मॉस्को में खेले गए फीफा वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले के मैदान में घुसने वाले चारों लोगों को 15 दिन की जेल की सजा सुनाई गई है. फाइनल मुकाबले में ये चारों लोग पुलिस की वर्दी पहनकर मैदान पर घुस गए थे. इसके बाद रूस के पुसी रायट संगठन ने ट्वीट करके इसकी जिम्मेदारी ली थी.
15 दिन की जेल के अलावा इस संगठन पर किसी भी स्टेडयिम में मैच देखने को लेकर तीन साल का बैन लगाया गया है. इस ग्रुप पर आरोप लगाया गया है कि इसने नियमों का उल्लंघन किया. इसके अलावा इन पर गैर कानूनी तरीके से पुलिस वर्दी पहनने का भी आरोप है. रविवार को फ्रांस और क्रोएशिया के बीच फाइनल मैच के 53वें मिनट के दौरान फ्रांस टीम के गोल के पीछे से यह चार लोग (तीन महिलाएं एक पुरुष) मैदान पर घुस गए और खिलाड़ियों को हाई फाइव देने लगे. जहां एक ओर कायलिन एम्बाप्पे ने उनमें से एक को ताली दी वहीं क्रोएशिया के डिफेंडर डेजन लेवरेन ने ग्रुप के इकलौते पुरुष को धक्का देकर गिरा दिया था. इसके चलते मैच को कुछ देर के लिए रोकना पड़ा था.
ट्विटर पर जारी एक पोस्ट में इस ग्रुप ने कहा कि उसने ये सब प्रदर्शन के दौरान अवैध गिरफ्तारी और राजनीतिक कैदियों के लिए किया है. इस प्रदर्शन को उन्होंने पुलिसमैन एंटर द गेम का नाम दिया था. साल 2011 से ही ये विरोधी समूह सक्रिय रहा है. ये राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रशासन के खिलाफ विशेष रूप से मुखर रहा है, जिन्हें ये ग्रुप एक तानाशाह मानता है.
अपनी फेसबुक पोस्ट पर उन्होंने लिखा हम चाहते हैं कि रूस में बोलने की आजादी हो, राजनीतिक कैदियों की आजादी हो आंदोलन करने की आजादी हो. यही संदेश लोगों और पुतिन तक पहुंचाने के लिए उन्होंने यह तरीका अपनाया, हालांकि उन्हें अफसोस है कि इस वजह से मैच खेल रहे खिलाड़ियों पर फर्क पड़ा.
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