फुटबॉल में ब्राजील की जो जगह है वह किसी और की नहीं हो सकती. वह दुनिया भर की सबसे प्रिय टीम होती है. नई पीढ़ी के लिए ब्राजील का आकर्षण वैसा नहीं है, जैसा पुरानी पीढ़ियों के लिए है, जब हर विश्व कप के पहले लोग यह मनाते रहते थे कि अब की बार ब्राज़ील जीत जाए. अब ब्राजील भी पुराना ब्राजील नहीं रहा, लेकिन अब भी ब्राजील के नाम से जो जादू जुड़ा है, वह काफी हद तक बरकरार है.
ब्राजील की टीम विश्व कप की सबसे सफल टीम है, जिसने पांच बार विश्व कप जीता है. आंकड़े बताते हैं कि इसके अलावा भी विश्व कप में उसका रिकॉर्ड सर्वश्रेष्ठ है. फीफा फेडरेशन कप की भी वह सबसे कामयाब टीम है, जिसने चार बार यह कप जीता है. और सन 1970 का विश्व कप खेलने वाली ब्राजील की टीम को ब्राजील ही नहीं, दुनिया की आज तक की सर्वश्रेष्ठ टीम माना जाता है. यह विश्व कप मेक्सिको में खेला गया था और पूरा विश्व कप ब्राजील के प्रभुत्व के लिए जाना जाता है.
यह टीम इसलिए भी याद की जाती है क्योंकि यह अकेला विश्व कप था, जिसमें पेले अपने पूरे रंग में थे. हर मैच में उन्होंने अपनी छाप छोड़ी. पेले इसके पहले भी 1962 और 1966 दो विश्व कप खेले थे, लेकिन दोनों में उनके खेल का कोई खास असर नहीं दिखा था. पेले का जादू इस विश्व कप में ऐसा छाया कि इसे पेले के विश्व कप की तरह भी याद किया जाता है.
एक से बढ़कर एक खिलाड़ियों की थी टीम
जैरजिन्यो, पेले , रिवैलीन्यो और टोस्टाओ जैसी आक्रामक पंक्ति फुटबॉल में दूसरी कोई नहीं हुई, जिन्होंने लगातार विरोधियों को दबाव में रखा. गर्सन दुनिया के महानतम मिडफील्डर्स में थे और कप्तान कार्लोस अल्बर्तो को दुनिया के महानतम डिफेंडर्स में गिना जाता है. कुछ जानकारों का कहना है कि गोलकीपर फेलिक्स अलबत्ता उस पैमाने के गोलकीपर नहीं थे, लेकिन उनकी परीक्षा की घड़ियां भी कम ही आईं, हालांकि पूरे टूर्नामेंट में सात गोल तो ब्राज़ील के खिलाफ पड़े ही.
कैसे थे 1970 विश्व कप के हालात
यह टूर्नामेंट मेक्सिको में खेला गया, जहां ऊंचाई की वजह से हवा का दबाव कम रहता है. ब्राजील के खिलाड़ियों के हुनर और कलात्मकता में तो कोई कमी नहीं थी, कोच जैगेलो ने एक समझदारी यह की कि उनकी फिटनेस पर ज्यादा ध्यान दिया, जिससे खिलाड़ियों के दमखम में कोई कमी नहीं आई. इससे दूसरे हाफ में भी ब्राजील के खिलाड़ी दूसरी टीमों के मुकाबले ज्यादा ऊर्जावान रहते थे. विश्व कप के इतिहास में यह पहली टीम थी, जिसने पूरे टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं हारा. टीम ने शुरुआत चेकोस्लोवाकिया को 4-1 से हरा कर की और समापन भी फाइनल में इटली को 4-1से हरा कर किया.
लेकिन सिर्फ जीतना ही किसी टीम के सर्वश्रेष्ठ होने की कसौटी नहीं होती. ब्राजील की इस टीम को दुनिया की सबसे ज्यादा खूबसूरत खेलने वाली टीम कहा जाता है. उनका खेल सिर्फ जीतने के लिए नहीं था, वह आजादी की और आनंद की अभिव्यक्ति थी. वे ऐसा खेल रहे थे जैसा कि कहा जाता है कि संगीत की लय पर नाच और झूम रहे हों. ब्राजील ने यह तीसरी बार विश्व कप जीता था. इसलिए ज्यूल्स रिमे कप उसे स्थायी रूप से दे दिया गया और अगले विश्वकप के लिए नया कप बनवाया गया.
उनके इस प्रदर्शन ने ब्राजील की जनता को उम्मीद और खुशी का एक आधार दिया. ब्राजील उस वक्त फौजी तानाशाही के दौर से गुजर रहा था. दमन और सेंसरशिप का माहौल था, अर्थव्यवस्था की हालत खराब थी, महंगाई और बेरोज़गारी चरम पर थी. फौजी हुक्मरान भी चाहते थे कि फुटबॉल के सहारे लोग अत्याचार और बदहाली को भूल जाएं, इसलिए वे फुटबॉल को प्रोत्साहित भी कर रहे थे और उसमें दखलंदाजी भी कर रहे थे. दूसरी ओर यह भी माना जाता है कि ब्राजील के फुटबॉल की लय और शैली या सुंदर फुटबॉल खेलने का मिजाज जिसे एक दमनकारी व्यवस्था में आज़ादी की अभिव्यक्ति का रूप था.
क्या स्पेन की यह टीम ज्यादा महान थी!
कुछ लोग मानते हैं कि स्पेन की 2012 का यूरो कप जीतने वाली टीम दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीम कहलाने की ज्यादा हकदार है. यह टीम 2008 में भी यूरो कप जीती थी और 2010 का विश्व कप भी उसके नाम था. इस तरह लगातार तीन बडे़ टूर्नामेंट जीतने वाली वह पहली टीम हुई. कप्तान कैसियास दुनिया के महानतम गोलकीपरों में गिने जाएंगे. जावी, इनिएस्ता और टॉरेस जैसे खिलाड़ी बेशक दुनिया के श्रेष्ठतम खिलाड़ियों में से हैं.
इस टीम के बारे में बहुत कुछ लिखा जा सकता है. लेकिन दो बातें हैं जो इस टीम को सर्वश्रेष्ठ बताने में हिचक पैदा करती हैं. पहली यह कि यही टीम 2014 के विश्व कप में शुरुआती दौर में ही बाहर हो गई थी. दूसरी बात यह कि बहुत से लोगों का मानना है कि इस टीम को देखना उबाऊ था. इस टीम ने किसी भी कीमत पर न हारने के नजरिये से अपने खेल को बहुत नीरस बना दिया था. इसके खेल में वह रोमांच और खूबसूरती नहीं थी, जो ब्राजील की महान टीम की विशेषता थी. अगर हमें सर्वश्रेष्ठ टीम चुनना है तो हमें खूबसूरती को भी अनिवार्य गुण मानना होगा वरना खेल को सिर्फ स्कोर के आधार पर जांचने का काम तो कोई भी कर लेगा, इसके लिए किसी खेल प्रेमी की क्या जरूरत है. इसलिए स्पेनिश टीम नंबर दो पर ही ठीक है.
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