नाम : खुशबीर कौर
उम्र : 24
खेल : एथलेटिक्स
कैटेगरी : 20 किलोमीटर रेस वॉक
पिछला कॉमनवेल्थ गेम्स प्रदर्शन : पहली बार भाग लेंगी
खुशबीर कौर हमेशा से रेस वॉकर बनना चाहती थीं. अमृतसर के पास रसूलपुर गांव की खुशबीर की काबिलियत का पता पूरी दुनिया को तब चला जब खुशबीर ने 2014 इंचियोन एशियाई खेलों में महिलाओं की 20 किलोमीटर रेस वॉक में रजत पदक जीता. इसी के साथ एशियाई खेलों के वॉक इवेंट में पदक जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला बनीं. उनकी टाइमिंग 1.33.07 से उनका खुद का प्रदर्शन अच्छा हुआ और दुनिया को भारत की इस उभरती हुई रेस वॉकर के बारे में पता चला.
खुशबीर के लिए साल 2014 बहुत अच्छा रहा, क्योंकि हर टूर्नामेंट में वह अपना नेशनल रिकॉर्ड और अच्छा करती रहीं. मार्च में हुई एशियाई वाकिंग रेस चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक जीता. इसके दो महीने बाद टाईचांग में हुई वर्ल्ड रेस वाकिंग चैंपियनशिप में फिर नेशनल रिकॉर्ड बनाया. खुशबीर की मेहनत और लगन ने उन्हें इस काबिल बनाया. सभी को उनसे पदक की उम्मीद रहती है, 1218 गोल्डकोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स भी कोई अपवाद नहीं हैं.
मुश्किलों भरा है बचपन
वैसे मुश्किलों का सामना करना उन्हें अच्छे से आता है इसलिए उन्हें पछाड़ना कोई आसान काम नहीं है. सात साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता को खो दिया और फिर परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी उनके मां के कंधों पर आ गई. इस मुश्किल परिस्थिति ने उन्हें और मजबूत बना दिया. साल 2008 के जूनियर नेशनल्स में इस युवा खिलाड़ी ने बिना जूते पहने रेस में हिस्सा लिया, क्योंकि वह जुटे खरीदने में सक्षम नहीं थीं.
बेहतरीन जूनियर करियर
मुश्किलों का सामना करने के बाद भी खुशबीर की मां ने ही उन्हें खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. साल 2007 में 14 साल की खुशबीर ने राज्य स्तर की 3000 मीटर रेस दौड़ जीती. उनका स्तर और बढ़ता गया खासकर एशियाई चैंपियन बलदेव सिंह के साथ जुड़ने के बाद. उन्ही की देखरेख में खुशबीर अंतराष्ट्रीय सर्किट में हिस्सा लेने लगीं और 2010 के यूथ एशियाई खेलों में रजत और 2012 की एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया. 2013 वर्ल्ड चैंपियनशिप में अपने पर्सनल बेस्ट से सात मिनट पीछे थीं और 37वें स्थान पर रहीं. 2015 बीजिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में 37वें और 2017 लंदन वर्ल्ड चैंपियनशिप में वह 42वें स्थान पर रहीं. यहां पर वह उम्मीदों के बोझ तले दब गईं. लेकिन अब उनके पास अपने आलोचकों को जवाब देने का मौका है.
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