खेल मंत्रालय की बनाई कमेटी देश में खेल पुरस्कारों की सिफारिश करे और कोई विवाद ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता. इस बार पहली बार देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न के लिए एक पैरा एथलीट देवेंद्र झाझरिया के नाम की सिफारिश की गई है. लेकिन एक और पैरा एथलीट दीपा मलिक गुस्से में हैं. रियो में पिछले साल पैरालंपिक में देश को सिल्वर मेडल दिलाने वाली दीपा अपने साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए खेल मंत्री विजय गोयल पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहीं हैं.
Sir,@narendramodi An #Olympic2016 Silver bronze got #khelratna n #padmaShri both,my #Paralympic2016 silver effort not at par? Help justice pic.twitter.com/bmgChBqFJv
— Deepa Malik (@DeepaAthlete) August 4, 2017
दीपा ने ट्विटर के जरिए प्रधानमंत्री नरंद्र मोदी से अपने साथ हुए ‘अन्याय’ की शिकायत की है. इसके साथ ही दीपा ने खेल मंत्री विजय गोयल पर अपनी बात से मुकरने का आरोप लगाते हुए उनके बयान को छापने वाली एक खबर के स्क्रीन शॉट को चस्पा किया है. जिसमें विजय गोयल ने रियो में मेडल जीतने वाले सभी पैरा एथलीटों को देश का सर्वोच्च खेल पुरस्कार देना का वादा किया था.
आखिर क्यों पैदा हुआ विवाद
इस पूरे मसले को समझने के लिए हमे घड़ी की सुइयों पीछे घुमाते हुए तकरीबन एक पहले जाना होगा. पिछले साल रियो ओलंपिक के दौरान खेल मंत्रालय ने ऐलान किया था इन खेलों में मेडल जीतने वाले एथलीट्स को राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया जाएगा. रियो में मेडल जीतने वाली शटलर पीवी सिंधु और रेसलर साक्षी मलिक को यह पुरस्कार दिया भी गया. इसके बाद पैरालंपिक में भारत के चार पैरा एथलीटों ने मेडल जीते जिनमें दीपा का सिल्वर मेडल भी शामिल है. समाचार पत्र द टाइम्स ऑफ इंडिया की 18 सितंबर,2016 की खबर के मुताबिक खेल मंत्री विजय गोयल ने हैदराबाद में ऐलान किया था कि सरकार पैरा एथलीटों के साथ कोई भेदभाव नहीं करेगी और पैरालंपिक के पदक विजेताओं को भी देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान यानी खेल रत्न दिया जाएगा.
धोनी और साक्षी मलिक के लिए बदला गया गया था नियम!
इस साल खेल पुरस्कारों की सिफारिश के लिए बनी ठक्कर कमेटी ने हॉकी खिलाड़ी सरदार सिंह के साथ, 2004 में अर्जुन अवॉर्ड जीत चुके पैरा एथलीट देवेंद्र झाझरिया के नाम की सिफारिश खेल रत्न के लिए की है.
खेल मंत्रालय की ओर से एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि खेल रत्न दिए जाने से पहले खिलाड़ी को अर्जुन पुरस्कार मिलना जरूरी है. इसीलिए रियो पैरालंपिक में पदक जीतने वाले पैरा एथलीट मरियप्पन थंगावेलु और वरुण के नाम की सिफारिश अर्जुन पुरस्कार के लिए की गई.
इससे पहले साल 2008 में क्रिकेटर महेन्द्र सिंह धोनी को और साल 2016 में रेसलर दीपा मलिक को बिना अर्जुन पुरस्कार दिए ही सीधे राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा जा चुका है. लिहाजा खेल मंत्रालय का यह तर्क खोखला नजर आता है. दीपा मलिक तो साल 2012 में अर्जुन पुरस्कार भी जीत चुकी हैं लिहाजा खेल रत्न के लिए उनके नाम की सिफारिश ना होने पर उनके गुस्से को समझा जा सकता है.
सिर्फ पैरा एथलीट ही नहीं बल्कि टेनिस प्लेयर रोहन बोपन्ना और महिला क्रिकेटर मिताली राज भी इस साल के खेल पुरस्कारों की सूची में जगह बनाने में नाकाम रहे हैं.
इस साल साल टेनिस के मिक्स्ड डबल्स मुकाबलों में शानदार प्रदर्शन करने वाले रोहन बोपन्ना का नाम भारतीय टेनिस संघ की और से तय समयसीमा के भीतर नहीं भेजा गया था. वही बीसीसाई ने भी तय वक्त तक मिताली के नाम की सिफारिश नहीं की थी. रोहन ने तो ट्विटर के जरिए अपने गुस्से का इजहार किया है.
 
;When are we going to change. #WakeUp pic.twitter.com/RPGCtKaxgG
— Rohan Bopanna (@rohanbopanna) August 5, 2017
लेकिन अगर खेल मंत्रालय चाहता तो इस साल शानदार प्रदर्शन करने वाले इन दोनों खिलाड़ियों को राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया जा सकता था. भारतीय़ बैडमिंटन संघ ने साल 2010 में सायना नेहवाल और साल 2015 में भारतीय टेनिस संघ ने सानिया मिर्जा के नाम की सिफारिश नहीं की थी. लेकिन इसके बावजूद खेल मंत्रालय की ओर से इन खिलाड़ियों का नाम अंतिम वक्त में शामिल करके उन्हें खेल रत्न से सम्मानित किया.
अब भी सुधारी जा सकती है भूल
ऐसा नहीं है कि बात अब हाथ से निकल गई हो. खेल मंत्री चाहें तो अब भी इन गलतियों को सुधारा जा सकता है. इस महीने की 29 तारीख को हॉकी के जादूगर ध्यान चंद के जन्मदिन यानी खेल दिवस पर राष्ट्रपति के द्वारा खेल पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं. अगर खेल मंत्रालय चाहे तो अब भी इन खिलाड़ियों के नाम इस सूची में शामिल किये जा सकते हैं.
इससे पहले साल 2009 में ऐसा हो भी चुका है. उस साल मंत्रालय की बनाई कमेटी ने मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम के नाम की सिफारिश खेल रत्न पुरस्कार के लिए की थी. लेकिन उसके बाद साल 2008 के बीजिंग ओलंपिक के पदक विजेता मुक्केबाज विजेंद्र और पहलवान सुशील कुमार ने जबरदस्त विरोध दर्ज कराया था. जिसके बाद इन दोनों को भी साल 2009 में मैरॉकॉम के साथ खेल रत्न से सम्मानित किया गया था.
ऐसे में अब यह खेल मंत्री विजय गोयल के ऊपर निर्भर है कि वह अतीत के इन उदाहरणों से सबक लेकर इन नाराज एथलीट्स की मांग को तवज्जो देते हैं या अपने ऊपर लग रहे वादाखिलाफी के आरोपों पर चुप्पी साध लेते हैं.
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