अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) अगले साल पुरुषों की विश्व चैंपियनशिप में कोचेज और मुक्केबाजों के लिए ‘विरोध प्रणाली’ शुरू करने को तैयार है, जो 2020 ओलिंपिक के लिए क्वालीफायर भी होगा.
अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (आईओसी) ने स्कोरिंग प्रणाली की आलोचना की थी. एआईबीए ने गुरुवार को कहा कि विरोध दर्ज कराने का प्रावधान मास्को में 2019 में होने वाली विश्व चैंपियनशिप से शुरू किया जाएगा.
परीक्षण के बाद मंजूरी
विश्व संस्था ने बयान में कहा कि कोचेज और एथलीटों के लिए विरोध दर्ज करने वाली प्रणाली को परीक्षण के बाद मंजूरी दे दी गई है और 2019 एआईबीए पुरुष विश्व चैंपियनशिप में इसे लागू भी किया जाएगा. एआईबीए ने कहा कि इसने अपनी प्रणाली में सुधार के लिए काफी कठिन काम किया है, जिसमें स्कोरिंग सबसे अहम है और जिसकी आलोचकों द्वारा काफी आलोचना की गई है.
एआईबीए के कार्यकारी निदेशक टाम विरगेट्स ने कहा कि किसी भी अन्य अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघ की तरह एआईबीए लगातार अपनी रैफरिंग और जज के फैसलों में सुधार करता रहेगा, क्योंकि हमारे एथलीट पहली प्राथमिकता रहेंगे.
एआईबीए ने दावा किया कि उसने मुक्केबाजी रिंग के बाहर और अंदर पारदर्शिता और साफ सुथरे खेल की संस्कृति लाने के लिए अपनी प्रणाली को पूरी तरह से बदला है.
युवा ओलिंपिक में किया था पहला परीक्षण
इस नई प्रणाली का परीक्षण पहली बार ब्यूनस आयर्स में इसी साल हुए युवा ओलिंपिक खेलों में और हाल में दिल्ली में हुई महिला विश्व चैंपियनशिप में किया गया था. दिल्ली में हुई प्रतियोगिता के दौरान बुल्गारिया की एक मुक्केबाज ने जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, जिसकी एआईबीए ने समीक्षा की.ऑडिट फर्म ‘प्राइस वाटरहाउस कूपर’ नई प्रणाली का शुरू से निरीक्षण कर रहा है और उसकी समीक्षा सकारात्मक रही है जिसमें उसने कहा कि बदलाव अच्छे रहे हैं और इससे सही नतीजे मिल रहे हैं.
गौरतलब है कि 2014 में एशियन गेम्स में भारत की मुक्केबाज सरिता देवी को विरोध करना भारी पड़ गया था. सेमीफाइनल मुकाबले में वह साउथ कोरियन खिलाड़ी पार्क जू पर हावी रही थी, लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं, जिसका उन्होंने विरोध किया था. परिणाम से नाखुश सरिता ने मेडल सेरेमनी में अपना मेडल सिल्वर मेडलिस्ट पार्क को थमा दिया, जिस कारण उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
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