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एशियन गेम्स : भावनाएं भले ही फुटबॉल के साथ हों, नियम नहीं हैं...

सिर्फ फुटबॉल ही नहीं और भी कई टीमें एशियाड में खेलने के मानक पर खरी नहीं उतरी हैं

Updated On: Jul 03, 2018 02:14 PM IST

Shailesh Chaturvedi Shailesh Chaturvedi

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एशियन गेम्स : भावनाएं भले ही फुटबॉल के साथ हों, नियम नहीं हैं...

एशियन गेम्स नजदीक आ रहे हैं. टीमों के जाने और न जाने पर फैसला हो रहा है. टीम लिस्ट भेजने की आखिरी तारीख निकल गई है. कई खेलों का पत्ता कट गया है. कुछ खेल अब भी चर्चा में हैं. खासतौर पर फुटबॉल, जहां भेदभाव का आरोप लगाया जा रहा है. फुटबॉल वर्ल्ड कप के बीच फुटबॉल प्रेमियों को नागवार गुजर रहा है कि भारतीय टीम का नाम एशियन गेम्स के लिए नहीं है.

(L-R) Dr Narinder Dhruv Batra, President - IOA, Mr. Rajeev Mehta, Secretary General, IOA adressing media post IOA EC PC

सोशल मीडिया पर बहस चल रही है. ज्यादातर बहस में भारतीय ओलिंपिक संघ यानी आईओए को ही दोषी बताया जा रहा है कि दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल को कैसे बाहर रखा जा सकता है. दावा यह भी है कि कोई टीम अगर 170 के आसपास थी और अब 100 के अंदर है, तो उसे और ज्यादा प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए. जितनी बहस हो रही हैं, उसमें कोई मेडल के कितने मौके हैं, इस पर बात नहीं कर रहा. बात की जा रही है कि फुटबॉल को बेहतर होने के लिए एक्सपोजर की जरूरत है. आईओए ने यह मौका छीन लिया है.

कई सवाल हैं. क्या वाकई एशियन गेम्स वो प्लेटफॉर्म है, जहां किसी को एक्सपोजर दिया जाए? या वो ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां से मेडल लाने की उम्मीद हो. अभी बहस इस पर भी होगी कि अधिकारी कितने जा रहे हैं. उन्हें कम करके किसी खेल को क्यों नहीं जगह दी जा सकती.

क्या कहते हैं नियम

सोशल मीडिया की बहस से थोड़ा अलग हटकर नियम की बात कर लेते हैं. नियम कहते हैं जिन खेलों के लिए खिलाड़ी को चुनना है, उसमें पिछले इवेंट को देखना होगा. जैसे एशियन गेम्स हैं. पिछले एशियन गेम्स में छठे पोजीशन पर रहे खिलाड़ी के बराबर प्रदर्शन पर चयन होगा. किसी खिलाड़ी का पिछले 12 महीनों में प्रदर्शन अगर पिछले एशियन गेम्स के छठे स्थान के प्रदर्शन के बराबर या बेहतर है, तो उसका चयन होगा. यह खेल मंत्रालय का नियम है.  यही बात बाकी आयोजनों पर लागू होती है. लेकिन हम फिलहाल एशियाड पर ही चर्चा करते हैं.

इसी तरह टीम इवेंट का नियम है. किसी टीम का प्रदर्शन उतना होना चाहिए कि वो भाग लेने वाले देशों में आठवें रैंक तक शुमार हो सके. फुटबॉल के बारे में बात इसी नियम के तहत करनी पड़ेगी. दो सवाल. पहला, क्या पिछले एशियाड में भारत टॉप आठ में था? हालांकि इससे फर्क नहीं पड़ता. फर्क दूसरे सवाल से पड़ता है. दूसरा सवाल है कि क्या पिछले एक साल में भारत टॉप आठ एशियाई देशों में है?

