ग्रुप सी- फ्रांस, डेनमार्क, ऑस्ट्रेलिया और पेरू
इस ग्रुप में फैसला होना आसान नहीं होगा. फ्रांस की टीम तो ग्रुप विजेता ही नहीं, बल्कि खिताब जीतने के इरादे से उतर रही है. डेनमार्क भी किसी से कम नहीं है. इसलिए यह दोनों टीमें ग्रुप से नॉकआउट चरण में स्थान बनाने की दावेदार हैं. ऑस्ट्रेलियाई टीम बहुत आगे जाने वाली भले ही न हो पर वह अपना दिन होने पर अप्रत्याशित परिणाम निकालकर किसी भी टीम का गणित तो बिगाड़ ही सकती है. इसके अलावा ग्रुप की चौथी टीम पेरू भले ही 36 साल के बाद खेल रही है. लेकिन दक्षिण अमेरिका में क्वालीफाई करने वाली टीम कमजोर हो ही नहीं सकती है. वह भी कुछ न कुछ गुल खिला सकती है.
सफलता इन स्टारों पर निर्भर
क्रिस्टियन एरिक्सन (डेनमार्क) : क्रिस्टियन को डेनमार्क टीम की जान मान सकते हैं. इस टीम के अधिकांश हमले इस खिलाड़ी के माध्यम से ही बनते हैं. वह टोटेनहम हॉट्सपर के मिडफील्डर हैं. उन्होंने डेनमार्क के क्वालीफाइंग अभियान में 11 गोल जमाए हैं. यूरोपीय टीमों में इस अभियान में उनसे ज्यादा गोल रॉबर्ट लीवांदोवस्की और क्रिस्टियानो रोनाल्डो ही जमा सके हैं.
पॉल पोग्बा (फ्रांस) : यह खिलाड़ी फ्रांस की मिडफील्ड की जान है. हमले बनाने में उनकी भूमिका अहम होती है और मौका पड़ने पर खुद भी गोल जमाने की क्षमता रखते हैं. वह आमतौर पर सेंटर मिडफील्डर की पोजीशन पर खेलते हैं और जरूरत पड़ने पर अटैकिंग मिडफील्डर की तरह भी खेलते हैं.
उन्होंने फ्रांस के लिए खेले 51 मैचों में 9 गोल जमाए हैं. वह मैनचेस्टर यूनाईटेड और जुवेंटस के लिए 184 मैचों में खेलकर 39 गोल जमा चुके हैं.
जेफरसन फारफान (पेरू) : इस टीम के कप्तान पाओलो गुइरेरो टीम के प्रमुख स्कोरर रहे हैं. पर वह क्वालीफाइंग अभियान के दौरान ड्रग टेस्ट में फेल हो गए. अब यह जिम्मेदारी उनके परम मित्र जेफरसन फारफान ने संभाली है. उन्होंने जब टीम को रूस का टिकट दिलाने वाला गोल जमाया तो अपने मित्र गुइरेरो की खातिर अपना मुंह शर्ट से ढक लिया था. वह एफसी लोकोमोटिव, मास्को से खेलते हैं और इस टीम को 11 गोल जमाकर 14 साल बाद वहां की लीग का खिताब दिलाया है.
डेनियल अरजानी (ऑस्ट्रेलिया) : इस खिलाड़ी में तेजी से हमला बनाकर किसी भी डिफेंस को भेदने की क्षमता है. वह ईरान में पैदा हुए और सात साल की उम्र में ऑस्ट्रेलिया आकर बस गए. इस 20 वर्षीय खिलाड़ी के टीम में शामिल होने से हमलों में पैनापन आ गया है. वह इस सीजन में मेलबर्न सिटी को अपने शानदार प्रदर्शन से तीसरे स्थान पर पहुंचाने में सफल रहे हैं.
