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ISRO ने लॉन्च किया GSAT-7A सैटेलाइट, वायुसेना के लिए होगा मददगार

जीसैट-7A सैटेलाइट का वजन करीब 2,250 किलोग्राम है, जीसैट-7ए का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने किया है

Updated On: Dec 19, 2018 04:36 PM IST

FP Staff

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ISRO ने लॉन्च किया GSAT-7A सैटेलाइट, वायुसेना के लिए होगा मददगार

भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार शाम 4 बजकर 10 मिनट पर जियोस्टेशनरी कम्युनिकेशन सैटेलाइट जीसैट-7A को श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया. इसे GSLV-F11 के जरिए लॉन्च किया गया.

जीसैट-7A सैटेलाइट का वजन करीब 2,250 किलोग्राम है. इसरो ने कहा कि जीसैट-7ए का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने किया है और इसका जीवन आठ वर्ष है. यह भारतीय क्षेत्र में केयू-बैंड के उपयोगकर्ताओं को संचार क्षमताएं मुहैया कराएगा. इसी के साथ ये भी बतायाजा रहा है कि ये सैटेलाइट वायुसेना को समर्पित होगा, जो वायु शक्ति को और ज्यादा मजबूती देगा.

जीएसएलवी एफ-11 जीसैट-7A को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर आर्बिट (जीटीओ) से छोड़ा गया और उसे ऑनबोर्ड प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए फाइनल जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा. जीएसएलवी-एफ11 इसरो की चौथी पीढ़ी का लॉन्चिंग वेहिकल है.

इससे पहले सबसे भारी सैटेलाइट जीसैट-11 हुई लॉन्च

इससे पहले ISRO ने भारत के सबसे भारी सैटेलाइट जीसैट-11 को एरिएयनस्पेस रॉकेट की मदद से सफलता पूर्वक लॉन्च किया था. इसरो के प्रमुख के सिवन ने सफल प्रक्षेपण के बाद कहा, ‘भारत द्वारा निर्मित अब तक के सबसे भारी, सबसे बड़े और सबसे शक्तिशाली उपग्रह का एरियन-5 के जरिए सफल प्रक्षेपण हुआ.’ उन्होंने कहा कि जीसैट-11 भारत की बेहरीन अंतरिक्ष संपत्ति है.

करीब 5854 किलोग्राम वजन के जीसैट-11 का निर्माण इसरो ने किया है. यह इसरो निर्मित सबसे ज्यादा वजन का उपग्रह है. जीसैट-11 अगली पीढ़ी का ‘हाई थ्रोपुट’ का संचार उपग्रह है जिसका विन्यास इसरो के आई-6के के इर्दगिर्द किया गया है. यह 15 साल से ज्यादा समय तक काम आएगा.

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