पंजाब के मोगा के 23 वर्षीय लंबे-चौड़े एथलीट तेजिंदर पाल सिंह तूर की दिलचस्पी कभी भी शॉट पुट के खेल में आने की नहीं थी. वह मैदान में उतरे जरूर थे, लेकिन किसी और खेल के लिए. तेजिंदर पाल बचपन में क्रिकेटर बनना चाहते थे. लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. पिता के कहने पर उन्होंने शॉट पुट खेलना शुरू किया और ये उनकी जिंदगी का सबसे अच्छा निर्णय साबित हुआ. उन्होंने जकार्ता एशियन गेम्स में 20.75 मीटर दूर गोला फेंककर स्वर्ण पदक जीता.
हालांकि इस खेल में आने से पहले उन्हें कड़ी चुनौतियां का सामना भी करना पड़ा. इस खेल के लिए जिन जूतों का इस्तेमाल होता है उनकी कीमत की शुरुआत भी 10,000 रुपए से होती है और ये जूते दो महीने से ज्यादा चल नहीं पाते. किसी किसान परिवार के लिए शॉट पुट के खेल के लिए जरूरी साजों-सामान जुटाना आसान काम नहीं था, फिर इस खेल के लिए जिम और उच्च क्वालिटी के सप्लीमेंट्स की भी जरूरत होती है. ऊपर से उनके पिता (करम सिंह) कैंसर पीड़ित भी थे. इसके बावजूद उन्होंने अपने कदम पीछे नहीं खींचे. उनके पिता 2015 से कैंसर की जंग लड़ रहे हैं.
तेजिंदर पाल अपने जुनून के प्रति मजबूत बने रहे और उनके इन सभी त्यागों का फल उन्हें स्वर्ण पदक के रूप में मिला. तेजिंदर पाल ने पांचवें प्रयास में 20.75 मीटर दूर गोला फेंकर एशियन गेम्स के नए रिकॉर्ड के साथ पहला स्थान हासिल किया. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी तोड़ा जो ओम प्रकाश करहाना के नाम था.
उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि उनके और उनके परिवार के लिए बहुत मायने रखती है. तेजिंदर ने कहा, ‘यह पदक मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है क्योंकि इसके लिए मैंने काफी त्याग किए हैं. पिछले दो साल से मेरे पिता कैंसर से जूझ रहे हैं. मेरे परिवार ने कभी भी मेरा ध्यान भंग नहीं होने दिया. उन्होंने मुझे सपना पूरा करने की ओर बढ़ाए रखा. मेरे परिवार और दोस्तों ने काफी त्याग किए हैं और आज इन सबका फल मिल गया.’
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