हरियाणा के लाहली में सचिन तेंदुलकर के करियर के आखिरी घरेलू मैच में अंतरराष्ट्रीय स्कोरर नरेश पाराशर से मुलाकात हो गई. पाराशर साहब ने 2 अक्तूबर 1989 के दिन लिखा एक बायोडाटा दिखाया जो पाकिस्तान के दौरे से ठीक पहले खुद सचिन ने लिखा था.
सचिन पहली बार देश के लिए खेलने जा रहे थे और उन्हें लेकर काफी रोचकता थी. सचिन पाकिस्तान के दौरे पर जा रहे थे. वहां का मीडिया उनके बारे में जानकारी मांग सकता है. लिहाजा बोर्ड में पाराशर को दिल्ली के पालम ग्राउंड में खेल रहे सचिन से उनका बायोडाटा लिखवाने की जिम्मेदारी दी गई.
सचिन ने अपने बायोडाटा में लिखा, राइट हैंड बैट्समैन एंड राइट हैंड मीडियम पेसर. यह दस्तावेज ऐसे तथ्य की पुष्टि करता है जिसने भारतीय क्रिकेट का इतिहास नए सिरे से लिख दिया. तेज गेंदबाज सचिन को एमआरएफ पेस फाउंडेशन के कोच डेनिस लिली ने नकार दिया और सलाह दी कि वह सिर्फ अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान दें. उसके बाद का हर एक पल इतिहास है.
अंडर 19 में चुन गए हैं अर्जुन
यह पूरी यात्रा यह भी साबित करती है कि यह जरूरी नहीं कि आपके जीवन में वैसा ही हो, जैसा सोचते है या करना चाहते हैं. अब विश्व क्रिकेट के इस महान बल्लेबाज के लेफ्ट हैंड पेसर बेटे अर्जुन को अंडर-19 टीम में जगह मिली है. सचिन ने दुनिया के हर मुश्किल गेंदबाज का सामना किया है लेकिन बेटे का क्रिकेट में आना उनके बाकी की जिंदगी की सबसे बड़ी चुनौती होने जा रहा है. अर्जुन युवा हैं. उनकी प्रतिभा पर अभी मुहर लगना बाकी है. लेकिन उनके नाम के पीछे तेंदुलकर लगा है, जिसके साए में खुद की अपनी पहचान बनाना बिलकुल अलग संघर्ष होगा.
यहां पर खुद सचिन को अपने बेटे की मदद करनी पड़ेगी. सचिन समझदार हैं और यकीनन वह एक महान बल्लेबाज के बजाय सिर्फ एक पिता की भूमिका में ही अपने बेटे को खुद की राह तैयार करने के लिए प्रेरित करेंगे.
पिता की महानता नहीं है सफलता की गारंटी
रिकॉर्ड बुक में सुनील गावस्कर आज भी महान हैं. जब उनके बेटे रोहन ने बल्ला थामा तो उनकी परछाई में पिता भी खड़े दिखाई देते थे और यह सिलसिला ताउम्र जारी रहा. 2004 में भारतीय टीम में जगह बनाने वाले रोहन का कैरियर एक ही साल में 11 वनडे मैचों में महज 74 रन और एक विकेट के साथ ही सिमट गया. 2012 में रिटारमेंट से पहले रोहन के खेल जीवन में ऐसे हालात भी बने की उन्होंने बागी लीग के लिए भी खेलने का जुआ खेला.
2015 में विश्वकप से पहले रोजर बिन्नी को बेटे स्टुअर्ट बिन्नी से बातचीत करने का मौका मिला. नामी पिता से मिला सरनेम बिन्नी के लिए हर दिन का दवाब साफ दिखाई देता था. रोहन या बिन्नी ही क्यों, ऐसे कई नाम हैं जो अपने नामी पिता की छाया में क्रिकेट खेलने मैदान पर उतरे और फिर न जाने कहां खो गए.
जाहिर है कि किसी भी खेल में पिता की महानता बेटे की गारंटी नहीं हो सकती. वेस्टइंडीज के बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स के हाथ में बल्ला किसी कसाई के चाकू की तरह चलता था. अपनी मनमर्जी का हमला ऐसा कि गेंदबाजों की रूह कांप जाए. लेकिन कितने लोग जानते हैं कि उनका बेटा माली रिचर्डस भी एक क्रिकेटर था जो कभी वेस्टइंडीज क्रिकेट में जगह नहीं बना सका.
सचिन से साथ अच्छी बात यह है कि उन्होंने यह सारी कहानियां सुनने के अलावा साक्षात देखी भी हैं. यह अर्जुन के पक्ष में जाता है. इस अर्जुन को खुद ही मछली की आंख पर निशाना लगाने देना ही उसके लिए अच्छा होगा. यानी जितने 'विशेषज्ञ' हैं, वे अगर अर्जुन को अपनी लड़ाई खुद लड़ने देंगे और अपनी आंखें कुछ समय के लिए बंद कर लेंगे, तो बेहतर होगा. अर्जुन के लिए बेहतर यह भी होगा कि कोई भी उनके इस चयन को लेकर ज्यादा उत्साहित न हो और न ही उनकी किसी से तुलना हो. सचिन के चाहने वालों को दुआ करनी चाहिए कि अर्जुन अपने पिता के नाम से अलग अपने दम पर खुद की पहचान बनाने में कामयाब हों.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं, उनका ट्विटर हैंडल है @life22yards)
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.