पिछले कुछ वर्षों में अगर किसी भारतीय क्रिकेट खिलाडी ने अपने खेल में सबसे ज्यादा सुधार किया है तो वे बेशक रवींद्र जडेजा हैं . जडेजा को कुछ वक्त पहले एक ठीक ठाक ऑलराउंडर माना जाता था जो अनुकूल परिस्थितियों में बडे प्रभावी हो सकते हैं. वे टेस्टमैच खेल सकते हैं, इस पर सबको शक था. वे सीमित ओवरों के अच्छे खिलाड़ी माने जाते थे, जिनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन घरेलू क्रिकेट में या आईपीएल में होता था. वे औसत क़िस्म के गेंदबाज माने जाते हैं जो अनुकूल घरेलू परिस्थितियों में कभी कभी बडे खतरनाक हो सकते थे लेकिन प्रतिकूल पिचों पर और विदेशी धरती पर बेअसर थे. बल्लेबाजी में यही माना जाता था कि वे अंतरराष्ट्रीय मैचों में बल्लेबाजी करने लायक नहीं हैं, बल्लेबाजी के उनके घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड में जमीन आसमान का फर्क था.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में नहीं है जडेजा की जगह
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पिछली दो सीरीज में जडेजा की जगह पक्की नहीं थी, दोनों बार रविचंद्रन अश्विन टीम प्रबंधन की पहली पसंद थे, लेकिन रवींद्र जडेजा को जब मौका मिला तो उन्होंने गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों में बेहतरीन प्रदर्शन किया. उनकी गेंदबाजी में जबर्दस्त सुधार आया है. वे अचूक तो पहले भी थे लेकिन अब उनकी गेंदों में ज्यादा घुमाव है और ज्यादा तीखापन है जिसकी वजह से वे विदेशी धरती पर भी प्रभावी हैं. उनकी बल्लेबाजी देखकर भी लगता है कि उन्होने जबर्दस्त मेहनत की है, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दोनों जगह उन्होने बडी बहुमूल्य पारियां खेलीं. अब वे एक कायदे के अंतरराष्ट्रीय स्तर के ऑलराउंडर बन गए हैं जो दुनिया की किसी भी टीम में अपनी जगह बना सकते हैं.
लेकिन यह भी एक विचित्र संयोग है कि जिस वक्त उनकी टीम में जगह पक्की होनी चाहिए थी, तभी संदेह के बादल मंडराने लगे हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू एकदिवसीय और टी20 सीरीज में वे टीम में नहीं हैं. सीमित ओवरों के लिए भारत के पहले दो स्पिनर वैसे भी कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल हैं. दोनों आला दर्जे के रिस्ट स्पिनर हैं और इनके रहते आने वाले विश्वकप की योजना में भी जडेजा तीसरे नंबर के स्पिनर रहेंगे जो शायद किसी संकट की घड़ी में ही याद किए जाएं. और यह कभी भी हो सकता है कि चहल और कुलदीप टेस्ट टीम में भी जगह के लिए दावेदार हो जाएं.
क्या सिर्फ बैकअप बन चुके हैं जडेजा
टेस्ट मैचों में भी अभी अश्विन भारत के पहले नंबर के स्पिनर रहेंगे . ऐसे में घरेलू टेस्टमैचों में तो जडेजा को जगह मिल जाएगी लेकिन अब तक विदेशी सीरीज में उन्हें अश्विन की अनुपस्थिति में ही जगह मिलती है. अश्विन को भी सिर्फ घरेलू मैदानों पर ही उपयोगी माना जाता था और अभी अभी उन्होने विदेशी मैदानों पर अच्छा प्रदर्शन करना शुरू किया है लेकिन यह भी उनकी किस्मत है कि अब तक वे किसी विदेशी सीरीज में सारे टेस्ट मैच नहीं खेल पाए.
अश्विन तो अब सीमित ओवरों के खेल की योजना से ही बाहर हैं. शायद इन दोनों को भारतीय टीम का हिस्सा खेल के हर फॉर्मेट में होना चाहिए था लेकिन कुलदीप यादव और चहल पीछे से आए और आगे निकल गए. सही भी है, दो दो आला दर्जे के रिस्ट स्पिनर सबको थोड़े ही नसीब होते हैं, और उनमें से भी एक अगर बाएं हाथ से गेंदबाजी करने वाला हो.
भाग्यशाली है कोहली
विराट कोहली इस मायने में भाग्यशाली हैं कि उनके पास चुनने के लिए कई श्रेष्ठ गेंदबाज हैं . तेज गेंदबाज़ी करने के लिए जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, इशांत शर्मा, भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव जैसे गेंदबाज हैं. दूसरी पंक्ति में खलील अहमद, मोहम्मद सिराज, सिद्धार्थ क़ौल जैसे नाम हैं और घरेलू क्रिकेट में ऐसे कई नाम हैं जो आने वाले वक्त में दावेदार हो सकते हैं. यही हाल स्पिनरों का है, अश्विन, जडेजा , चहल और कुलदीप , चारों ही श्रेष्ठ गेंदबाज हैं और ज़ाहिर है इनमें से एक एक वक्त मे टीम में हो सकते हैं. यह टीम प्रबंधन का सौभाग्य है कि उसके पास चुनने के लिए इतने सारे खिलाड़ी हैं लेकिन खिलाड़ियों के लिए तो यह मुश्किल स्थिति है कि प्रतिभा और प्रभावशाली रिकॉर्ड के बावजूद उनकी जगह सुरक्षित नहीं है. कभी कभी ऐसा भी होता है, पद्माकर शिवलकर और रजिंदर गोयल तो महान स्पिनर मान लिए जाने के बावजूद एक भी टेस्ट मैच नहीं खेल पाए थे , क्योंकि उनके वक्त में बिशनसिंह बेदी मौजूद थे .
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