दर्शकों के लिए तनाव का वक्त निकल गया है. मीडिया रूम में खामोशी है. टिकट्स और पास की उस तरह की मारामारी नहीं है,जैसी एक दिन पहले थी. वजह एक ही है, अब इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम का कोई मुकाबला नहीं बचा है. टीम इंडिया बाहर हो चुकी है. इसमें कोई शक नहीं कि शहर के चप्पे-चप्पे पर हॉकी वर्ल्ड कप के बैनर, होर्डिंग, पेंटिंग्स से पटा पड़ा शहर भुवनेश्वर निराश है. लेकिन अब समय है दुनिया की चार बेस्ट टीमों को देखने का. सेमीफाइनल लाइन-अप तय है. निराशा को किनारे रखकर इस वक्त उन चार टीमों को बीच टूर्नामेंट के बेस्ट मैच देखने की उम्मीद लिए लोग कलिंग स्टेडियम में आ सकते हैं.
अब होगी फाइनल में पहुंचने की जंग
16 टीमों से शुरू हुआ टूर्नामेंट का सफर अब चार टीमों के बीच सिमट गया है. 5 से 16 तक क्लासिफिकेशन मैच नहीं होने की वजह से एक बार नॉक आउट में बाहर होने वाली टीम को फिर देखने का मौका नहीं मिलने वाला. ऐसे में शनिवार को चार बड़ी टीमों दो सेमीफाइनल में खिताबी भिड़ंत के लिए उतरेंगी. जो चार टीमें अंतिम चार में पहुंची हैं, उनमें से तीन टीमें रैंकिंग में दुनिया की टॉप चार टीमों में हैं.
सिर्फ अर्जेंटीना ऐसी टीम है, जो ओलिंपिक चैंपियन बनने के बाद फॉर्म बरकरार नहीं रख सकी और बाहर हो गई. रियो ओलिंपिक्स में अर्जेंटीना के बारे में कहा गया था कि उनके लिए यह जीत फ्लूक की तरह है. यह बात वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में न पहुंचने से और पुख्ता होगी. उसे इंग्लैंड ने अपने बेहतरीन खेल से बाहर किया. अब इंग्लैंड की टीम तकनीकी रूप से दक्ष बेल्जियम के सामने होगी. भारत को हराने के बाद नेदरलैंड्स को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलना है. ऑस्ट्रेलियन टीम, जो रिक चार्ल्सवर्थ के कोच न रहने के बाद कुछ बिखरती दिख रही थी, इस टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन कर रही है.
किससे किसका है मुकाबला
इंग्लैंड और बेल्जियम के बीच मुकाबला नए चैंपियन बनने की तरफ बढ़ता कदम होगा. बेल्जियम ने कभी वर्ल्ड कप नहीं जीता है, बल्कि वो पहली बार अंतिम चार में पहुंची है. दूसरी तरफ, इंग्लैंड टीम है, जो सिर्फ एक बार फाइनल में पहुंची है. वर्ल्ड कप उसने भी कभी नहीं जीता है.
इससे अलग, ऑस्ट्रेलिया है. तीन बार की चैंपियन टीम ऑस्ट्रेलिया हैट्रिक बनाने की तरफ है. पिछले दोनों खिताब उसके नाम हैं. दूसरी तरफ नेदरलैंड्स है, जिसने तीन बार खिताब जीता है. लेकिन पिछला खिताब 1998 में जीता था. यानी 20 साल पहले. ऑस्ट्रेलियन टीम पिछले दो साल में कुछ भटकी नजर आई है. लेकिन इस टूर्नामेंट में उसने उसी तरह के तेज-तर्रार और साफ-सुथरे खेल का प्रदर्शन किया है, जिसके लिए उसे जाना जाता है. ऐसा लगता है कि पुनर्निर्माण के दौर से यह टीम उबर चुकी है. ऐसा होना पूरी दुनिया के लिए फिक्र की बात है.
वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया पर हैं निगाहें
कॉलिन बैच की टीम वैसी ही निर्दयी दिखने लगी है, जिसके लिए ऑस्ट्रेलिया को जाना जाता है. दूसरी तरफ नेदरलैंड्स है, जो मुश्किल से भारत को हराकर अंतिम चार में पहुंची है. नेदरलैंड्स दबदबा जमाने वाली टीम नहीं है. लेकिन जीत के लिए जितना जरूरी होता है, उतना वो करती है. भारत के खिलाफ मुकाबला मुश्किल था. हालांकि भारतीय टीम उतना दबाव नहीं डाल पाई, जितनी उम्मीद थी. भारत के खिलाफ नेदरलैंड्स ने थोड़े रफ खेल का भी प्रदर्शन किया, जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ करना आसान नहीं होगा. भारत और जर्मनी के खिलाफ मैच ने साबित किया है कि अगर दबाव डाला जाए तो नेदरलैंड्स को हराया जा सकता है.ऐसे में ऑस्ट्रेलियन टीम कोई मौका नहीं छोड़ेगी. यकीनन इस टूर्नामेंट के प्रदर्शन को देखें तो सेमीफाइनल में फेवरिट ऑस्ट्रेलिया ही है.
दूसरी तरफ, बेल्जियम ने भले ही क्वार्टर फाइनल में जर्मनी को हराया हो. भले ही वर्ल्ड रैंकिंग बेहतर हो. लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ उसे मुश्किल होने की उम्मीद दिख रही है. इंग्लैंड ने टूर्नामेंट में शानदार खेल दिखाया है. उम्मीद करनी चाहिए कि शनिवार का दिन कलिंग स्टेडियम में दो रोमांचक मैचों का गवाह बनेगा, जिससे उभर कर दो टीमें रविवार को फाइनल में जगह बनाएंगी.
इंग्लैंड और बेल्जियम के बीच मैच शाम चार बजे और ऑस्ट्रेलिया-नेदरलैंड्स मुकाबला शाम साढ़े छह बजे होगा.
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