भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मेलबर्न टेस्ट में भारत ने बाजी मारी है और सीरीज 2-1 से अपने नाम की है. दोनों टीमों के बीच निर्णायक मैच सिडनी में तीन जनवरी से खेला जाएगा. इस टेस्ट सीरीज में जो भी फैसला हो, एक बात तय है कि दोनों टीमों की गेंदबाजी बहुत अच्छी है और दोनों टीमें इस मामले में बराबरी की टीमें रही हैं. एक तरफ इशांत शर्मा, बुमराह, शमी जैसे शानदार गेंदबाज हैं और भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव भी कम नहीं हैं. भारत का स्पिन आक्रमण भी जोरदार है. ऑस्ट्रेलिया में स्टार्क, हैजलवुड और कमिंग्स भी बराबरी के तेज गेंदबाज हैं और नेथन लायन भारत के किसी भी स्पिनर को टक्कर दे सकते हैं. ऐसे में दोनों टीमों के बीच सिडनी मैच का फैसला कुछ हद तक किस्मत यानी टॉस और बल्लेबाजी पर निर्भर करेगा.
विराट पर निर्भर है भारतीय बल्लेबाजी
बल्लेबाजी के मामले में ऑस्ट्रेलिया की टीम ज्यादा कमजोर दिखती है. अगर घरेलू परिस्थितियों का फायदा न हो तो उसकी बल्लेबाजी आजकल की जिंबाब्वे या श्रीलंका टीम से बेहतर नहीं है. यह साफ है कि डेविड वॉर्नर और स्टीव स्मिथ के जाने से ऑस्ट्रेलियाई टीम की बल्लेबाजी की रीढ़ की हड्डी जवाब दे गई है. अगर वे दोनों होते तो शायद इस सीरीज का नक्शा कुछ और होता, पहला टेस्ट ऑस्ट्रेलिया जीत सकती थी और तीसरे टेस्ट में भी उसकी बल्लेबाजी ऐसे नहीं ढहती. बड़े दिनों से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी सिर्फ इन दो बल्लेबाज़ों पर टिकी थी.
यह किस्सा सिर्फ ऑस्ट्रेलिया का नहीं है. भारत की बल्लेबाजी भी काफी वक्त से विराट कोहली पर निर्भर है. पिछले दो तीन सालों का भारतीय टीम का रिकॉर्ड देख लीजिए और उसमें से विराट कोहली को घटा दीजिए तो स्थिति साफ हो जाएगी. भारत की टेस्ट टीम की कल्पना विराट कोहली के बगैर करके देख लीजिए, एक बड़ा सा शून्य जैसा नजर आएगा. पिछली दो एक सीरीज से अच्छी बात यह हुई है चेतेश्वर पुजारा लगातार रन बना रहे हैं इसलिए स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है. इस सीरीज में सबसे सफल बल्लेबाज पुजारा ही हैं.
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यही हाल इंग्लैंड का है, पूरी टीम में कप्तान जो रूट और बाकी बल्लेबाजों के बीच बड़ा फासला है. उनके अलावा थोड़े नीचे के क्रम पर जॉनी बेयरस्टो कुछ अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन अंग्रेज़ बल्लेबाजी का पूरा दारोमदार रूट पर है. वही हाल न्यूज़ीलैंड में है, मैकलम के कद की बराबरी बाकी सारे बल्लेबाज मिल कर नहीं कर सकते. दक्षिण अफ्रीका में हाशिम आमला पर टीम कहीं ज्यादा निर्भर दिखती है. रिटायरमेंट से पहले एबी डीविलियर्स उनके साथ ही जिम्मेदारी को साझा करते थे. पाकिस्तान में युनूस खान और मिस्बाह के बाद कोई भी भरोसेमंद बल्लेबाज अब नहीं है.
किसी टीम के पास नहीं हैं
ऐसा पहले कभी नहीं देखने में आया कि दुनिया की सारी टीमें एक या दो बल्लेबाजों पर निर्भर हों. जिन बल्लेबाजों के नाम ऊपर आए हैं उन सभी का नाम क्रिकेट इतिहास के बडे खिलाड़ियों में निस्सन्देह दर्ज होता है. ये सारे बल्लेबाज दुनिया के किसी भी हिस्से में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं लेकिन उनकी टीमों के दूसरे बल्लेबाजों के बारे में यह नहीं कहा जा सकता. इसी वजह से उनकी टीमें बुरी तरह उन पर निर्भर हैं और इसी वजह से सारी टीमें सिर्फ अपने घर में शेर हैं. अपने घरेलू मैदानों का लाभ मिलने पर उनके बाकी बल्लेबाज भी ठीकठाक खेल जाते हैं और सामने वाली टीम के ज्यादातर बल्लेबाज ढेर हो जाते हैं. इसलिए कोई टीम ऐसी नहीं है जो दुनिया में कहीं भी जीतने का दावा कर सके.
दुनिया में जो भी महान या बहुत अच्छी टीमें थीं उनमें कम से कम चार महान बल्लेबाज थे. ब्रैडमैन की विश्वविजेता टीम के पांच बल्लेबाज महान थे. वॉरेल और सोबर्स की टीमों में हंट, कन्हाई, सोबर्स, बुचर, नर्स और खुद वॉरेल और सोबर्स जैसे बल्लेबाज थे. लॉयड की टीम में ग्रीनिज, हेंस, रिचर्डस और खुद लॉयड थे. ऑस्ट्रेलिया में एलन बॉर्डर से लेकर रिकी पोटिंग तक की कप्तानी में कितने बड़े-बड़े बल्लेबाज हुए. ऐसे ही बल्लेबाजों के बूते टीमें दिग्विजय का झंडा गाड़ते चलती हैं. अब किसी भी देश में ऐसे चार बल्लेबाज नहीं हैं.
भारत के पास हैं वर्ल्ड क्लास बल्लेबाज
इसलिए हम उम्मीद कर सकते हैं कि भारत के लिए यह ऑस्ट्रेलिया दौरा अच्छा साबित हो सकता है. इसकी एकमात्र वजह यह है कि भारत की ओर से विराट कोहली खेल रहे हैं और पुजारा भी रन बना रहे हैं, दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया की टीम में न वॉर्नर हैं न स्मिथ. भारत के लिए मयंक अग्रवाल ने कमाल की शुरुआत की है. ऐसी शुरुआत तो कभी किसी ओपनर ने नहीं की होगी.
पहली इनिंग्ज में जब परिस्थितियां अनुकूल थीं तो वे वे वीरेंद्र सहवाग की तरह खेले और दूसरी पारी में जब विकेट मुश्किल हो गई तो उन्होंने ऐसी पारी खेली कि सुनील गावस्कर की याद आ गई. उम्मीद करनी चाहिए कि वे ऐसे ही खेलते रहेंगे. अजिंक्य राहणे का भी रंग कुछ लौट रहा है. और यह भी उम्मीद करनी चाहिए कि विराट कोहली की कमर अब कष्ट नहीं देगी. अगर यह सब कुछ हुआ और मान लीजिए कि पृथ्वी शॉ भी संभावनाओं पर खरे उतरते हैं तो भारत को कोई टीम कहीं भी हरा नहीं सकेगी. शर्त यही है कि - अगर ऐसा हुआ तो.
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