26 मई को थिएटर में रिलीज होने जा रही सचिन तेंदुलकर की जिंदगी पर बनी बायोपिक ‘सचिन : अ बिलियन ड्रीम्स’ की बात चली तो 2004 में ऑस्कर के लिए चुनी गई मराठी फिल्म ‘श्वास’ एकाएक नजरों के सामने तैर गई. मसला श्वास की कहानी को लेकर नहीं है. इस फिल्म के पीछे की एक स्टोरी रोचक है जो देश के सबसे बड़े नायक और भारत रत्न के असली किरदार को समझने में मदद करती है.
श्वास को लेकर कहानी पर थोड़ा रुक कर बात करेंगे, पहले ‘अ बिलियन ड्रीम्स’ की चर्चा करते हैं. सचिन की आत्मकथा की तरह यह फिल्म कितनी ईमानदार होगी, इसमें थोड़ा शक है. वैसे मासूम भारतीय फैमली एलबम को भी 70 एमएम पर हिट करा सकते हैं.
लेकिन विश्व क्रिकेट में सबसे अधिक शतक बनाने वाले सचिन इसे कामयाब बनाने के लिए अपना सब कुछ झोंक रहे हैं ताकि कोई गुंजाइश न रहे. सचिन अपने ट्विटर पर इस फिल्म को लेकर काफी उत्साह में हैं. देश में देशभक्ति का माहौल है और सोल्जर..सोल्जर रटाया जा रहा है. लिहाजा सचिन ने भी अपनी आने वाली फिल्म सैनिकों के साथ बैठ कर देख ली है.
फिल्म पर्दे पर आने से हफ्ते भर पहले सचिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिल कर आए हैं. मुलाकात के बाद सचिन ने ट्वीट किया उन्होंने प्रधानमंत्री को फिल्म के बारे में ब्रीफ किया है. अपनी फिल्म को पैसे कि लिहाज से सफल बनाने के लिए जिस जिम्मेदारी से सचिन मेहनत कर रहे हैं, वह काबिले तारीफ है.
Briefed our Hon'ble PM @narendramodi about the film #SachinABillionDreams & received his blessings. pic.twitter.com/XEwcBpKELA
— sachin tendulkar (@sachin_rt) May 19, 2017
महान बल्लेबाज बनने के बाद उनकी फिल्म भी कभी न भूलने वाली एक बॉक्स आफिस पर हिट गाथा बननी चाहिए. लेकिन रोचक होगा यह देखना कि फिल्म निर्देशक ने बांद्रा के एक बालक के क्रिकेटर से महान बल्लेबाज, भारतीय कप्तान, भारत रत्न और सांसद बनने के सफर को किस तरह से बयां किया है! या किया भी है या नहीं!
जाहिर है, सचिन से यह उम्मीद तो नहीं कि जा सकती कि वह फिल्म में बताएं कि अप्रैल 2012 में राज्य सभा सदस्य बनने के बाद 19 सत्रों की 357 सीटिंग में वह सिर्फ 23 दिन ही क्यों सदन में आ सके! या फिर सदन की तुलना में अधिक समय मुंबई इंडियंस के डगआउट में बैठने और अपनी फिल्म को प्रमोट करने में कैसे मिल गया!.
भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान दिलीप टिर्की भी सचिन साथ सदन में आए थे. वह 240 दिन सदन मे उपस्थित थे. सचिन के 22 सवाल की तुलना टिर्की के हर क्षेत्र से जुड़े 308 सवालों की हिस्ट्री है.
Thank you for everything that you do for us, as part of the Indian Armed Forces. Enjoyed this very special viewing of #SachinABillionDreams. pic.twitter.com/L5BkCaIyXw
— sachin tendulkar (@sachin_rt) May 20, 2017
अगर वह उनकी कप्तानी के दिनों में हुई मैच फिक्सिंग के बारे में खुल का बात करते हैं तो यह फिल्म यकीनी तौर पर सुपरहिट होगी. अगर फिल्म में सिर्फ इतना भर है कि ‘मैच फिक्सिंग की बात सुन कर मैं काफी दुखी हुआ था’ तो यह एक बार फिर सब के लिए दुखदाई होगा. देखना यह भी रोचक होगा कि मंकी गेट के बारे में क्या कुछ है.
जाहिर है कि यह उनके बांद्रा के एक बालक की विश्व क्रिकेट का बाहुबली बनने की कहानी होनी चाहिए जिसमें उम्मीदों से भरा कोच स्कूटर पर बिठा कर उन्हें दिन में मुंबई के अलग-अलग मैदानों में दिन में चार-पांच मैच में बल्लेबाजी करने के लिए ले जाता था.
लगता नहीं कि सचिन ने इस फिल्म में उन सभी फील्डर्स का शुक्रिया अदा करने का मौका गंवाया होगा जिन्होंने अगले मैच में बल्लेबाजी के लिए जाने के बाद उनकी जगह फील्डिंग की होगी. और हां.. बैंक में अरबों होते हुए भी उस वक्त केंद्रीय मंत्री प्रमोद महाजन से फरारी 360 मोडेना के लिए 1.13 करोड़ की ड्यूटी माफ करवाने वाला मामला भी तो है.
यह फिल्म सचिन की कहानी का बायोपिक है न कि फिल्म. यकीनन फीचर फिल्म बनती तो वह खुद अपना किरदार निभा सकते थे. एडवरटाइजमेंट से विदेशी मुद्रा में होने वाली कमाई का टैक्स माफ करने के लिए सचिन का अर्जी आज भी मुंबई के अपीलीय पंचाट की फाइलों में है जिसमें उन्होंने साबित किया है कि वह छूट के हकदार है क्योंकि कैमरे के सामने काम करने के कारण वह ‘एक्टर’ हैं और इस कमाई का उनके क्रिकेट से कोई लेना देना नहीं.
अब बात करते हैं फिल्म श्वास की.
2004 में फिल्म ऑस्कर के लिए नामित हुई. फिल्म दिल को छू लेने और जेहन को हिला देने वाली थी. मराठी जगत के सभी नामी गिरामी दिग्गजों ने एकजुट होकर इस फिल्म को ऑस्कर में कामयाब बनाने के लिए पैसे से अपना पूरा सहयोग देने का फैसला किया.
सचिन भी सहयोग के लिए आगे आए लेकिन सिर्फ अपना एक बैट लेकर. उनका आइडिया था कि फिल्म का निर्माता बैट की नीलामी कर सकता है. बैट की नीलामी होती तो कितना मिलता! दो लाख ! तीन लाख! लेकिन नीलामी का आयोजन करने में इससे ज्यादा पैसा लगता. लिहाजा फिल्म निर्माता ने कोई रुचि नहीं दिखाई.
उस समय शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे ने श्वास को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में अपने खुद के एकाउंट से 15 लाख रुपये दिए. चैक देने के साथ ही ठाकरे ने कहा, ‘मैं कोई क्रिकेटर नहीं और न ही मेरे पास कोई बैट है जिसे आप लोग नीलाम कर सकें.’
श्वास ऑस्कर में जगह बनाने में नाकाम रही क्योंकि उस फिल्म के लिए करोड़ों भारतीयों ने एस साथ मिल कर सपना नहीं देखा था. लेकिन यह बिलियन का ड्रीम है. अगर सचिन के फैन में से दस फीसदी भी उनकी जिंदगी का रूपातंरण देखने जाते हैं तो इस बायोपिक बनाने वाली कंपनी और खुद सचिन के बैंक मैनेजरों को एक साथ दो-तीन प्रमोशन मिलना तय है.
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