. धाराएं जमानती हैं. साइबर अपराध के लिए कम से 7 से 10 सालों का सजा का प्रावधान होना चाहिए.'
पवन दुग्गल आगे कहते हैं, 'सरकार सूचना प्रौद्योगिकी कानून में संसोधन करे. सरकार कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम शुरू करे. स्कूल और कॉलेजों में साइबर सुरक्षा को लेकर लोगों को जागरूक किया जाए.'
पिछले दिनों पूरी दुनिया पर हुए साइबर अटैक के बाद देशभर में कई एटीएम बंद हो गए थे. गृहमंत्रालय ने एडवायजरी जारी कर देशभर में कई एटीएम को बंद करने का फैसला लिया था. भारत सरकार ने एहतियातन ये फैसला लिया गया था.
सरकारी तंत्र साइबर सुरक्षा के लिए अगले पांच साल का खर्च 275 करोड़ रुपए का रखा है. सूचना केंद्र (एनआईसी) ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि देश में पिछले साल 32 हजार से ज्यादा साइबर हमले किए गए. केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के कंप्यूटरों में 5 करोड़ से ज्यादा वायरस हमले हुए.
देश में साइबर सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है. केंद्र सरकार साइबर सुरक्षा को लेकर कठोर कदम उठा रही है लेकिन साइबर हमले में कमी नहीं आ रही है.
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