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फुटबॉल फेडरेशन की तरफ से तर्क दिया जा रहा है कि भारत ने पिछले कुछ समय में जबरदस्त सुधार किया है. 2015 में जो रैंक 173 थी, अब 97 पर आ गई है. लेकिन यहां पर ध्यान रखना होगा कि यह सीनियर टीम की रैंकिंग है. एशियन गेम्स में अंडर 23 टीम होती है. तीन खिलाड़ी 23 से ऊपर उम्र के होते हैं. ऐसे में अंडर 23 टीम का रिकॉर्ड देखना जरूरी है.

कैसा रहा है अंडर 23 टीम का रिकॉर्ड

इस साल एएफसी अंडर 23 चैंपियनशिप चीन में हुई थी. भारत को ग्रुप सी में जगह मिली थी. इसमें कतर, सीरिया और तुर्कमेनिस्तान की टीमें थीं. दो टीमों को अगले राउंड के लिए क्वालिफाई करना था. सीरिया और कतर से उसने मैच हारा. तुर्कमेनिस्तान पर जीत मिली. सीरिया और कतर की टीमों ने प्ले ऑफ के लिए क्वालिफाई किया. यानी वो टॉप 8 के आसपास भी नहीं रही.

2014 के एशियाई खेलों में भी भारतीय टीम का प्रदर्शन कमजोर था. ग्रुप जी में टीम जॉर्डन और यूएई के साथ थी. दोनों मैच गंवाए थे. जॉर्डन ने 2-0 से और यूएई ने 5-0 से हराया था. भारतीय टीम दोनों मैच में कोई गोल नहीं कर पाई थी. तब सीनियर खिलाड़ियों के नाम पर फ्रांसिस फर्नांडिस, रॉबिन सिंह और सुनील छेत्री टीम के साथ थे. रैंकिंग में भारत का नंबर 26 था, जबकि कुल 29 टीमें इंचियॉन में उतरी थीं.

कुछ और टीमों को भी नहीं मिल रही मंजूरी

जब हम फुटबॉल के साथ जुड़ी भावनाओं पर बात करें, तो यकीनन इन रिकॉर्ड्स को भी जरूर देखना चाहिए. इस पर बड़े सवाल तब उठेंगे, अगर किसी मामले में नियमों का पालन नहीं हो रहो होगा. यानी किसी ऐसी टीम को मंजूरी मिल जाए, जिसका पिछला प्रदर्शन या रैंकिंग नियमों के दायरे में नहीं आती. लेकिन इस पर बात करने से पहले जरूरी है कि आईओए आधिकारिक तौर पर लिस्ट की घोषणा करे. फुटबॉल के अलावा बेसबॉल, सॉफ्टबॉल, ब्रिज, इन लाइन स्पीड स्केटिंग, जेट स्काई, जू जित्सु, मॉडर्न पेंटाथलॉन, पैराग्लाइडिंग, रग्बी सेवन, सर्फिंग जैसे खेलों को भी मंजूरी नहीं दी है.

एथलेटिक्स में भी चुने गए दल में कटौती की गई है. पहले 100 नाम थे, अब 52 हैं. यहां तक कि अधिकारियों के नाम भी कम करने की बात है. आईओए के मुताबिक उन्होंने जून में 2370 एथलीट्स की लिस्ट खेल मंत्रालय को दी थी. इसमें से 524 एथलीट चुने गए हैं. हालांकि दल की तादाद चार साल पहले इंचियॉन में गए दल से लगभग बराबर है. वहां 541 थे, इस बार 17 कम हैं. जाहिर है, नियमों के दायरे में न आने वाले एथलीटों के नाम काटे गए हैं. अब जब सभी खेलों के नाम सामने हैं, तो देखना चाहिए कि उनमें से कितने नियमों के तहत है. लेकिन जहां तक फुटबॉल की बात है, भावनाएं भले ही फुटबॉल के साथ हों, नियम साथ नहीं हैं. इस बात को मान लेना चाहिए.

 

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