20वीं सदी खत्म होने वाली थी. 21वीं सदी शुरू होने से 2 साल पहले विश्व फुटबॉल का इतिहास बदलने वाला था. इसकी भनक किसी को नहीं थी. 10 जून 1998 से फ्रांस में 16वां विश्व कप शुरू हुआ. दुनिया की सबसे बेहतरीन 32 टीमें इस विश्व कप का हिस्सा थीं. उस जमाने में दुनिया के सबसे मशहूर खिलाड़ी हुआ करते थे रोनाल्डो. फाइनल तक रोनाल्डो के खेल और काबिलियत पर किसी को शक नहीं था. 12 जुलाई को 16वें विश्व कप का फाइनल खेला जाना था. फाइनल में भी रोनाल्डो की टीम पहुंच चुकी थी. तय था कि उस समय के दुनिया के सबसे चहेते खिलाड़ी रोनाल्डो की टीम ब्राजील फाइनल जीत कर 5वीं बार विश्व विजेता बनेगी. लेकिन होनी ने कुछ और लिख रखा था.
मैच शुरू होने से पहले ड्रामा शुरू हुआ. पता चला कि दुनिया का सबसे बड़ा खिलाड़ी मैच नहीं खेलेगा. फिर कुछ हुआ. उस समय का दुनिया का सबसे बड़ा खिलाड़ी रोनाल्डो टीम में वापस आ चुका था. फुटबॉल प्रशंसकों की दुनिया हैरान-परेशान थी कि आखिर हो क्या रहा है. मैच शुरू हुआ. रोनाल्डो खेले. मगर मैच जब खत्म हुआ तो दुनिया एक नए सुपरस्टार को पा चुकी थी. रोनाल्डो इस फाइनल मैच में कहीं नजर नहीं आए. फ्रांस का एक खिलाड़ी बॉल को दो बार अपने माथे (हेडर) से मारकर गोल पोस्ट के भीतर कर चुका था.
1998 विश्व कप की मेजबानी कर रहा फ्रांस पहली बार विश्व विजेता बन चुका था. दुनिया को फुटबॉल का एक नया सुपरस्टार मिल गया था. रोनाल्डो का रंग फीका पड़ गया था. बॉल को माथे से मारने वाला खिलाड़ी फ्रांस को पहली बार विश्व चैंपियन बना चुका था. वह उस समय अपने देश के लिए खेल की दुनिया का सबसे बड़ा खिलाड़ी बन चुका था. नाम था जिनेदिन जिदान. बॉल को माथे से मारने से लेकर माथे को खिलाड़ी में मारने तक, यह फुटबॉलर लाजवाब था. अगर एक लाइन में बात कहनी हो तो यह कहा जा सकता है कि माथे से बॉल मारने से लेकर माथा किसी खिलाड़ी में मारने तक. यही तो सफर रहा जिनेदिन जीदान का.
इतना समा बांधने के बाद अब बात कर लेते हैं 1998 विश्व कप के हीरो और 2006 विश्व कप के 'विलेन' जिनेदिन जिदान का. आज जिदान का 47वां जन्म दिवस है.
पिता करते थे नाइट वॉच मैन की नौकरी
23 जून 1972 को अल्जीरिया से माइग्रेट होकर फ्रांस आए एक परिवार में जिदान का जन्म हुआ था. जिदान अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. फुटबॉल के प्रति लगाव शुरू से रहा. इसी लगाव का नतीजा था कि वो फ्रांस के सबसे बड़े खिलाड़ी बने. जिदान ने अपने देश को सबसे बड़ा तोहफा विश्वकप जीत कर तो दिया ही, इसके साथ ही उन्होंने ठीक दो साल बाद यानी 2000 में फ्रांस को यूरो चैंपियन भी बनाया.
अल्जीरिया वॉर के समय जिदान का परिवार देश छोड़ कर फ्रांस आ गया था. उनके पिता फ्रांस आने के बाद एक नाइट वॉच मैन का काम किया करते थे. अक्सर उनकी ड्यूटी रात को होती थी. एक नाइट वॉच मैन के बेटा से इतने बड़े खिलाड़ी बनने का सफर भी जिदान का शानदार रहा.
2006 में खेला अपना आखिरी मैच
फ्रांस के लिए विश्व कप और 2000 का यूरो जीतने के बाद जिदान दुनिया के सबसे महंगे फुटबॉल खिलाड़ी बन चुके थे. रियाल मैड्रिड ने उस समय जिदान को सबसे महंगे फुटबॉलर के रूप में अपने टीम से जोड़ा था. रियाल मैड्रिड द्वारा दी गई कीमत को भी जिदान ने जाया नहीं होने दिया. टीम को चैंपियन बनाया. यूएफा लीग जीताई. मगर 2006 विश्व कप में 1998 की तरह बॉल को माथे से मारने की बजाय उन्होंने इटली के एक खिलाड़ी को मार दिया. यह मैच फ्रांस से खेलते हुए जिदान का आखिरी मैच साबित हुआ. 2006 में जर्मनी में हो रहा यह विश्व कप इटली, फ्रांस को हरा कर जीत चुका था लेकिन यहां भी चर्चा जिदान की ही थी.
रिटायरमेंट के बाद लंबे समय तक फुटबॉल से दूर रहे जिदान जब वापस इस दुनिया में आए तो एक कोच के तौर पर रियाल मैड्रिड से जुड़े. इसी क्लब से कभी खेल चुके जिदान के लिए यह एक किसी खास मौके से कम नहीं था. रियाल मैड्रिड का मैनेजर रहते हुए जिदान ने कई उपलब्धियां हासिल की. उनके कोचिंग में रियाल मैड्रिड ने यूएफा जीता. लेकिन इस साल यानी 2018 का यूएफा जीतने के बाद अचानक उन्होंने ऐलान कर दिया कि वो रियाल मैड्रिड के कोच का पद छोड़ रहे हैं. यह जिदान का एक चौंकाने वाला कदम था. लेकिन जिदान हमेशा ऐसे ही तो रहे. लोगों को चौंकाना उनकी आदत में है.
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