इंटरनेट टेक्नोलॉजी कंपनी गूगल अपने प्लेटफॉर्म पर भारत से जुड़े राजनीतिक विज्ञापनों से जुड़ी सूचनाएं मार्च से सार्वजनिक रूप से पेश करेगी. इसमें चुनावी विज्ञापन खरीदने वाले व्यक्ति और संबंधित विज्ञापन पर खर्च की जानकारी होगी.
गूगल ने भारत में इस साल अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव से पहले राजनीतिक विज्ञापनों के मामले में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया है. इससे पहले ट्विटर ने भी इसी तरह का कदम उठाया था.
गूगल ने बयान में कहा कि वह भारत के लिए अपनी चुनावी विज्ञापन नीति में बदलाव कर रहा है, जिसके तहत विज्ञापनदाताओं को विज्ञापन प्रकाशित या प्रसारित कराने के लिए चुनाव आयोग या फिर चुनाव आयोग कि ओर से अधिकृत किसी व्यक्ति की ओर से जारी 'प्रमाणपत्र' देना होगा. यह मंजूरी हर उस विज्ञापन के लिए लेना होगी, जिसे विज्ञापनदाता चलवाना चाहता है.
यही नहीं, गूगल विज्ञापन को अपने प्लेटफॉर्म पर चलाने से पहले विज्ञापनदाता की पहचान का सत्यापन भी करेगी.
कंपनी ने बयान में कहा, 'ऑनलाइन चुनावी विज्ञापन में और पारदर्शिता लाने के लिए गूगल भारत पर केंद्रित एक ‘पॉलिटिकल ऐड ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट’ और एक सार्वजनिक ऑनलाइन राजनीतिक विज्ञापन लाइब्रेरी पेश करेगी जिसे लोग सर्च कर सकेंगे.’
कंपनी ने कहा है, ‘इसमें चुनावी विज्ञापन खरीदने वाले के बारे में और विज्ञापन पर कितना खर्च किया जा रहा है, इसकी विस्तृत जानकारी होगी.
विज्ञापनदाता के सत्यापन की प्रक्रिया 14 फरवरी से शुरू होगी जबकि यह रिपोर्ट और विज्ञापन लाइब्रेरी मार्च 2019 से हर किसी के लिए सीधे उपलब्ध होगी.
गूगल की इस पहल का उद्देश्य 'ऑनलाइन राजनीतिक विज्ञापन में पारदर्शिता लाना है और मतदाताओं को चुनाव से संबंधित सूचनाएं देने में सक्षम बनाना है.'
गूगल इंडिया के सार्वजनिक नीति के निदेशक चेतन कृष्णास्वामी ने कहा, '2019 में 85 करोड़ से ज्यादा भारतीय देश की नई सरकार चुनने के लिए अपना मत डालेंगे. चुनावों को लेकर गंभीर विचार कर रहे हैं और हम भारत समेत पूरी दुनिया में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का समर्थन करने जारी रखेंगे.'
उन्होंने कहा कि इसी तर्ज पर हम चुनावी विज्ञापन के मामले में ज्यादा पारदर्शिता बरतने की कोशिश कर रहे हैं और चुनावी प्रक्रिया को बेहतर तरीके से जानने में लोगों की मदद के लिए प्रासंगिक जानकारी सामने रखेंगे.
गूगल ने यह कदम ऐसे समय उठाया गया है कि जब डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर राजनीतिक विज्ञापनों को लेकर पारदार्शिता लाने का भारी दबाव बना हुआ है. सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से कहा कि अवांछित साधनों के माध्यम से यदि देश की चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
इस महीने की शुरुआत में ट्विटर ने भी इसी तरह का कदम उठाया था और कहा था कि राजनीतिक दलों की ओर से विज्ञापनों पर होने वाले खर्च को दिखाने के लिए वह डैशबोर्ड पेश करेगा.
फेसबुक ने पिछले महीने कहा था कि वह राजनीतिक विज्ञापन देने वालों के लिए पहचान और लोकेशन की जानकारी देने को अनिवार्य बनाएगी.
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