सिंधु पर हमला बोलना एक बार फिर जैसे राष्ट्रीय शगल बन गया है. जितने लोग जापान की नोजोमी ओकुहारा और अकाने यामागुची के खिलाफ उनके खेल की तारीफ करते नहीं थक रहे थे, उनके सुर बदल गए. 24 घंटे के भीतर वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में सिंधु के लिए कही जा रही बातों का अंदाज बदल गया. लोगों के सुर बदल गए. 23 साल की हैदराबादी खिलाड़ी पर दनादन हमले होने लगे.
दो साल के भीतर बड़े इवेंट में स्पेन की कैरोलिना मारिन के खिलाफ सिंधु की दूसरी हार है. इसके अलावा ओकुहारा के खिलाफ एक और फाइनल में बेहद करीबी अंतर से हार मारिन के खिलाफ दोनों फाइनल के बीच है. यकीनन यह कड़वाहट हजम करना आसान नहीं है. 2016 के रियो ओलिंपिक फाइनल में 19-21, 21-12, 21-15 से मारिन जीती थीं. नानजिंग में वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में स्कोर 19-21, 10-21 रहा. इस बीच 2017 की वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में ओकुहारा ने 21-19, 20-22, 22-20 से हराया था.
इसमें कोई शक नहीं कि जो लोग सिंधु पर हमला कर रहे हैं, उनकी नाराजगी इस बात से है कि उनकी फेवरिट खिलाड़ी एक बार फिर आखिरी बाधा पार नहीं कर पाई. ऐसा लग रहा है कि जैसे मानसिक तौर पर वो स्थायी रनर अप जैसी बनती जा रही हैं. वे चाहते हैं कि सिंधु निर्विवाद चैंपियन हों. उस तरह का रिकॉर्ड बनाएं, जैसे रिकॉर्ड मारिन बना रही हैं. आखिर मारिन वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब तीन बार जीतने वाली पहली महिला बन गई हैं.
मारिन के शानदार खेल को मिलना चाहिए श्रेय
हालांकि उनके आलोचक तीन अहम बात भूल रहे हैं, जिन्होंने मारिन के लिए जीत संभव की. पहला, स्पेन की ये खिलाड़ी बिजली की रफ्तार से कोर्ट में मूव कर रही थी. उन्होंने अपनी ट्रेनिंग को इस तरह बदला है, जिससे उनकी रफ्तार में कमाल का बदलाव हुआ है. जून 2018 में मलेशिया ओपन के मुकाबले उनका पेस बिल्कुल अलग लेवल पर है.
दूसरी बात यह है कि खिताब के रास्ते में मारिन की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग को मेजबान चीन की ही बिंगजियाओ ने हरा दिया था. आखिरी, सिंधु ने ओकुहारा और यामागुची के खिलाफ दो बहुत मुश्किल मैच खेले, जिसके बाद उनका शारीरिक और मानसिक तौर पर थकना लाजमी था. संभव है कि बची हुई शारीरिक और मानसिक ऊर्जा बिल्कुल निचले स्तर पर हो.
प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन एकेडमी के चीफ कोच और दो बार के राष्ट्रीय चैंपियन विमल कुमार इस मैच को कुछ इसी तरह देखते हैं. उनका कहना है, ‘सिंधु ने शुरुआत में बिल्कुल सही खेल दिखाया. उन्होंने कैरोलिना के पेस को कंट्रोल किया. धैर्य के साथ खेलना जारी रखा. दुर्भाग्य से पहले गेम के बेहद अहम मौके पर कुछ आसान पॉइंट दे दिए. वहीं से खेल कैरोलिना के पक्ष में चला गया.’
सिंधु एक समय 15-11 से आगे थीं, जिसके बाद मैच बदला था. विमल कहते हैं, ‘उस पॉइंट से सिंधु की गलतियों को मारिन ने बहुत अच्छी तरह भुनाया. पहला गेम हारने से सिंधु पर असर दिखा. उसके बाद दूसरे गेम में वो बड़े अंतर से पिछड़ गईं. 3-11 से पीछे होने के बाद वापसी का चांस लगभग नामुमकिन था. अपनी सटीक रणनीति के लिए मारिन को श्रेय देना पड़ेगा. सिंधु को यह मैच जल्दी से जल्दी भुला देना चाहिए और भविष्य पर ध्यान देना चाहिए. मुझे भरोसा है कि वो जल्दी ही अपने सपने पूरा करेंगी.’
