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किन खिलाड़ियों के खेल पर छाया ‘काला जादू’, कौन फंसा चंगुल में

पाकिस्तान के क्रिकेटर हारिस सुहैल ने किया था दावा कि उन पर काला जादू किया गया है

Updated On: Jan 11, 2019 05:07 PM IST

Shailesh Chaturvedi Shailesh Chaturvedi

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किन खिलाड़ियों के खेल पर छाया ‘काला जादू’, कौन फंसा चंगुल में

एक दिन पहले खबर आई कि पाकिस्तान के बल्लेबाज हारिस सुहैल पर किसी ने काला जादू कर दिया. ऐसा किसी और ने दावा नहीं किया, खुद सुहैल को ऐसा लगता है. उनके मुताबिक इसी वजह से उन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट के बाद घर वापस जाना पड़ा.

हालांकि खबर आने के बाद ‘डैमेज कंट्रोल’ की कोशिश हुई. सुहैल ने पाकिस्तान लौटने के बाद कहा भी उनकी बातों को गलत तरीके से पेश किया गया है. सुहैल के घुटने में चोट है और अब 14 जनवरी से रीहैबिलिटेशन शुरू होगा. हालांकि न्यूज रिपोर्ट में दावा किया गया कि हारिस ने घर वापसी से पहले टीम मैनेजमेंट को काला जादू वाली बात बताई और सीधा रीहैबिलिटेशन में जाने के बजाय अपने घर सियालकोट जाने का फैसला किया.

हारिस सुहैल ने पहली बार इस तरह का दावा नहीं किया. इससे पहले भी वो 2015 में ऐसा कर चुके हैं. तब पाकिस्तान की टीम न्यूजीलैंड गई थी. उन्होंने अपने होटल का कमरा बदला था. तब भी माना गया था कि उस कमरे में वो परेशानी महसूस कर रहे हैं.

काला जादू, जादू-टोना और हल्के-फुल्के अंध विश्वास में फर्क है

आखिर ये क्या है? क्या वाकई खेलों में काला जादू होता है? होता है, तो क्या इसे माना जाता है? ये कोई पहला मौका नहीं है, जब किसी खिलाड़ी ने इस तरह की बात की हो. पहले भी होता रहा है. यहां ध्यान रखने की बात यह भी है कि मुद्दा अंध विश्वास नहीं है. अंध विश्वास तो भरा पड़ा है. जैसे, किसी एक जगह बैठकर मैच देखना. यह मानना कि अगर वहां से उठे, तो टीम को नुकसान होगा.

इस तरह की घटना 1983 के उस मैच में हुई थी, जब भारत और जिम्बाब्वे के बीच मुकाबला था. भारत के पांच विकेट 17 रन पर गिर गए थे. कपिल देव खेलने आए. जब अच्छा खेलने लगे, तो तय हुआ कि जो जिस जगह बैठा है, वहां से नहीं हिलेगा. इसी तरह अनिल कुंबले का स्वेटर और कैप सचिन तेंदुलकर लेकर अंपायर को देते थे. इसे कुंबले अपने लिए भाग्यशाली मानते थे. पैड बांधने से लेकर क्रीज तक पहुंचने तक तमाम क्रिकेटर्स के अपने-अपने विश्वास रहे हैं. ऐसा आम जीवन में भी होता है. ‘किसका मुंह देखा’ से लेकर ‘बिल्ली रास्ता काट गई’ तक बहुत से ऐसे विश्वास और अंध विश्वास हैं, जो आम जिंदगी से जुड़े हैं. लेकिन काला जादू वाला मामला कुछ ज्यादा ही है.

Britain Cricket - India Nets - Edgbaston - June 14, 2017 India coach Anil Kumble during nets Action Images via Reuters / Andrew Boyers Livepic EDITORIAL USE ONLY. - RTS170WR

अनिल कुंबले बॉलिंग से पहले अपना स्वेटर और कैप सचिन तेंदुलकर को दिया करते थे.

