सालों से बस चर्चा तक रहने वाला फेसबुक का कंट्रोवर्शियल पाइलट प्रोजेक्ट आखिरकार अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में लागू होने जा रहा है. फेसबुक पिछले दो-तीन सालों से रिवेंज पॉर्न (किसी की सहमति के बिना न्यूड पिक्चर्स ऑनलाइन पोस्ट करने की) समस्या से निपटने के लिए एक सुझाव पर चर्चा कर रहा था. अब फाइनली ये प्रोजेक्ट लॉन्च हो रहा है.
आखिर फेसबुक को ये कदम उठाने में इतना टाइम क्यों लग गया? दरअसल, फेसबुक ने जो सुझाव दिया है, वो बिल्कुल वैसा ही है, जैसे अगर आपको अपनी तिजोरी के लुटने का डर है तो आप खुद ही अपनी चाबी हवा में फेंक दें. यानी फेसबुक चाहता है कि आप अपनी न्यूड पिक्चर किसी और के ऑनलाइन पोस्ट करने के पहले खुद ही पोस्ट कर लें. और... फेसबुक इन इमेजेज को ब्लॉक कर देगा. अगर दोबारा इन तस्वीरों को कोई और पोस्ट करने की कोशिश करेगा, तो वो तस्वीर अपने आप फेसबुक, मैसेंजर और इंस्टाग्राम पर ब्लॉक हो जाएगी.
फेसबुक का ये मेजर कुछ इस तरह काम करेगा-
- अगर आपको डर है कि आपकी किसी न्यूड पिक्चर या एंबेरेसिंग पिक्चर को कोई दूसरा व्यक्ति आपकी सहमति के बिना ऑनलाइन पोस्ट कर सकता है तो आप फेसबुक के सेफ्टी पार्टनर्स (अमेरिका में साइबर सिविल राइट्स इनीशिएटिव और नेशनल नेटवर्क टू एंड डोमेस्टिक वॉयलेंस) से एक फॉर्म मांग सकते हैं.
- इसके बाद फेसबुक आपको वन-टाइम अपलोड लिंक भेजेगा. आप इस लिंक के जरिए, अपनी तस्वीर अपलोड कर सकते हैं.
- इसके बाद फेसबुक की स्पेशल कम्युनिटी ऑपरेशन्स सेफ्टी टीम के स्पेशली ट्रेंड मेंबर्स तस्वीर का रिव्यू करेंगे और उस तस्वीर के लिए एक हैश या यूनीक आईडी बनाएंगे. एक बार हैश बन जाने के बाद वो तस्वीर फेसबुक के सर्वर से डिलीट हो जाएगी.
-इसके बाद अगर कोई वो तस्वीर पोस्ट करने की कोशिश करेगा, जो उस हैश से मैच करता है तो वो तस्वीर अपने आप फेसबुक, इंस्टाग्राम और मैसेंजर से ब्लॉक हो जाएगी.
अब जरा बात करें सेफ्टी मेजर्स पर
फेसबुक ने स्टेप्स तो बताए हैं लेकिन इस पॉलिसी में कितने लूपहोल हैं, इसपर कोई बात नहीं कही है. जैसे फेसबुक ने कहा है कि वो किसी पिक्चर के फिंगरप्रिंट को पूरी तरह से मिटा देगा लेकिन....लेकिन... थोड़ा सोचने में ये मुश्किल लगता है. अगर किसी ने आपकी तस्वीर के स्क्रीनशॉट को पोस्ट किया या उसमें फोटोशॉप की मदद से काफी बदलाव ला दिया तो भी क्या इन दोनों तस्वीरों का फिंगरप्रिंट एक ही रहेगा? फेसबुक इन दूसरी तस्वीरों को कैसे पहचानेगा? ये प्राइमरी सवाल हैं.