भारत के बेहतरीन कोचेज में गिने जाने वाले विमल से सिंधु के लिए पॉजिटिव संदेश और उनका भरोसा उससे अलग है, जो अभी देश में देखा जा रहा है. जहां सिंधु की तुलना दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम से की जा रही है कि वो उसी तरह से अहम मौकों पर ‘चोक’ हो जाती हैं.
उनसे बहुत ज्यादा उम्मीदें रखने वाले सामान्य प्रशंसक कुछ बातें भूल जाते हैं. पिछले पांच साल में सिंधु ने जिस तरह की कंसिस्टेंसी दिखाई है, उसे याद करना चाहिए. दो बार वर्ल्ड चैंपियनशिप का सिल्वर (2017, 2018) उनके नाम है. दो बार ब्रॉन्ज (2013, 2014) जीता है. पिछले ओलिंपिक में सिल्वर जीता है. उसके अलावा, तमाम और मेडल शामिल हैं ही.
विमल कुमार इस बारे में भी बात करते हैं कि कैसे महिलाओं के सिंगल्स इवेंट में कितनी कड़ी स्पर्धा है. वह कहते हैं, ‘मोमोता के अलावा और कोई पुरुष खिलाड़ी नानजिंग में प्रभावशाली नहीं रहा. जिस तरह की गलतियां उन्होंने कीं, वे भयानक थीं. पुरुष सिंगल्स देखना बोरिंग था. महिला सिंगल्स किसी भी दिन देखना बेहतर था. उनके खेल में डेप्थ था.’
पांच साल से सिंधु ने बनाए रखी है निरंतरता
ऐसे में सिंधु पिछले पांच साल से गजब की निरंतरता बनाए रख पा रही हैं. ऐसे समय जब उनके सामने बेहतरीन विपक्षी खिलाड़ी हैं, वो भी अलग-अलग स्टाइल के साथ. पेस और टेंपरामेंट के मामले में अद्भुत कैरोलिना मारिन है. कलात्मक स्ट्रोकप्ले वाली ताइवान की ताइ जू यिंग और थाइलैंड का राचानोक इंतनोन हैं. सुपर फिट और हर शॉट का जवाब अपने पास रखने वाली जापान की अकाने यामागुची और नाजोमी ओकुहारा हैं. चीन की चेन यूफेई और ही बिंगजाओ इस लिस्ट को और बड़ा करती हैं. ऐसे में सिंधु का इतने फाइनल खेलना मामूली बात नहीं है.
सिंधु की उपलब्धियों पर 45 साल के बैडमिंटन फैन संदीप हेबले का अपना मत है. संदीप स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंसल्टेंट और गोवा बैडमिंटन एसोसिएशन के सेक्रेटरी हैं. वो कहते हैं, ‘ली चोंग वेई ने कभी ओलिंपिक या वर्ल्ड चैंपियनशिप गोल्ड नहीं जीता. लेकिन उन्हें बैडमिंटन के सर्वकालिक महानतम खिलाड़ियों में गिना जाता है. भारतीय बैडमिंटन स्टार सिंधु को भले ही एक बार फिर गोल्ड नहीं मिला. लेकिन उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया. महिलाओं में बैडमिंटन फील्ड इस वक्त बहुत मुश्किल है.’
वह कहते हैं, ‘पिछले कुछ सालों में बहुत कम ऐसे खिलाड़ी रहे हैं, जो सिंधु जितना कंसिस्टेंट हों. उन्होंने हमें खुशी के बहुत से मौके दिए हैं. उन्होंने जो पाया है, वो बहुत कम लोग पा सके हैं. भारत को उनकी कामयाबी पर गर्व होना चाहिए.’
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