अनुशासनहीनता के पूर्व के मामले के कारण द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नामितों की सूची से हटाए जाने से नाराज राष्ट्रीय कंपाउंड तीरंदाजी कोच जीवनजोत सिंह तेजा ने शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया. तेजा ने चंडीगढ़ में पत्रकारों से कहा, ‘मैंने भारतीय तीरंदाजी टीम कोच पद से त्यागपत्र दे दिया है.’
तेजा ने कहा कि उनके खिलाफ अन्याय हुआ. उन्होंने कहा, ‘मैं पुरस्कार की मांग नहीं कर रहा हूं, लेकिन उम्मीद्वारों के चयन में पारदर्शी प्रक्रिया चाहता हूं.’ तेजा राष्ट्रीय कंपाउंड टीम के मुख्य कोच के रूप में एशियन गेम्स के लिए जकार्ता गए थे. उन्होंने कहा कि अनुशासनहीनता के आरोप और उसके बाद एक साल का प्रतिबंध बीती बातें हैं और वह बहुत पहले आरोपमुक्त हो चुके थे.
उन्होंने कहा कि उस मामले में उन्हें गलत घसीटा गया क्योंकि जो घटना हुई थी उसके लिए वह जिम्मेदार नहीं थे और उन्हें गलत सजा दी गई. तेजा ने कहा कि खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ खिलाड़ी रहे हैं और उन्हें तथ्यों से अवगत होना चाहिए.
एक दिन पहले ही अर्जुन पुरस्कार विजेता तीरंदाजों अभिषेक वर्मा. रजत चौहान और वी ज्योति सुरेखा ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर उनसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था कि उनके कोच तेजा को द्रोणाचार्य सम्मान से महरूम नहीं किया जाए. न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल की अगुआई वाली चयन समिति ने द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए तेजा के नाम की सिफारिश की थी, लेकिन खेल मंत्रालय ने अतीत में इस कोच के खिलाफ अनुशासन के एक मामले का हवाला देकर उनका नाम काट दिया.
पत्र के अनुसार, ‘वह काफी हौसलाअफजाई करने वाले हैं और भारतीय तीरंदाजी को नई ऊंचाइयों पर ले गए हैं. वह मजबूत स्तंभ की तरह 2013 से हमारे साथ हैं. इसलिए हम आपसे अपील करते हैं कि उनके प्रयासों को कृपा करके मान्यता दें और जल्द से जल्द इस मामले पर गौर करें क्योंकि यह पूरे तीरंदाजी जगत को प्रभावित कर सकता है.’
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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