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पोलियो वैक्सीनेशन की दिशा में बड़ा कदम, हमेशा के लिए खत्म हो सकती है बीमारी!

वैज्ञानिकों ने पोलियो को जड़ से मिटाने के लिए फ्रीज-ड्राईड टीका तैयार किया है जिसे चार हफ्तों तक बिना फ्रीज किए भी रखा जा सकता है

Updated On: Nov 28, 2018 05:19 PM IST

Bhasha

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पोलियो वैक्सीनेशन की दिशा में बड़ा कदम, हमेशा के लिए खत्म हो सकती है बीमारी!

पोलियो की बीमारी से लड़ने की दिशा में एक नई तकनीक तैयार की गई है, जो बहुत ही कारगर साबित हो सकती है. पोलियो के वैक्सीनेशन की सबसे बड़ी समस्या ये भी होती है कि इसके वैक्सीन को फ्रीज करके रखना पड़ता है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा टीका यानी वैक्सीन तैयार किया है, जिसे चार हफ्तों तक बिना फ्रीज करके भी रखा जा सकता है.

वैज्ञानिकों ने पोलियो को जड़ से मिटाने के लिए प्रशीतित-शुष्क यानी फ्रीज-ड्राईड टीका तैयार किया है जिसे फ्रिज में रखने की जरूरत नहीं है. इसे दूर-दराज के इलाकों में भी बिना परेशानी के ले जाया जा सकता है.

रिसर्चर्स ने बताया कि इंजेक्शन के जरिए लगाए जाने वाले इस टीके को सामान्य तापमान में चार हफ्तों तक रखा जा सकता है. इसका इस्तेमाल पानी मिलाकर किया जाता है. जब इसका परीक्षण चूहे पर किया गया तो इसने पोलिया के संक्रमण के खिलाफ कारगार नतीजे दिए.

अमेरिका में सदर्न कैलीफोर्निया युनिवर्सिटी के वू जिन शीन ने कहा कि टीके की संरचना को खराब होने से बचाए रखना कोई मुश्किल चीज नहीं है. इसलिए ज्यादातर वैज्ञानिक इस ओर ध्यान नहीं देते हैं.

उन्होंने कहा कि दवा या टीका कितना भी अच्छा हो, इसके तब तक कोई मायने नहीं रह जाते हैं जब तक कि वह कहीं ले जाने के लिए पर्याप्त तौर पर टिकाऊ नहीं हो.

पोलिया पूरी तरह से खत्म होने के कगार पर है. दुनिया भर से 2017 में पोलियो के केवल 22 मामले सामने आए थे. पोलियो ऐसा संक्रमण है जिससे ग्रस्त होने पर बच्चों में अपंगता आ जाती है. जिन देशों में टीकाकरण कम होता है वहां पर बच्चों के इससे संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है.

हाल में पोलियो के मामले नाइजीरिया, पपुआ गिनी, सीरिया और पाकिस्तान से सामने आए हैं.

अब चूंकि पोलियो वैक्सीनेशन के साथ सबसे बड़ी समस्या यही थी कि इसके टीके कहीं ले जाने पर उतने टिकाऊ नहीं रहते थे, लेकिन अब ये समस्या भी खत्म हो गई है. ऐसे में अब जिन देशों से पोलियो के इक्का-दुक्का मामले आ रहे हैं, वहां इनका निराकरण अब ज्यादा आसान हो जाएगा. 2017 में ये पूरी दुनिया में बस 22 मामले ही सामने आए, जो अगले कुछ सालों में पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे.

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