ग्रुप डी - अर्जेंटीना, क्रोएशिया, आइसलैंड और नाइजीरिया
इस ग्रुप की अहमियत यह है कि इसमें दुनिया के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ियों में शुमार लियोनल मेसी की टीम अर्जेंटीना शामिल है. यही वजह है कि इस विश्व कप के फाइनल के अलावा अर्जेंटीना के आइसलैंड के साथ होने वाले मुकाबले के सभी टिकट बिक चुके हैं. अर्जेंटीना के अटैकिंग खिलाड़ियों का कोई सानी नहीं है तो क्रोएशिया की मिडफील्ड दुनिया की किसी भी टीम के मुकाबले खड़े होने की क्षमता रखती है. इस वजह से यह दोनों टीमें नॉकआउट चरण में स्थान बनाने की दावेदार होने के साथ-साथ और आगे जाने की क्षमता रखती हैं.
नाइजीरिया की टीम को कम करके नहीं आंका जा सकता है. वह ग्रुप की दोनों दिग्गज टीमों का गणित बिगाड़ने का माद्दा रखती है. आइसलैंड इस विश्व कप में भाग लेने वाला शायद सबसे छोटा देश है. उनकी टीम पहली बार विश्व कप में खेल रही है, वह क्या गुल खिलाने का माद्दा रखते हैं, यह आने वाला समय ही बताएगा.
सफलता इस स्टारों पर निर्भर
लियानल मेसी (अर्जेंटीना) : लियोनल मेसी को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबालरों में शुमार किया जाता है. उन्होंने अपने क्लब बार्सिलोना के लिए ला लीगा के 418 मैचों में 383 गोल और चैंपियंस लीग में 125 मैचों में 100 गोल जमाकर ढेरों सफलताएं दिलाई हैं. लेकिन वह अर्जेंटीना के लिए खेलते समय ऐसा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं. यही वजह है कि वह अब तक तीन विश्व कप खेलकर भी विजेता टीम का हिस्सा बनने का सपना साकार नहीं कर सके हैं. इस विश्व कप में वह अपने सपने को साकार करने का हरसंभव प्रयास करेंगे.
मारियो मांदुकिच (क्रोएशिया) : मारियो ने क्रोएशिया के क्वालिफाइंग अभियान में सबसे ज्यादा पांच गोल जमाए हैं. यह गोलों की संख्या खास नहीं है, क्योंकि यूरोप में ही 13 खिलाड़ियों ने क्वालिफाइंग दौर में इससे ज्यादा गोल जमाए हैं. वह युवेंटस के लिए आगे खेलने वाले तीन खिलाड़ियों में बाएं खेलते हैं, जिसके लिए गोल जमाने के कम मौके होते हैं. इसलिए वह हर सीजन में औसत 11 गोल जमाते हैं. पर वह जब बायर्न म्युनिख और एटलेटिको मैड्रिड के लिए खेला करते थे, तब उनका सीजन में गोल जमाने का औसत 22 हुआ करता था.
ओडिओन लघालो (नाइजीरिया) : लघालो तकनीक अच्छी होने के साथ जबर्दस्त गति के मालिक भी हैं. वह अपनी इस खूबी के बूते पर किसी भी डिफेंस को भेदने की क्षमता रखते हैं. वह तेजी से हमले बनाकर गोल पर दमदार शॉट लगाने के लिए जाने जाते हैं. वह जब वाटफोर्ड में खेलते थे, तब तमाम मजबूत टीमों के खिलाफ भी उन्होंने नियमित तौर पर गोल जमाए. वैसे तो उन्होंने नाइजीरिया के लिए खेले 17 मैचों में चार ही गोल जमाए हैं. पर विश्व कप में स्ट्राइकर की जिम्मेदारी इस खिलाड़ी को ही निभानी है.
गिल्फी सिगुर्डसन (आइसलैंड) : गिल्फी सिगुर्डसन प्रीमियर फुटबॉल लीग में एवर्टन क्लब के लिए अटैकिंग मिडफील्डर के तौर पर खेलते हैं. यह उनका पहला विश्व कप भले ही है पर 2016 के यूरो कप में खेलकर मिले अनुभव का यहां इस्तेमाल करने का प्रयास जरूर करेंगे. उन्होंने अब तक आइसलैंड के लिए 55 मैच खेलकर 17 गोल जमाए हैं.
ग्रुप की टीमों का इतिहास
अर्जेंटीना को दुनिया की सफलतम टीमों में गिना जाता है. वह 1978 और 1986 में दो बार विश्व कप ट्रॉफी पर कब्जा जमा चुकी है. इसके अलावा तीन बार 1930, 1990 और 2014 में फाइनल तक चुनौती पेश करके उपविजेता रह चुकी है. वह चार को छोड़कर सभी विश्व कपों में खेली है. उसके स्टार खिलाड़ी लियोनल मेसी ने अब तक पांच गोल जमाए हैं, जिसमें से चार 2014 में जमाए हैं. क्रोएशिया का विश्व कप इतिहास पुराना नहीं है, क्योंकि वह 1991 में ही स्वतंत्र देश बना है. उन्होंने 1998 से लेकर 2014 तक चार बार भाग लिया है.