दूसरी और बेहद अहम बात - इंटरनेट की दुनिया में एक यूनिवर्सल ट्रुथ जाना जाता है- इंटरनेट पर कुछ भी हमेशा के लिए डिलीट नहीं होता. कंप्यूटर ऑनलाइन और लोकली फाइल्स को कई लोकेशनों पर सेव करता है. और डिलीट करने के बावजूद ये फाइलें कहीं न कहीं बनी रहती हैं. अब तक हम यही जानते हैं. अगर फेसबुक ने कोई नया तरीका निकाल लिया है तो हम भी जानना चाहेंगे.
और इसी बात से एक और मासूम सवाल- एक से बढ़कर एक चीज हैक कर लेने वाले आजकल के हैकरों का क्या भरोसा? इंटरनेट पर पड़ी हुई किसी चीज को ढूंढ लेने में उन्हें कितना वक्त लगेगा? माफ करिए, यहां हैकरों को अजेय बताने की कोशिश नहीं की जा रही, लेकिन फेसबुक की इस पॉलिसी में इतने लूपहोल दिखते हैं कि कुछ अच्छा नजर ही नहीं आता.
एक यूजर ने इसी डर को बहुत ही कल्पनाशीलता के साथ जाहिर किया है. @KT_So_It_Goes ने ट्विटर पर लिखा कि फेसबुक ने 2018 में ये नई पॉलिसी लॉन्च की है और 2019 में कंपनी माफी मांगेगी कि वो अपनी रिवेंज पॉर्न को रोकने की पॉलिसी के नतीजे नहीं देख पाई, जिसके चलते टाइम्स स्केवयर के बिलबोर्ड्स पर नौ मिलियन न्यू़ड फोटो खुद से अपलोड हो गए.
क्या ये तरीके नहीं अपनाए नहीं जा सकते?
खैर, मजाक एक तरफ लेकिन फेसबुक की इस नई पॉलिसी पर लोगों ने सवाल तो खड़े किए ही हैं, कइयों ने सुझाव भी दिए हैं, जो फेसबुक की इस पॉलिसी से ज्यादा समझदारी भरे लगते हैं. यूजरों के ये सुझाव लागू किए जा सकते हैं या नहीं, ये तो फेसबुक ही जाने लेकिन हम उम्मीद तो कर ही सकते हैं. यूजरों का कहना है कि फेसबुक कई दूसरी कंपनियों के साथ सेफ्टी मेजर लेने की बजाय इसका जिम्मा यूजरों को ही सौंप दे. यानी अगर फेसबुक हैश या यूनीक आईडी बनाने की बात कर रहा है तो इसकी बजाय वो यूजरों को ही एक प्लेटफॉर्म दे जहां वो खुद हैश या आईडी क्रिएट कर सकें. या फिर अगर उनकी तस्वीर कोई दूसरा शख्स अपलोड करने की कोशिश कर रहा है, तो यूजर के पास परमिशन के लिए नॉटिफिकेशन आ जाए.
इसके अलावा फेसबुक ने अपने यूजरों को जो हाल ही में धोखा दिया/निराश किया है, उसके बाद तो शायद ही यूजर्स अपनी न्यूड तस्वीर की सिक्योरिटी से समझौता करें. कैंब्रिज एनालिटिका की फेसबुक डेटा चोरी के बाद फेसबुक पर डेटा को लेकर दोबारा ट्रस्ट करना थोड़ा मुश्किल है. फेसबुक अपने इस नए प्रोजेक्ट के लिए दूसरी कंपनियों से हाथ मिला रहा है और ये एक और कारण हो सकता है कि यूजर्स इस मैटर में फेसबुक पर भरोसा न कर पाएं.
खैर, फेसबुक की ये नई पॉलिसी अभी पाइलट प्रोजेक्ट के लेवल पर काम करेगी. यूजर्स के संतुष्ट होने के बाद ही इसे वर्ल्डवाइड पूरे तौर पर सेफ्टी मेजर के साथ लॉन्च किया जाएगा. लेकिन फिलहाल तो फेसबुक को कई सवालों के जवाब देने होंगे और कई समस्याओं से पार पाना होगा.
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