वैज्ञानिकों के मुताबिक चांद की सतह के नीचे के नीचे जलाशय है. यह भंडार 'वॉलकैनिक ग्लास बीड्स' के रूप में वह मौजूद है. इन बीड्स से भविष्य में पानी निकाला जा सकता है और इस पानी का इस्तेमाल एस्ट्रोनॉट्स द्वारा भविष्य में चांद पर बसने के लिए किया जा सकता है. सैटलाइट से मिले डाटा के मुताबिक सतह के नीचे ज्वालामुखी के कई डिपॉजिट हैं जिनके बीच भारी मात्रा में पानी छुपा हुआ है.
वैज्ञानिक कई सालो से चांद के सतह के नीचे पर पानी होने की बात कर रहे है. 2008 की एक रिसर्च के मुताबिक अपोलो 15 और 17 के मिशन में लाए गए वॉलकैनिक ग्लास बीड्स में पानी की मात्रा पाई गई थी. 2011 में छोटे क्रिस्टलाइन पर की गई रिसर्च में चांद से लाए गए ग्लास बीड्स में उतनी ही मात्रा का पानी पाया गया जितना धरती की सतह पर है.
यूनाइटेड स्टेट्स की ब्राउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रैल्फ मिलिकेन ने कहा कि सवाल यह है कि अपोलो मिशन के बाद चांद की सतह के नीचे कितना पानी है वो एक 'ड्राई' मेंटल पर रिसर्च करने के बाद ही बताया जा सकता है.
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