ग्रुप की टीमों का इतिहास :
फ्रांस यूरोप की उन चार टीमों में शुमार है, जिन्होंने 1930 में हुए पहले विश्व कप में भाग लिया था. वह अब तक 14 बार भाग लेकर 1998 में एक बार खिताब जीत चुकी है. इस विश्व कप का उसके घर में आयोजन हुआ था और उन्होंने फाइनल में ब्राजील को 3-0 से हराया था. फ्रांस 1938 में तीसरे विश्व कप का भी आयोजन कर चुका है. पर उस समय उसे क्वार्टर फाइनल में इटली के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. फ्रांस 2006 में भी फाइनल तक चुनौती पेश कर चुका है. डेनमार्क ने 1986 में पहली बार विश्व कप में भाग लिया. उन्होंने जर्मनी सहित ग्रुप की तीनों टीमों को फतह किया. इसके बाद से वह विश्व कप में लगातार भाग ले रहा है. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1998 में क्वार्टर फाइनल तक चुनौती पेश करना है. पेरू पहले विश्व कप में भाग लेने वाली टीमों में शामिल थी. इसके अलावा वह 1970, 1978 और 1982 में खेल चुका है और उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1970 में सातवां स्थान है. लेकिन अब वह 36 साल के बाद क्वालीफाई हुआ है. ऑस्ट्रेलिया 1974 में पहली बार खेला. लेकिन वह 2006 से लगातार खेल रहा है. उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2006 में प्रीक्वार्टर फाइनल तक चुनौती पेश करना है.
किसके दावे में कितना दम :
डेनमार्क लगभग डेढ़ दशक तक अजाक्स के कोच रहे मोर्टेन ओल्सेन की देखरेख में खेलता रहा. लेकिन 2014 के विश्व कप और 2016 के यूरो कप के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाने पर ओगे होराइद के कोच बनने के बाद से ज्यादा से ज्यादा गेंद पर कब्जा रखकर खेलने की शैली में बदलाव आने लगा. उन्होंने क्वालीफिकेशन प्लेऑफ में आयरलैंड को 5-1 से हराया. यही नहीं वह 2017 से अजेय बनी हुई है. इस लिहाज से इस बार उनका दावा दमदार लगता है.
फ्रांस की जहां तक बात है तो वह विश्व कप के क्वालीफाइंग दौर में उम्मीदों से ज्यादा मुश्किल में दिखी. लेकिन यूरो 2016 की उपविजेता फ्रांस को इस बार खिताब की दावेदार टीमों में माना जा रहा है. टीम के कोच डिडियर डेसचैंप्स के सामने प्रमुख समस्या सही खिलाड़ियों का चयन रहा है, क्योंकि उनके पास प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की भरमार है.
बेंजामिन के सीजन में ज्यादातर समय नहीं खेल पाने के बाद वापसी होने से टीम मजबूत हुई है. टीम के पास पॉल पोग्बा, स्ट्राइकर केलियन, ओसमेंस और किंग्सले जैसे दमदार खिलाड़ी हैं.
पेरू को कप्तान पाओलो गुइरेरो के क्वालीफाइंग दौर में छह गोल जमाने के बाद ड्रग टेस्ट में फेल होने से झटका लगा है. पर जेफरसन और एडिंसन फ्लोरिस ने आगे के अभियान को सही से चलाकर टीम को यहां तक पहुंचाया है. उनकी मिडफील्ड भी दमदार है. पेरू बहुत संभव है कि नॉकआउट चरण में स्थान नहीं बना सके पर वह उलटफेर करके किसी भी टीम का खेल बिगाड़ सकती है.
ऑस्ट्रेलिया टीम भी अब तक ऐसी छवि नहीं बना सकी है कि अपने अभियान को बहुत आगे तक ले जा सके. वैसे तो उनके और पेरू के बीच ग्रुप में तीसरे स्थान पर रहने वाली टीम का फैसला होना है. पर यह भी अपना दिन होने पर किसी भी टीम का खेल बिगाड़ने की क्षमता तो रखती है.
कार्यक्रम :
16 जून : फ्रांस बनाम ऑस्ट्रेलिया, पेरू बनाम डेनमार्क
21 जून : डेनमार्क बनाम ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस बनाम पेरू
26 जून : डेनमार्क बनाम फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया बनाम पेरू
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘आप रोजगार सृजन के बिना नौकरियां पैदा कर सकते हैं, फिलहाल देश में यही हो रहा है.’
निर्मला सीतारमण ने कहा कि मुंबई हमले पर न सिर्फ ये सरकार बल्कि पूर्व की सरकारें भी पाकिस्तान को डोजियर और सबूत दे चुकी हैं
कैटरीना कैफ के लिए साल 2018 कुछ खास नहीं रहा. जहां पिछले साल उनकी 2 फिल्में रिलीज हुई आमिर खान के साथ 'ठग्स ऑफ हिंदोस्तान' और शाहरुख खान के साथ 'जीरो' लेकिन ये दोनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से पिट गई
तीनों मुक्केबाजों ने अपने स्वर्ण पदक 14 फरवरी को पुलवामा में आंतकवादी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के 40 जवानों को समर्पित किए
AIADMK के संयोजक और उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने महागठबंधन की घोषणा की