प्रदर्शन ऐसा नहीं है, जिसे श्रेष्ठतम कहा जाए. लेकिन भारतीय महिला मुक्केबाजों ने उम्मीद जरूर जगाई है कि भविष्य अच्छा होगा. एशियाई खेलों से खाली हाथ लौटने के बाद अगर वर्ल्ड चैंपियनशिप में चार पदक पक्के होते हैं, तो उस प्रदर्शन को खराब नहीं कहा जा सकता. दिल्ली में चल रही महिलाओं की वर्ल्ड चैंपियनशिप में चार भारतीय महिलाएं सेमीफाइनल में हैं.
सबसे आगे 48 किलो वर्ग में मैरी कॉम हैं. उनके अलावा, 69 किलो में लोवलिना बोर्गोहाइन, 57 किलो में सोनिया चाहल और 64 किलो वर्ग में सिमरनजीत कौर ने अंतिम चार में जगह बनाई है. भारतीय बॉक्सिंग के हाई परफॉर्मेंस डायरेक्टर सांतियागो निएवा ने कहा कि प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर है. उन्होंने कहा कि कुछ नतीजे इधर-उधर होते तो और पदक आ सकते थे. मैरी कॉम यकीनन स्टार बॉक्सर हैं, लेकिन अच्छा है कि बाकी लड़कियों ने खुद का स्तर ऊपर उठाया है.
निएवा ने कहा, ‘इस प्रदर्शन को देखकर कह सकते हैं कि खेल में हम अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.’ दस भार वर्गों के 40 सेमीफाइनलिस्ट में पांच चीन की हैं. उसके अलावा उत्तर कोरिया, टर्की, अमेरिका के तीन-तीन मुक्केबाज हैं. जर्मनी, जापान, कजाखस्तान, नेदरलैंड्स, चीनी ताइपे और यूक्रेन के दो-दो मुक्केबाजों ने सेमीफाइनल में जगह बनाई है. ऑस्ट्रेलिया, बेलारूस, बल्गारिया, कोलंबिया, आयरलैंड, दक्षिण कोरिया, मंगोलिया, रूस, थाइलैंड और वेल्स का एक-एक मुक्केबाज सेमीफाइनल में पहुंचा है. गुरुवार और शुक्रवार को सेमीफाइनल खेले जाने हैं.
21 देश ऐसे हैं, जो कम से कम एक पदक तो जीतेंगे ही. यह संख्या 2016, वर्ल्ड चैंपियनशिप से ज्यादा है. तब अस्ताना में हुई चैंपियनशिप से 19 देशों ने पदक जीतने में कामयाबी पाई थी.
एशिया का दबदबा वर्ल्ड बॉक्सिंग में कायम है. एशिया को 21 पदक मिलने तय हैं. 2016 के मुकाबले ये पांच ज्यादा हैं. यूरोप को 14 पदक मिलेंगे. अमेरिका को चार और ओशिनिया को एक पदक मिलेगा. अफ्रीका से कोई मुक्केबाज अब दावेदारी में नहीं बचा है.
भारत के लिए इस बार की चैंपियनशिप पिछले पांच एडिशन में सबसे अच्छी रही है. भारत का श्रेष्ठतम प्रदर्शन 2006 में था, जब चार स्वर्ण सहित आठ मेडल आए थे. उसके बाद 2008 में भारत को चार, 2010 में दो, 2012 में एक, 2014 में दो और 2016 में एक पदक मिला था.
भारत ने 2010 के बाद कोई गोल्ड नहीं जीता है, जब मैरी कॉम यह पदक जीतने में कामयाब हुई थीं. तीन बच्चों की मां, 35 साल की मैरी कॉम महिला वर्ल्ड चैंपियनशिप में सबसे कामयाब बॉक्सर बन गई हैं. उन्होंने अपने लिए सातवां पदक पक्का किया है. उनके छह पदकों में पांच गोल्ड और एक सिल्वर है.
मैग्निफिसेंट मैरी के नाम से मशहूर मणिपुर की मुक्केबाज अगर शनिवार को गोल्ड जीतने में कामयाब होती हैं, तो वो क्यूबा के फेलिक्स सैवॉन की बराबरी कर लेंगी. पुरुष वर्ग में क्यूबाई मुक्केबाज वर्ल्ड चैंपियनशिप के इतिहास में सबसे कामयाब है. सैवॉन ने तीन ओलिंपिक गोल्ड भी जीते हैं. उसके अलावा वर्ल्ड चैंपियनशिप के हैवीवेट वर्ग में 1986 से 1989 के बीच छह गोल्ड और एक सिल्वर जीते थे.
मैरी कॉम के लिए साल अच्छा रहा है. उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था. उसके अलावा इंडिया ओपन और पोलैंड में हुए इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भी गोल्ड जीता था. टूर्नामेंट में पहला बाउट जीतने के बाद मैरी ने कहा था, ‘देश और फैन्स को गोल्ड चाहिए और मैं भी इसी की कोशिश कर रही हूं. लेकिन बॉक्सिंग बाउट में कुछ भी हो सकता है.’ भारत की दस सदस्यीय टीम के तीन और बॉक्सर अंतिम चार में हैं. ये तीनों युवा हैं और पहली बार वर्ल्ड चैंपियनशिप का हिस्सा बने हैं.
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