कॉमनवेल्थ गेम्स की 2018 की बुधवार को हुई ओपनिंग सेरेमनी के बाद गुरुवार से मुकाबले शुरू हो जाएंगे. भारत ने इस बार अपना सबसे बड़ा दल भेजा है. भारत की ओर से 218 खिलाड़ी चुनौती पेश करेंगे. देश को इन खिलाड़ियों से मेडल की उम्मीदें है.
पीवी सिंधु (बैडमिंटन)
भारतीय शटलर पीवी सिंधु इस साल गोल्ड मेडल की सबसे बड़ी उम्मीद होंगी. बीते चार साल में सिंधु ने काफी कुछ हासिल किया है. उन्होंने कई खिताब जीते और वर्ल्ड नंबर दो तक पहुंचीं. पिछले सप्ताह उन्हें चोट भी लगी थी, लेकिन रविवार को वह कोर्ट पर लौटीं. वह काफी फिट नजर आ रही थीं. उन्होंने हाल ही में ऑल इंग्लैंड चेंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई थी.
किदांबी श्रीकांत (बैडमिंटन)
वर्ल्ड नंबर तीन भारत के के श्रीकांत कॉमनवेल्थ गेम्स में एक बड़ी उम्मीद होंगे. आंध्र प्रदेश के गुंटूर के रहने वाले किदांबी श्रीकांत में कड़ी मेहनत करने और सतत आगे बढ़ते रहने का जज्बा है.
इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कदम-दर-कदम कामयाबी की सीढ़ी चढ़ते हुए श्रीकांत ने 2017 में आखिरकार इतिहास रच डाला. श्रीकांत ने 2017 के सत्र में चार सुपर सीरीज खिताब अपने नाम किए. इसके साथ ही वह सुपर सीरीज मुकाबलों में सायना नेहवाल के बाद सबसे कामयाब भारतीय खिलाड़ी भी बन गए.
दीपिका-जोशना (स्क्वॉश)
चार साल पहले ग्लास्गो में दीपिका पल्लीकल कार्तिक और जोशना चिनप्पा की जोड़ी ने देश के लिए स्क्वॉश में पहला गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था. इस बार एक बार पिर वह देश के लिए बड़ी उम्मीद हैं. लंबे समय से साथ खेल रही इस जोड़ी को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देना होगा. इस जोड़ी के लिए नॉकआउट स्टेज में असली चुनौती सामने आ सकती है. यहां उनका सामना ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड की मजूबत प्रतिद्वंद्वियों से हो सकता है.
मैरी कॉम (बॉक्सिंग)
पांच बार की वर्ल्ड चैंपियन एमसी मैरी कॉम ने भारतीय खेलों में एक खास मुकाम हासिल किया है. बीते साल नवंबर में उन्होंने एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर शानदार कमबैक किया था. कॉमनवेल्थ में मैरी कॉम अब तक कोई मेडल हासिल नहीं कर पाई हैं. इस बार उनकी नजर इस इतिहास को पलटने पर होगी. ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता मैरी कॉम एक बार फिर 48 किलोग्राम कैटिगरी में खेलने उतरेंगी. मुकाबला 6 अप्रैल को दोपहर 2 बजे होगा.
साक्षी मलिक (रेसलिंग)
रियो ओलिंपिक के बाद साक्षी मलिक का जीवन पूरा बदल गया है. अब उन पर अधिक जिम्मेदारी है. उन्हें भारत के लिए और पदक जीतने हैं. उम्मीद है कि कॉमनवेल्थ गेम्स से इसकी शुरुआत होगी. उसके बाद एशियाई खेल और फिर 2020 में टोक्यो ओलिंपिक हैं.
ओलिंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक को यकीन है कि नई रक्षात्मक तकनीक के साथ वह कुश्ती स्पर्धा में अपना पहला स्वर्ण पदक जीतेंगी. साक्षी ने अपने कोच कुलदीप सिंह मलिक के कहने पर लेग डिफेंस में बदलाव किया है. उम्मीद है कि इस बार वह अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए मेडल हासिल करेंगी.
मनु भाकर (शूटिंग)
सोलह बरस की मनु ने कुछ सप्ताह पहले सीनियर वर्ल्ड कप में डेब्यू में दो गोल्ड मेडल जीते. उन्होंने जूनियर विश्व कप में इस प्रदर्शन को दोहराया. पिछले साल अपने डेब्यू में उन्होंने जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था. मनु हालांकि 10 मीटर पिस्टल और 25 मीटर पिस्टल में शूट करती हैं, लेकिन गोल्ड कोस्ट में वह केवल 10 मीटर इवेंट में ही भाग लेंगी. अन्य भारतीय निशानेबाजों की तरह उनकी सबसे बड़ी चुनौती भी भारतीय ही हैं. उन्हें हिना सिद्धू से बड़ी चुनौती मिलेगी. यह मनु का पहला कॉमनवेल्थ गेम्स है.
जीतू राय (शूटिंग)
जीतू राय ने 2014 ग्लास्गो कॉमनवेल्थ में गोल्ड मेडल जीता था. सेना का यह 30 साल का निशानेबाज 50 मीटर एयर पिस्टल में लगातार दूसरा कॉमनवेल्थ गोल्ड जीतना चाहेगा. जीतू 10 मीटर एयर पिस्टल में भी चुनौती पेश करेंगे और गोल्ड कोस्ट में पदक जीतकर रियो ओलिंपिक 2016 की नाकामी को दूर करना चाहेंगे.
2011 में जीतू को उनके खराब प्रर्दशन की वजह से नायब सूबेदार ने दो बार महू में आर्मी की मार्क्समैन यूनिट से वापस भेज दिया गया था, लेकिन इसके बाद उन्होंने खुद के प्रदर्शन को सुधारा और लगातार जीत हासिल की.
नीरज चोपड़ा (जेवलिन थ्रो)
नीरज चोपड़ा ने दो साल पहले पोलैंड में अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप में जेवलिन थ्रो में भारत के लिए इतिहास रच दिया था. उस समय 18 साल के नीरज ने 86.48 मीटर जेवलिन थ्रो कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था. उन्होंने लातविया के जिगिस्मंड सिरमायस के 84.69 मीटर के रिकॉर्ड को तोड़ा था. वह पहले भारतीय एथलीट हैं जिन्होंने किसी भी स्तर पर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. वह पहले भारतीय एथलीट हैं, जिन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में किसी भी स्तर पर गोल्ड मेडल हासिल किया. इससे पहले भारत ने डिस्कस थ्रो इवेंट में दो ब्रॉन्ज मेडल जीते थे.
सुशील कुमार (रेसलिंग)
इसमें कोई शक नहीं कि सुशील कुमार भारतीय खेलों में कुश्ती के पोस्टर बॉय हैं. वह कॉमनवेल्थ गेम्स में गत दो बार के स्वर्ण पदक विजेता है. वह ओलिंपिक खेलों में रजत (2008 बीजिंग) और कांस्य पदक विजेता (2012 लंदन) हैं. 2010 में सुशील ने मास्को विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था. एशियन गेम्स (2006 दोहा) का कांस्य पदक भी उन्होंने अपने नाम किया हुआ है. स्टार पहलवान सुशील कुमार को कुछ साबित नहीं करना है, लेकिन वह बहुत कुछ कर दिखाना चाहते हैं और उनके लिए अगले महीने होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स तीसरे ओलंपिक पदक का ‘अधूरा’ सपना पूरा करने की कवायद में पहला कदम है.
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