वह 2010 के विश्व कप में नहीं खेल सका था. 1998 में ये टीम तीसरे स्थान पर रही पर बाकी तीन मौकों पर वह ग्रुप चरण से आगे नहीं निकल सकी. आइसलैंड भले ही विश्व कप में पहली बार भाग ले रही है पर वह विश्व कप में खेलने के लिए 1954 से प्रयासरत है. वह 12 बार असफल प्रयास करने के बाद 13वीं बार में विश्व कप में खेलने का हक पा सकी है. नाइजीरिया ने छठी बार खेलने का हक पाया है. वह पहली बार 1994 में खेला और प्रीक्वार्टर फाइनल तक चुनौती पेश की. वह 2014 में भी प्रीक्वार्टर फाइनल तक खेल चुका है.
किसके दावे में कितना दम
अर्जेंटीना को तो हमेशा ही खिताब के दावेदार के तौर पर देखा जाता है. लियोनल मेसी की अगुआई वाली टीम में अटैकिंग प्लेयर्स के ढेरों विकल्प हैं. पर डिफेंस के मामले में टीम थोड़ी कमजोर नजर आती है. जिस टीम में मेसी के अलावा एग्युरो, गोंजालो, हिग्वेन, मौरो आईकार्डी और एंजेल कोरिया जैसे खिलाड़ी हों और वह गोल जमाने में दिक्कत महसूस करे तो अचरज होता है. असल में टीम की दिक्कत यह है कि मेसी जब आगे खेलते हैं तो पास उनके पास नहीं पहुंच पाते हैं. पर वह गेंद लेने पीछे आ जाते हैं तो आगे पास पकड़ने वाला कोई नहीं होता है. पर विश्व कप की तैयारी के लिए हैती से खेले दोस्ताना मैच में मेसी ने 4-0 की जीत में हैट्रिक जमाकर दिखाया है कि टीम अब तैयार है.
क्रोएशिया का प्रदर्शन उनके मिडफील्डरों के प्रदर्शन पर बहुत कुछ निर्भर करेगा. उनकी मिडफील्ड की तिकड़ी रियाल मैड्रिड के लूका मोद्रिच और मातेओ कोवाचिच, बार्सिलोना क्लब के इवान राकितिच और इंटर मिलान के इवना पेरिसिच ऐसे खिलाड़ी हैं, जो किसी भी हमलावर टीम की हवा निकाल सकते हैं. इन मिडफील्डरों ने क्वालिफाइंग दौर में शानदार प्रदर्शन किया है.
पर इस दल की दिक्कत यह है कि इसके खिलाड़ी चढ़ती उम्र वाले हैं और टीम की औसत आयु 30 के आसपास है. इस सबके बावजूद टीम आगे बढ़ने की क्षमता रखती है.
नाइजीरिया की ताकत को दोस्ताना मैचों में अर्जेंटीना पर 4-2 और पोलैंड पर 1-0 की जीत से समझा जा सकता है. यह टीम सभी मामलों में तेज तर्रार है और अपना दिन होने पर किसी भी टीम को उलटफेर का शिकार बना सकती है. लेकिन इस टीम की कमजोरी अच्छा गोलकीपर नहीं मिल पाना है. असल में टीम के नंबर एक गोलकीपर कार्ल लकेमे ब्लड कैंसर का शिकार हो गए हैं. उनकी जगह गोलकीपर की जिम्मेदारी संभालने वाले डेनियल और इजेनवा दोनों ही प्रभावित करने में असफल रहे हैं.
आइसलैंड ने पहली बार विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया है. लेकिन इस छोटे से देश की चुनौती को हल्के से नहीं लिया जा सकता है, क्योंकि वह 2016 में यूरो कप में शानदार प्रदर्शन करके क्वार्टर फाइनल तक चुनौती पेश कर चुकी है. उनकी टीम में अनुभव की कोई कमी नहीं है और वह संतुलित भी है, इसलिए कुछ गुल खिला दे तो हैरत नहीं होगी.
कार्यक्रम :
6 जून : अर्जेंटीना बनाम आइसलैंड, क्रोएशिया बनाम नाइजीरिया
21 जून : अर्जेंटीना बनाम क्रोएशिया
22 जून :नाइजीरिया बनाम आइसलैंड
26 जून : नाइजीरिया बनाम अर्जेंटीना, आइसलैंड बनाम क्रोएशिया
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