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टेस्ट क्रिकेट को हिट करने के लिए चाहिए डरबन जैसे मैच और ऐसे स्टार 'एक्स्ट्रा कलाकार'

स्टार बल्लेबाजों की नाकामी के साए में निचलेक्रम के बल्लेबाज परिणामों को रोचक बनाने अहम भूमिका निभा रहे हैं, यह एक्स्ट्रा कलाकारों का एक फिल्म को हिट करवाने में अहम भूमिका अदा करने जैसा है

Updated On: Feb 17, 2019 02:41 PM IST

Jasvinder Sidhu Jasvinder Sidhu

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टेस्ट क्रिकेट को हिट करने के लिए चाहिए डरबन जैसे मैच और ऐसे स्टार 'एक्स्ट्रा कलाकार'

कोई शक ही नहीं कि जब भी नाखून चबाने के लिए मजबूर कर देने वाले टेस्ट मैचों की बात होगी तो डरबन में श्रीलंका का जश्न जहन में भी आएगा. जीत की कगार पर खड़ी साउथ अफ्रीका जैसी टीम को हार की ओर धकेल देना चंद लाख में बनी किसी फिल्म का बॉक्स आफिस में तहलका मचा देने जैसा है. कुसाल परेरा और उनकी 154 रन की नाबाद पारी टी-20 क्रिकेट के खटाखट खेल के खिलाफ अपने अस्तित्व को बचाने को जूझ रहे टेस्ट फॉर्मेट के लिए संजीवनी से कहीं बढ़ कर है.

लगातार कहा जा रहा है कि टेस्ट क्रिकेट मर रहा है लेकिन डरबन में जो क्रिकेट देखने को मिला उससे साफ है कि इस फॉर्मेट में रोमांच अभी जिंदा है. हाल ही के महीनों में बेहद नजदीक से खत्म हुए टेस्ट मैचों के नतीजों को देखने के बाद यह नजर आता है.

निचले क्रम के बल्लेबाज दिखा रहे हैं दम

इन मैचों का सबसे रोचक पहलू यह है कि स्टार बल्लेबाजों की नाकामी के साए में निचलेक्रम के बल्लेबाज परिणामों को रोचक बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. यह एक्स्ट्रा कलाकारों का एक फिल्म को हिट करवाने में अहम भूमिका अदा करने जैसा है. परेरा की इस ऐतिहासिक बल्लेबाजी की चर्चा क्रिकेट जगत में हो रही है लेकिन यह नंबर 11 पर खेलने आए विश्वा फर्नेंडों की हिस्सेदारी के बिना अधूरी है. जिस समय विश्वा क्रीज पर आए, श्रीलंका जीत से 78 रन दूर था. साउथ अफ्रीका को मैच जीतने के लिए सिर्फ एक विकेट चाहिए था. विश्वा को यह विकेट बचाना था और वह इसमें कामयाब रहे. छह के स्कोर पर नाबाद लौटे विश्वा का पहला रन 22 गेंदों का सामना करने के बाद आया और मैच के अंत तक वह परेरा से साथ दसवें विकेट के लिए 78 रन की नाबाद व रिकॉर्ड पार्टनरशिप कर गए.

Kusal Perera

अभी दो महीने पहले की बात है. विराट कोहली की टीम एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के सामने थी. टीम इंडिया ने 332 रन का लक्ष्य दिया. खेल के हिस्से में एक समय ऐसा भी आया जब लगने लगा ऑस्ट्रेलिया यह मैच जीत जाएगा. भारतीय कप्तान की मैदान पर और कोच की ड्रेसिंगरूम में हालत खराब थी. यह बात उन्होंने मैच के बाद माइक पर मानी भी. ऑस्ट्रेलिया के 187 पर सात विकेट गिरे तो लगा कि भारत यह मैच आसानी से जीत जाएगा. लेकिन नंबर आठ, नौ और दस पर 41, 31 और 32 रन की पार्टनरशिप ने टीम इंडिया के होश उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. भारत वह मैच महज 31 रन से जीता.

पिछले नवंबर में श्रीलंका कोलंबो में इंग्लैंड के खिलाफ 327 के लक्ष्य का पीछा कर रहा था. 226 पर नौ विकेट गिर चुके थे. लेकिन आखिरी बल्लेबाज पुष्पकुमारा ने आते ही अपना बल्ला चलाना शुरू किया और आउट होने से पहले 40 गेंदों पर छह चौकों और एक छक्के के साथ 42 रन बना इंग्लैंड के होश उड़ा दिए. आखिरी विकेट के लिए सुरंगा लकमल के साथ वह 56 रन की साझेदारी खड़ी कर गए. श्रीलंका 284 के स्कोर तक पहुंचने में सफल रहा.

Cricket - England v India - Fourth Test - Ageas Bowl, West End, Britain - August 30, 2018 England's Sam Curran in action Action Images via Reuters/Paul Childs - RC1279BED7D0

पिछले साल अगस्त में टीम इंडिया बर्मिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ खेल रही थी. पहले बल्लेबाजी करने वाली इंग्लैंड की दूसरी पारी में 87 पर सात विकेट गिर चुके थे. लेकिन आठवें और नौंवें विकेट के लिए आदिल राशिद और स्टुअर्ट ब्रॉड सेम करन के साथ 48 और 41 की पार्टनरशिप बनाने में सफल रहे. करन के 63 रन और यह दोनों साझेदारियां टीम इंडिया के लिए भारी साबित हुई क्योंकि उसके लिए 194 का स्कोर भी भारी रहा और इंग्लैंड वह मैच 31 रन से जीता. टेस्ट क्रिकेट को डरबन जैसे मैचों की जरूरत है. साथ ही ऐसे मैचों के परिणामों पर नजर डालने से यह भी दिखता है कि खिलाड़ियों की इस फॉरर्मेट के लिए गंभीरता अभी मरी नहीं है. खासकर निचलेक्रम के बल्लेबाजों के लिए जिनकी टेस्ट क्रिकेट में गिनती ही नहीं होती.

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