लिंबा राम को लगता रहा है कि उन पर किसी ने कुछ कर दिया है

तीरंदाज लिंबा राम भी यह मानते रहे हैं कि किसी ने उन पर काला जादू किया था. लिंबा 90 के दशक की शुरुआत में विश्व स्तरीय तीरंदाज थे. उन्हें ओलिंपिक पदक दावेदार माना जाता था. वर्ल्ड रिकॉर्ड बराबर कर चुके थे. उसके बाद उनका ग्राफ गिरा. कंधे की चोट ने उन्हें परेशान किया. उसी दौरान उनसे बात करने का मौका मिला. दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के हॉस्टल में वो रहते थे.

बातों-बातों में उन्होंने काला जादू का जिक्र किया, ‘मुझ पर किसी ने कुछ कर दिया था.’ यह सुनने के बाद ‘कुछ कर दिया था’ को पूरी तरह जानने की इच्छा हुई. इसके बाद उन्होंने बताया कि किसी ने जादू-टोना कर दिया था, जिसकी वजह से उनका करियर खराब हो गया. यह बात सही है कि कई बार परेशानियों में घिरने के बाद इस तरह के विचार आ सकते हैं. खासतौर पर लिंबा जैसे बैकग्राउंड से आए लोगों के लिए इस तरह की सोच से बचना आसान नहीं है. लिंबा राम आदिवासी इलाके से आए थे, जहां पढ़ाई-लिखाई की ज्यादा सुविधा नहीं थी. शायद यह भी एक वजह थी कि न तो वो अपने मन से यह बात निकाल पाए कि किसी ने जादू कर दिया है. न ही दूसरे लोग उन्हें समझाने में कामयाब हो पाए.

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हॉकी में भारत की हार की वजह था काला जादू!

इसी तरह की एक घटना हॉकी की है. 1998 के कॉमनवेल्थ गेम्स थे, जो मलेशिया में हुए. भारत को सेमीफाइनल में मलेशिया से खेलना था. भारतीय टीम फेवरिट थी, लेकिन मुकाबला हार गई. टीम के कोच एम.के. कौशिक ने अपनी किताब ‘द गोल्डन बूट’ में लिखा है कि मुकेश कुमार ने रात में मजाक मे कहा कि मलेशिया ने जरूर काला जादू किया होगा.

मुकेश उस वक्त मलेशियाई क्लब हॉकी खेले थे. किताब के मुताबिक उन्होंने बताया था कि तमाम बार मटन के टुकड़े को शराब में डुबोकर गोल पोस्ट के आसपास छिड़काव किया जाता था. किताब में इस घटना को हल्के-फुल्के तरीके से लिखा गया है. लेकिन उस टीम के कुछ सदस्य बताते हैं कि टीम में तब ज्यादातर लोग इस बात को मान रहे थे. एक खिलाड़ी के मुताबिक, ‘देर रात कुछ मौलवी जैसे लोग मैदान पर देखे गए, जो गोल पोस्ट के आसपास थे.’ उसके बाद भी जब तक आईएचएफ था, तब तक भारतीय टीम के किसी बड़े टूर्नामेंट का विदाई समारोह पूजा के बगैर खत्म नहीं होता था. दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में एक छोटा सा मंदिर था. वहां हमेशा टीम रवानगी से पहले पूजा की जाती थी.

बहुत आराम से इन बातों को खारिज किया जा सकता है, क्योंकि अगर काला जादू करके कोई टीम जीत सकती, तो वो कभी नहीं हारती. लेकिन इस तरह की बातों पर विश्वास के सामने लॉजिक कहीं नहीं आता. ऐसा सिर्फ भारत या पाकिस्तान जैसे देशों में ही नहीं होता. ऐसे तमाम देशों में होता है, जिन्हें हम विकसित और अपने मुकाबले ज्यादा पढ़ा-लिखा मानते हैं.

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