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मैरी कॉम का दिल जिद्दी नहीं होता तो 10 साल पहले ही घर बैठ जाती

2007 में जुड़वा बेटों को जन्म देने के बाद जब मैरी कॉम ने रिंग में वापसी का फैसला किया, लेकिन कोच के व्‍यवहार ने बड़ा झटका लगा

Updated On: Nov 25, 2018 12:15 PM IST

Sachin Shankar

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मैरी कॉम का दिल जिद्दी नहीं होता तो 10 साल पहले ही घर बैठ जाती

यह बहुत कड़ा फैसला था. एक तरफ नन्हें जुड़वा बच्चे थे और दूसरी तरफ विश्व खिताब. लेकिन एमसी मैरी कॉम ने मुक्केबाजी रिंग में जाने का फैसला किया. ये दस साल पहले की बात है. दरअसल उन्हें कई लोगों को मुंह तोड़ जवाब देना था. यह काम वह विश्व चैंपियन बनकर ही कर सकती थीं और किया भी. 2008 में वो चौथा मौका था जब वह विश्व चैंपियन का खिताब जीतकर लौटीं थीं.

2007 में जुड़वा बेटों को जन्म देने के बाद जब मैरी कॉम ने रिंग में वापसी का फैसला किया तो उनको कोच के बर्ताव से भारी धक्का लगा. मां बनने के बाद जब वह पहली बार सेलेक्शन ट्रॉयल के लिए गईं तो ये जिम्मेदारी पुरुष टीम के एक कोच निभा रहे थे. जाहिर है कि मैरी कॉम में पहले जैसी ताकत और फुर्ती नहीं रह गई थी. मैरी कॉम ने कोच से कहा कि थोड़े दिनों में सब ठीक हो जाएगा.

लेकिन कोच ने कहा कि अगर तुम फिट नहीं हो तो घर में जाकर बैठो, बॉक्सिंग करने की क्या जरूरत है.

मैरी कॉम को कोच के जवाब से भारी धक्का लगा. उसी दिन उन्होंने ठान लिया कि अब पीछे नहीं हटना है. करारा जवाब देना है. एक बार फिर विश्व चैंपियन बनना है.

लेकिन मैरी कॉम की वापसी इतनी आसान नहीं थी. पति आनलुर चाहते थे कि बच्चे कम से कम एक साल के हो जाएं तो वह मुक्केबाजी करें. लेकिन मैरी कॉम नहीं मानीं. हारकर पति को झुकना पड़ा. गुवाहाटी में हुई एशियन चैंपियनशिप के लिए कैंप में गईं तो बच्चे नौ महीने के थे. आनलुर थोड़ा नाराज थे, लेकिन उन्होंने रोका नहीं. वह जानते थे कि मैरी कॉम जो ठान लेती हैं करके दम लेती हैं.

गर्भावस्था के दौरान मैरी कॉम का वजन 67 किलो हो गया था. बेटों को जन्म देने के बाद वजन 61 किला रह गया. क्या कोई सोच सकता था कि मैरी कॉम विश्व चैंपियनशिप में 46 किलो में हिस्सा ले सकेंगी.

खुद मैरी कॉम को भी इसका भरोसा नहीं था. आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई. उसी का नतीजा था कि वह 2008 में चीन के रिंगबो सिटी में अपना चौथा विश्व चैंपियनशिप खिताब जीतने में सफल रहीं.

क्या होता अगर मैरी कॉम कोच के ठुकरा दिए जाने के बाद निराश होकर घर बैठ जातीं? निश्चित तौर पर देश को इस महान मुक्केबाज से असमय हाथ धोना पड़ता. क्योंकि मैरी कॉम का असली करियर तो उसके बाद के दस सालों में ही परवान चढ़ा है. इस दौरान उन्होंने 2010 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, 2012 लंदन ओलिंपिक में कांस्य पदक, 2010 एशियाई खेलों में कांस्य और 2014 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक, 2018 कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीता. उन्होंने ना केवल पदकों का ढेर लगाया बल्कि एक और बेटे को जन्म दिया. उनकी हालिया सफलता ने तो उन्हें दुनिया की महान मुक्केबाज बना दिया. मैरी कॉम ने शनिवार को विश्व चैंपियनशिप में खिताबी सिक्सर लगाते हुए इतिहास रच दिया. दिल्ली के केडी जाधव हॉल में हुई 48 किलो वर्ग के फाइनल मुकाबले में उन्होंने यूक्रेन की हेना ओखोटा को 5-0 (30-27, 29-28, 29-28, 30-27, 30-27) से हराया और रिकॉर्ड छठी बार महिला विश्व कप का खिताब जीतने का गौरव हासिल किया. उनके नाम एशियाई चैंपियनशिप में भी पांच स्वर्ण और एक रजत पदक हैं.

New Delhi: Indian boxer Mary Kom (in Blue) gets emotional as she celebrates after winning the final match of women's light flyweight 45-48 kg against Ukraine's Hanna Okhota at AIBA Women's World Boxing Championships, in New Delhi, Saturday, Nov. 24, 2018. (PTI Photo/Ravi Choudhary) (PTI11_24_2018_000052B)

छह खिताब जीतने वाली पहली महिला मुक्केबाज

इस जीत के साथ ही 35 वर्षीय स्टार भारतीय मुक्केबाज आयरलैंड की कैटी टेलर को पछाड़कर सबसे अधिक छह बार विश्व चैंपियनशिप में खिताब जीतने वाली पहली महिला मुक्केबाज बन गईं. इससे पहले मैरी कॉम और टेलर पांच-पांच बार विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीतकर बराबरी पर थीं.

फेलिक्स सेवोन के रिकॉर्ड की बराबरी

यही नहीं, उन्होंने विश्व चैंपियनशिप के इतिहास में छह खिताब जीतने के विश्व रिकॉर्ड (महिला और पुरुष) की बराबरी भी कर ली. छह बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव उनसे पहले पुरुष मुक्केबाजी में क्यूबा के फेलिक्स सेवोन के नाम था. सेवोन ने 1997 में बुडापेस्ट में आयोजित हुई विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर यह रिकॉर्ड अपने नाम किया था.

MARYKOM

पंकज आडवाणी और आनंद से तुलना

मैरी कॉम जैसी सफलता अभी तक भारतीय खेलों के इतिहास में बिलियडर्स और स्नूकर के दिग्गज पंकज आडवाणी ने और शतरंज के महारथी विश्वनाथन आनंद ने हासिल की है. पंकज आडवाणी गुजरे रविवार को यंगून में फिर वर्ल्ड चैंपियन बन गए. अपने लिए उन्होंने खिताब नंबर 21 पर कब्जा किया. बेंगलुरु के 33 साल के दिग्गज क्यू खिलाड़ी ने आईबीएसएफ विश्व बिलियर्ड्स चैंपियनशिप के लंबे और छोटे दोनों प्रारूपों के खिताब को रिकॉर्ड चौथी बार अपने नाम किया. वहीं आनंद पांच बार के फिडे विश्व चैंपियन हैं. वह दो बार रैपिड प्रारूप में भी विजेता रह चुके हैं.

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