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जब जैसलमेर में रेगिस्तान नहीं समुद्र था.... वैज्ञानिकों को मिले सबूत

ऐसे आदिम व्हेल, शार्क, मगरमच्छ के दांतों और कछुए की हड्डियों के जीवाश्म मिले हैं, जिनको देखकर विशेषज्ञों का कहना है कि ये इलाका पाषाण युग में समंदर के नीचे था

Updated On: Jul 14, 2018 05:51 PM IST

FP Staff

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जब जैसलमेर में रेगिस्तान नहीं समुद्र था.... वैज्ञानिकों को मिले सबूत

हम ये तो जानते ही हैं कि हमारी धरती आज जैसी दिखाई देती है, वैसी हमेशा से नहीं थी. लेकिन फिर भी ये जानना कि आज से हजारों साल पहले कोई जगह कैसी रही होगी, बहुत दिलचस्प होता है. और इन जगहों के बदलने का सफर भी उतना ही रोचक होता है.

भूविज्ञानियों को पता चला है कि राजस्थान का जैसलमेर शहर आज से करीब चार करोड़ साल पहले समंदर हुआ करता था. भूविज्ञानियों को ऐसे आदिम व्हेल, शार्क, मगरमच्छ के दांतों और कछुए की हड्डियों के जीवाश्म मिले हैं, जिनको देखकर विशेषज्ञों का कहना है कि ये इलाका पाषाण युग में समंदर के नीचे था.

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का वेस्टर्न रीजन पिछले एक साल से गुजरात और राजस्थान में जीवाश्मों पर रिसर्च कर रहा है. इस टीम को जैसलमेर के बांदा गांव में ये 4 करोड़ 7 लाख पुराने जीवाश्म मिले हैं. यहां से ईओसीन एज के व्हेल, शार्क, मगरमच्छ जैसे वर्टिब्रेट्स के जीवाश्म मिले हैं. प्राचीन जीवाश्मों की खोज उस युग के पर्यावरणिक माहौल को जानने में सहायक भी है.

ये रिसर्च वरिष्ठ भूविज्ञानी कृष्णा कुमार और प्रज्ञा पांडेय ने भूगर्भ विज्ञान के डायरेक्टर देबाशीष भट्टाचार्य के सुपरविजन में किया. कृष्णा कुमार ने बताया, 'इस खोज में सबसे अहम पहलू एक खंडित जबड़ा और मेरूदंड है, जिसकी पहचान प्राचीन व्हेल की हड्डी के रूप में हुई है. मध्य आदिकाल के समुद्री जीवाश्मों की उपस्थिति से संकेत मिलता है कि लगभग 4.7 करोड़ वर्ष पहले, जैसलमेर इलाके में समुद्र था.

उन्होंने बताया कि मध्य आदिकाल के दौरान कच्छ बेसिन और गुजरात में पहले दी गई रिपोर्ट में जीवों के साथ समानता मिलती है, इस प्रकार उष्णकटिबंधीय समशीतोष्ण स्थितियों के तहत इसी तरह के उथले समुद्री प्रतिनिधित्व को दर्शाता है.

(फीचर्ड इमेज: प्रतीकात्मक तस्वीर)

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